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मध्य प्रदेश

बनी बनाई सड़कों पर बजट खत्म करने की तैयारी में स्मार्ट सिटी,112 करोड़ से चार कार्य कराने पर बनी है सहमति

Deepak Tomar

ग्वालियर,मध्यप्रदेश । 300 करोड़ की स्मार्ट सड़क का हश्र सभी देख रहे हैं। इसके अलावा अन्य सड़कों का निर्माण भी स्मार्ट सिटी द्वारा किया जा रहा है। इसी बीच स्मार्ट सिटी ने 12 अन्य सड़कें बनाने की स्वीकृति भी प्राप्त कर ली है। इन सड़कों पर लगभग 65 करोड़ रुपय खर्च किया जायगा। बुधवार को स्मार्ट सिटी बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गई है। बनी बनाई सड़कों पर पैसा खर्च करने पर बोर्ड के एक सदस्य ने आपत्ति भी दर्ज कराई थी,लेकिन उनकी बात दरकिनार कर दी गई। सड़क बनाने के प्रस्ताव पर भोपाल से भी मोहर लगने की खबर आई है। जल्द ही स्मार्ट सिटी द्वारा इन सड़कों के लिए टेण्डर कर दिए जायंगे। सवाल यह है कि आखिर बनी बनाई सड़कों पर इतना पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है। 

शहर की तीन विधानसभा में 80 प्रतिशत इलाकों में 100 साल पहले सड़कें बनाई जा चुकी है। इन सड़कों को सिर्फ मरम्मत की आवश्यकता है। इसके बावजूद हर साल नगर निगम द्वारा 100 करोड़ से अधिक राशि सड़क निर्माण में खर्च की जाती है। इसके अलावा पीडब्लूडी, 15 वें वित्त आयोग सहित अन्य मद एवं विभाग भी सड़क बनाने पर पैसा खर्च कर रहे हैं। इस दौड़ में स्मार्ट सिटी का शामिल होना समझ से परे है। स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन का गठन शहर विकास में ऐसे कार्य करने के लिए हुआ था जिससे लोग स्मार्ट नेस का अनुभव कर सकें, लेकिन नेताओं के इशारे पर बनाए गए स्मार्ट सिटी बोर्ड ने अपनी मंशा के अनुरूप 940 करोड़ रुपय खर्च कराने की योजना पर काम किया।

स्मार्ट रोड़ पर 300 करोड़ रुपय खर्च करने के बाद व्यक्ति विशेष को फायदा पहुचाने के लिए कई तरह के कार्य किए गए। अब जो राशि अन्य कार्यों से बच रही है वह लगभग 112 करोड़ रुपय है। इस राशि से चार कार्य स्मार्ट सिटी अधिकारियों ने बताए थे जिसमें 12 सड़कें भी शामिल हैं। इन सड़कों पर लगभग 65 करोड़ रुपय खर्च किए जायंगे। इसके लिए जल्द टेण्डर आयोजित होंगे। पैसे को इस तरह ठिकाने लगाने पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

विधायक प्रतिनिधि ने उठाई थी आपत्ति

स्मार्ट सिटी बोर्ड की बैठक में विधायक सतीश सिकरवार के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष कृष्ण राव दीक्षित ने बनी बनाई सड़कों पर पैसा खर्च करने को लेकर आपत्ति उठाई थी, लेकिन बोर्ड मेंबरों ने इसे दरकिनार कर दिया है। शहर की अधिकतर सड़कें पूरी तरह बनी हुई हैं सिर्फ उन्हें रिपेयरिंग करके कई सालों तक काम चलाया जा सकता है। लेकिन अधिकारी नेताओं को खुश करने के लिए मनमाने रूप से काम कर रहे हैं। 

इन सड़कों को बनाने के लिए जारी होंगे टेण्डर

  • -एमएच चौराहे से सात नंबर चौराहा  2230

  • -पाम रेसीडेंसी से रेलवे क्रॉसिंग तक  2050

  • -नाका चन्द्रवदनी से रेलवे क्रॉसिंग तक  975

  • -गुढ़ा गुडी के नाके से चिरवाई नाका  3000

  • -चिटनिस की गोठ से रॉक्सी टॉकीज  390

  • -शासकीय प्रेस बिल्डिंग से माधौगंज थाने तक  800

  • -आयकर कार्यालय से पटेल नगर  500

  • -माधवराव मार्ग से कैलास विहार मुख्य सड़क तक  450

  • -डोंगरपुर तिराहे से रॉयल सुंदररम रिर्सोट 1470 

  • -कलेक्ट्रेट तिराहे से गार्डन पैलेस तक  2270

  • -रॉयल सुंदरम रिसोर्ट से सिरोल चौहान 1470

  • -हजीरा से पड़ाव तानसेन रोड़ 2073

इनका कहना है

स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन का गठन शहर को स्मार्ट बनाने के लिए हुआ था। इसमें ऐसे कार्य जाते जिससे लोग आधुनिक  जीवन शैली को समझ पाते। स्मार्ट सिटी को वायफाई जोन, चार्जिंग स्टेशन, ग्रीन पार्क जैसी सुविधाएं विकसित करनी थी। लेकिन अधिकारी सड़क बनाने में व्यस्त हो गए। सड़कें तो नगर निगम, पीडब्लूडी सहित अन्य विभाग बना सकते हैं, इस काम में स्मार्ट सिटी का बजट इस्तेमाल करना पूरी तरह गलत है। साथ ही बनी बनाई सड़कों पर पैसा खर्च करना किसी भी तरह उचित नहीं है।

कृष्णराव दीक्षित, विधायक प्रतिनिधि

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