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मध्य प्रदेश

राशि वसूलने के लिए 24 घंटो में करो सख्त कार्यवाही, पैरा मेडिकल छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में कोर्ट सख्त

Amit Namdeo

जबलपुर। कॉलेज संचालाकों से पैरा मेडिकल छात्रवृत्ति घोटाले की राशि नहीं वसूले जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से राशि वसूली की कार्यवाही के संबंध में रिपोर्ट पेश की गई। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार की कार्यवाही पर नाराजगी व्यक्त करते हुए 24 घंटो में कॉलेजों के खिलाफ  सख्त कार्यवाही के आदेश जारी किये है। याचिका पर अगली सुनवाई 26 अप्रैल को निर्धारित की गयी है।

लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की ओर से दायर की गयी याचिका में बताया गया कि साल 2009 से 2015 के बीच हुए प्रदेश के सैकड़ों पैरा मेडिकल कॉलेज ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ो रूपये का घोटाला किया था। पैरामेडिकल कॉलेज संचालकों ने फर्जी छात्रों का प्रवेश दर्शाकर सरकार से करोड़ों रुपए की राशि छात्रवृत्ति के रूप में प्राप्त की थी। घोटाले के संबंध में सरकार द्वारा जांच के आदेश दिये गये थे। जांच में घोटाले के आरोप सही पाये गये थे। जिसके बाद सरकार की ओर से उक्त कॉलेज से राशि वसूले का निर्णय लिया गया था। याचिका में कहा गया था कि राज्य शासन द्वारा छात्रवृत्ति घोटाले करने वाले कॉलेज से राशि वसूले किसी तरह की कार्यवाही राज्य सरकार नहीं कर रहा है।

पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया था कि कई अवसर प्रदान करने के बावजूद भी सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया है। जिस पर युगलपीठ ने 25 हजार रूपये की कॉस्ट लगाते हुए सरकार को जवाब पेष करने के लिए अंतिम समय प्रदान किया था। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किये गये जवाब में बताया गया कि 24 करोड़ रूपये में से 4 करोड़ रूपये की राशि वसूल की गयी है। इंदौर खंडपीठ ने 5 करोड़ रूपये की राशि वसूली करने पर रोक लगा रखी है। शेष राशि वसूली के लिए कॉलेज के खिलाफ आरआरसी जारी की गयी है।

युगलपीठ ने राशि वसूली में सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए संबंधित याकिचाएं सुनवाई के लिए मुख्यपीठ में स्थानांतरित करने के आदेश जारी किये थे। याचिका पर सोमवार को हुई दो चरण में सुनवाई हुई। सरकार की ओर से दो संस्थाओं से 4 लाख 76 हजार रूपये की वसूली की गयी है। दूसरे चरण में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि दो संस्थाओं के बैंक एकाउंट सीज कर दिये है। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि सरकार एक तरफ कर्ज ले रही है और दूसरी तरफ अपनी राशि वसलूने में में सालों लगा रही है। युगलपीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उक्त आदेश जारी किये। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेजा ने पैरवी की।

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