कमिश्नर डॉ. भार्गव को राष्ट्रीय स्कॉच अवार्ड से किया सम्मानित
कमिश्नर डॉ. भार्गव को राष्ट्रीय स्कॉच अवार्ड से किया सम्मानित Shashikant Kushwaha
मध्य प्रदेश

मीजल्स-रूबेला रोकथाम में योगदान पर डॉ. भार्गव को राष्ट्रीय अवार्ड

Author : Shashikant Kushwaha

राज एक्सप्रेस। मीजल्स-रूबेला अभियान में कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव को उनके असाधारण योगदान, उत्कृष्ट कार्य निष्पादन, नेतृत्व क्षमता, प्रबंधकीय दक्षता, नवाचार एवं सकारात्मक पहल के लिए निजी क्षेत्र के देश के सर्वोच्च प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्कॉच अवार्ड से पुरस्कृत किया गया है। यह अवार्ड प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद भारत सरकार के चेयरमैन एवं विख्यात अर्थशास्त्री डॉ. बिबेक देवराय, सचिव जलशक्ति मंत्रालय भारत सरकार यूपी सिंह तथा स्कॉच फाउंडेशन के चेयरमैन समीर कोचर के कर कमलों से नई दिल्ली के हेबीटेट सेंटर में कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. भार्गव को प्रदान किया गया।

नवाचार के लिए मिला अवार्ड :

स्कॉच अवार्ड भारत में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, प्रशासनिक समन्वयता और जिले, संभाग व राज्य में किये गये नवाचारों के लिए प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार में देश के प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री एवं योजना निर्माण में शामिल व्यक्तियों द्वारा अवार्ड की चयन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जाती है जो यह तय करते हैं कि किया गया नवाचार राष्ट्रीय मापदण्डों पर खरा उतरता है या नहीं। रीवा संभाग को पुन: यह गौरव प्राप्त हुआ है कि मीजल्स एवं रूबेला अभियान में राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त करने के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान प्राप्त हुई है। इसके पहले माह सितम्बर 2019 में दस्तक अभियान के सफल क्रियान्वयन में भी कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. भार्गव को राष्ट्रीय स्कॉच अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

जताया आभार :

कमिश्नर डॉ. भार्गव ने इस उपलब्धि के लिए संभाग के चारों जिलों के कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत, नगर निगम के अधिकारियों, नगरीय निकाय के सीएमओ, सीईओ जनपद पंचायत, सीएमएचओ, स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास विभाग, जेल विभाग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा अन्य व्यक्तियों जिन्होंने इस अभियान में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से योगदान दिया आदि सभी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की है। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने यह अवार्ड रीवा संभाग के समस्त नौनिहालों और होनहार बच्चों के स्वर्णिम भविष्य को समर्पित किया है क्योंकि बच्चे ही राष्ट्र की असली दौलत हैं। अवार्ड को प्राप्त करने में संभागीय उप संचालक डॉ. एनपी पाठक एवं डॉ. दीपक पाण्डेय, सलाहकार पोषण एवं स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

शत-प्रतिशत टीकाकरण कराया :

उल्लेखनीय है कि इस अभियान के अंतर्गत रीवा संभाग प्रदेश में पहले स्थान पर रहा था। संभाग के चारों जिलों में लक्षित 9 माह से 15 वर्ष तक की आयु के 23 लाख 69 हजार बच्चों का शत-प्रतिशत टीकाकरण कराया गया। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने 21 जनवरी 2019 को संभागीय कमिश्नर के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया था। उस दौरान मीजल्स-रूबेला अभियान के तहत 9 माह से 15 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा था। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित इस महत्वपूर्ण अभियान की समीक्षा कर शत-प्रतिशत टीकाकरण करने के प्रयास शुरू किये। गत वर्ष इस अभियान में रीवा संभाग ने मात्र 20 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की थी। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने समय-समय पर बैठकें आयोजित कर अभियान की समीक्षा की और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

कमिश्नर खुद पहुंचे दूरस्थ अंचलों में :

कमिश्नर डॉ. भार्गव ने स्वयं स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों, छात्रावासों आदि स्थानों में पहुंचकर अपने समक्ष बच्चों का टीकाकरण कराया। उन्होंने ऐसे स्थानों पर पहुंचकर बच्चों को टीकाकरण कराया जहां किसी की नजर नहीं पड़ी थी। उन्होंने निर्माणाधीन स्थलों पर पहुंचकर विभिन्न राज्यों से आये मजदूरों के बच्चों का टीकाकरण कराया। उन्होंने झुग्गी बस्तियों, जेल में बंदी महिलाओं, दस्यु प्रभावित क्षेत्रों, नि:शक्त छात्रावासों आदि स्थानों में पहुंचकर बच्चों का अपने समक्ष टीकाकरण कराया। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने रीवा, सीधी, सिंगरौली एवं सतना जिले के कई स्कूलों में भ्रमण किया और टीकाकरण के लिए समझाइश दी। कमिश्नर डॉ. भार्गव द्वारा स्वयं मीजल्स-रूबेला अभियान के संबंध में आकाशवाणी पर परिचर्चा का प्रसारण भी किया गया। इस प्रकार कमिश्नर डॉ. भार्गव के निरंतर अथक प्रयास से रीवा संभाग को मीजल्स-रूबेला अभियान में शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल हुई।

क्या है मीजल्स-रूबेला वायरस :

मीजल्स-रूबेला वायरस से फैलने वाली खतरनाक जानलेवा बीमारी है। मीजल्स रोग के कारण बच्चों में विकलांगता या उनकी असमय मृत्यु हो सकती है। इसी तरह रूबेला वायरस बच्चों एवं स्त्रियों में संक्रमण पैदा करता है जो बच्चों को जन्म से ही विकलांग बना सकता है। इन रोगों से बचने का टीकाकरण ही एक मात्र उपाय है।

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