प्रदेश सरकार निवेशकों का विश्वास जीतने में असफल : कमलनाथ
प्रदेश सरकार निवेशकों का विश्वास जीतने में असफल : कमलनाथ Syed Dabeer Hussain - RE
मध्य प्रदेश

प्रदेश सरकार निवेशकों का विश्वास जीतने में असफल : कमलनाथ

राज एक्सप्रेस

भोपाल, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के इंदौर में होने वाली इंवेस्टर समिट को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने निवेशकों का स्वागत करते हुए प्रदेश सरकार की नीति पर सवालिया निशान लगाए है।

कमलनाथ ने कहा है कि मध्यप्रदेश देश के केन्द्र में स्थित है, 05 राज्यों घिरा हुआ है। मध्यप्रदेश की अवस्थिति का लाभ निवेशक उठा सकते हैं। मध्यप्रदेश एक उत्कृष्ट लाजिस्टिक हब बन सकता है, परन्तु प्रदेश का दुर्भाग्य है कि प्रदेश के गुणों और भौगोलिक स्थिति का लाभ न प्रदेशवासियों को मिल पा रहा है और न ही देश विदेश से आ रहे निवेशकों को। उन्होंने कहा कि निवेशक का विश्वास जीतना निवेश को आकर्षित करने की प्राथमिक व सर्वोपरि आवश्यकता है। जिसने विश्वास जीत लिया, उसने निवेश जीत लिया। मध्यप्रदेश में 18 वर्षों से भाजपा की सरकार है, परंतु भाजपा सरकार देश-विदेश के निवेशकों में रत्तीभर भी विश्वास पैदा नहीं कर सकी और यही कारण कि निवेशकों का पहला इंवेस्टमेंट डेस्टीनेशन मध्यप्रदेश नहीं बन पाया। पिछले 18 वर्षो में निवेशकों ने मध्यप्रदेश पर विश्वास जताया होता तो मध्यप्रदेश की पहचान औद्योगिक प्रदेश की बन चुकी होती, प्रदेश की आर्थिक गतिविधि चारों ओर बढ़ रही होती और युवाओं के हाथ में रोजगार ही रोजगार होते। परन्तु मध्यप्रदेश में निवेश नहीं आने के कारण आज हमारे मध्यप्रदेश में अर्थव्यवस्था और रोजगार की बढ़ोत्तरी सबसे बडी चुनौती है। भाजपा सरकार कार्य व्यवहार में माफिया और चरम भ्रष्टाचार का समर्थन न करे तो निवेशक मध्यप्रदेश की तरफ कदम बढ़ाएंगे। 18 वर्षों में मध्यप्रदेश में निवेश को भाजपा सरकार अविश्वास, भ्रष्टाचार और माफिया के कारण आकर्षित नहीं कर पा रही है।

कमलनाथ ने कहा कि किसी भी राज्य में निवेश विजन से आता है। मध्यप्रदेश में तो विजन नहीं, केवल टेलीविजन की सरकार चल रही है। झूठी घोषणाऐं, झूठे भाषण, दिखावटी इन्वेस्टर समिट और सरकार के नुमाइंदो के पर्यटन के लिए की जाने वाली विदेश यात्राओं से निवेश/विदेशी निवेश, निवेशक, उद्योगपति एवं औद्योगिक इकाईयां आकर्षित नहीं होते। उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में मध्यप्रदेश में 5 ग्लोबल इन्वेस्टर समिट और अनेक विदेश यात्रायें हुई। हजारों एमओयू और निवेश आशय के प्रस्ताव सरकार ने इकठ्ठे किए, परन्तु मध्यप्रदेश में निवेश नहीं आया। पिछले 15 सालों में देश में लगभग 23 लाख करोड़ रूपए का विदेशी निवेश हुआ जबकि इन्ही 15 सालों में मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार 5.7 हजार करोड़ रूपए का निवेश भी आकर्षित नहीं कर पाई। इन हजारों एमओयू, निवेश आशय प्रस्ताव का सरकार को पोस्टमार्टम करना चाहिए ताकि भाजपा सरकार मध्यप्रदेश में निवेश न आने के वास्तविक कारण और सच्चाई को जान सकेगी और प्रदेशवासियों को इन एमओयू और आशय प्रस्तावों की असलियत पता लगेगी।

कमलनाथ ने कहा मुझे आश्चर्य है कि 2003 से 2018 के मध्य भाजपा सरकार के राज में विदेशी निवेश के मामले में मध्यप्रदेश कभी भी श्रेष्ठ 10 राज्यों में अपना स्थान नही बना पाया जबकि हमारे सीमावर्ती राज्यों ने इसी अवधि लाखों करोडों रूपए के विदेशी निवेश को अपने राज्यों में कराया। वर्ष 2020 से 2022 के बीच कोरोना काल के समय देश में 11.8 लाख करोड़ रूपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ और इसी अवधि में मध्यप्रदेश में निवेेश केवल 3600 करोड़ रूपए का निवेश हुआ। 2020 से 2022 की अवधि में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने वाले राज्यों की सूची में मध्यप्रदेश का स्थान 15 वां रहा है । पिछले 18 साल की मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार देश के कुल विदेशी निवेश का 0.3 प्रतिशत से अधिक निवेश कभी भी आकर्षित नहीं कर पाई है। इसका सीधा सा अर्थ है कि देश में यदि 100 रूपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आता है तो उसमें से मध्यप्रदेश में केवल 30 पैसे का निवेश आता है और यह अब तक भाजपा सरकार द्वारा मध्यप्रदेश में कराई गई ग्लोबल इन्वेस्टर समिट और विदेश भ्रमण कार्यक्रमों के निवेश परिणामों का सच है।

कमलनाथ ने कहा कि 18 साल की भाजपा सरकार मध्यप्रदेश में 7.8 हजार करोड़ रूपए का भी विदेशी निवेश नहीं ला पाई जबकि इसी अवधि में देश के अन्य राज्यों में 33 लाख करोड़ रूपए का विदेशी निवेश हुआ है। इससे अधिक आश्चर्य का विषय यह है कि 18 साल में मध्यप्रदेश में विदेशी निवेश 7.8 हजार करोड़ रूपए हुआ जबकि आज प्रदेश की भाजपा सरकार एक वर्ष में 20 हजार करोड़ रूपए तो केवल अपने लिए कर्जे पर ब्याज चुका रही है।

कमलनाथ ने कहा कि भाजपा सरकार स्वच्छ हाथ, स्वच्छ मन और स्वच्छ नीतियों से मध्यप्रदेश में निवेशकों को आकर्षित करें, अन्यथा निवेशक पूर्व के भाजपा के 18 सालों की भांति फिर से छले जाने पर मध्यप्रदेश में नहीं आएंगे और मध्यप्रदेश का आमजन बड़ी अर्थव्यवथा से फिर वंचित हो जाएगा, युवा फिर से रोजगार से वंचित हो जाएगें, प्रदेश औद्योगिक पहचान से वंचित हो जाएगा और मध्यप्रदेश निवेश के मामलें में जहां का तहां रह जाएगा।

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