पंचायत सचिवों ने करोड़पति से करवाई मजदूरी!
पंचायत सचिवों ने करोड़पति से करवाई मजदूरी! सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Shahdol : पंचायत सचिवों ने करोड़पति से करवाई मजदूरी!

राज एक्सप्रेस

सरकार की ओर से गांव के विकास के वास्ते भेजा गया पैसा बीच में ही हड़प कर लिया जा रहा है। कुछ इस तरह का मामला अनूपपुर जिले की मुख्यालय की जनपद पंचायत अनूपपुर में सामने आया है। यहां पंचायत सचिव और सप्लायर फर्म ने मिलकर पैसा हड़प लिया और सचिव तबादला करा दूसरी पंचायत में भ्रष्टाचार के नये आयाम लिखने की तैयारी है।

शहडोल, मध्यप्रदेश। संभाग के अनूपपुर जिले की मुख्यालय की जनपद पंचायत में कई पंचायत सचिव अपनी चहेती फर्म शीलभद्र जोशी के खाते में लाखों का भुगतान कर चुके हैं, मजे की बात तो यह है कि फर्म संचालक से इतनी सांठ-गांठ थी कि शीलभद्र जोशी को मजदूरी का भुगतान भी खाते में कर दिया, 10 पंचायतों में शीलभद्र जोशी एवं ओम प्रकाश जोशी ने पंचायत से लेकर जनपद तक सांठ-गांठ करते हुए लाखों का भुगतान सादे कागजों सहित बंद हुए जीएसटी नंबर पर लिया, जहां इन फर्म संचालक के विरूद्ध बीते वर्षाे में किये गये गोलमाल के खिलाफ जनपद के जिम्मेदारों को एफआईआर दर्ज करानी चाहिए थी, वहीं दूसरी ओर सचिवों के विरूद्ध भी कार्यवाही प्रस्तावित करनी थी, संभवत: पूर्व में लिए गए कमीशन के चलते कार्यवाही नहीं हो सकी।

जनपद के मुखिया को फुर्सत नहीं :

ओम प्रकाश जोशी सहित शीलभद्र जोशी का मामला संज्ञान में आने के बाद जिला पंचायत मुखिया ने इसकी जांच जनपद अनूपपुर के मुखिया को कार्यवाही के निर्देश दिये थे, लेकिन लगभग सप्ताह बीतने के बावजूद ऑनलाईन जनपद में दिख रहे भ्रष्टाचार के बावजूद मुखिया का जवाब और कार्यवाही समझ से ही परे है, अगर जनपद के मुखिया चाहे तो, उक्त फर्म के बिलों को ऑन लाईन देखकर सचिवों के विरूद्ध कार्यवाही प्रस्तावित की जा सकती है, लेकिन न जाने किसके दबाव में पूरी प्रक्रिया अटकी पड़ी है या मुखिया को फुर्सत ही नहीं मिल पा रही है।

जांच-जांच खेल रहे जिम्मेदार :

ग्राम पंचायतों में बीते वर्षाे में हुए भ्रष्टाचार के चलते सरकार ने ऑन लाईन पंच परमेश्वर पोर्टल शुरू किया, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके, लेकिन जिम्मेदारों ने इसकी परवाह न करते हुए नियम विरूद्ध जहां शासकीय राशि का भुगतान किया, वहीं दूसरी ओर जनपद में बैठे जिम्मेदार शिकायतों के बाद जांच-जांच का खेल-खेलने से भी नहीं चूकते, मजे की बात तो यह है कि अगर कोई मुख्यमंत्री हेल्प लाईन में शिकायतकर्ता है तो, उस पर परिचितों या स्थानीय नेताओं से दबाव डलवाकर शिकायत को बंद करवा दिया जाता है, बाद में उक्त मामले में क्या होता है, यह किसी को पता ही नहीं चल पाता।

वाणिज्य कर विभाग भी पीछे नहीं :

वाणिज्य कर विभाग में फर्म के संचालकों द्वारा रजिस्ट्रेशन कराया जाता है, कुछ दिनों बाद उक्त फर्म का रजिस्ट्रेशन विभाग द्वारा कैंसल भी कर दिया जाता है, साथ ही रजिस्ट्रेशन के समय दुकान कहां स्थित है, उसकी जानकारी ही विभाग के जिम्मेदार नहीं लेते, कुछ फर्मे सादे कागजों में लाखों के भुगतान बगैर फर्म के अपने खाते में लिया, लेकिन वाणिज्य कर विभाग इस मामले में चुप्पी साध जाता है, वहीं दूसरी ओर जनपद सहित पंचायत के सचिव वाणिज्य कर विभाग की गलती ठहराता है, लेकिन कभी ऐसी फर्मों की शिकायत जनपद नहीं करता, मजे की बात तो यह है कि वाणिज्य कर विभाग अगर शिकायत के बाद शिकायतकर्ता को इस मामले से दूर कर देता है, जिससे शिकायतकर्ता को यह जानकारी ही नहीं हो पाती कि शिकायत में हुआ क्या है, चर्चा है कि इस बीच वाणिज्य कर विभाग फर्म संचालक से सांठ-गांठ कर पूरा खेल-खेल लेता है।

निष्पक्ष जांच की मांग :

जो बिल अधूरे होते हैं और जिनमें जीएसटी नंबर, टैक्स की राशि का उल्लेख नहीं होता है, वो फर्जी माने जाते हैं। वैध बिलों में सबकुछ दर्ज होता है। कितना माल बेचा, कितना टैक्स कटा आदि। अगर फर्में ऐसे बिल उपयोग कर रही हैं तो, जीएसटी एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसमें जितनी राशि टैक्स की बनती वह पूरी उनसे वसूले जाने का प्रावधान है, 10 ग्राम पंचायतों में शीलभद्र जोशी और ओम प्रकाश जोशी की फर्म की अगर निष्पक्ष जांच हुई तो, पंचायतों में बीते वर्षाे में हुए भ्रष्टाचार से पर्दा तो उठेगा ही, साथ ही भ्रष्टाचार पर लगाम भी थोड़ी लग सकती है।

इनका कहना है :

इस संबंध में जब अनूपपुर जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया तो, उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

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