आज रामस्वामी वेंकटरमण और लेखक कमलेश्वर की पुण्यतिथि
आज रामस्वामी वेंकटरमण और लेखक कमलेश्वर की पुण्यतिथि Social Media
मध्य प्रदेश

आज रामस्वामी वेंकटरमण और कमलेश्वर की पुण्यतिथि, CM ने उन्हें याद कर साझा किया संदेश

Priyanka Yadav

भोपाल, मध्यप्रदेश। आज भारत के 8वें राष्ट्रपति रामस्वामी वेंकटरमण और लेखक कमलेश्वर की पुण्यतिथि है। आज के दिन रामस्वामी वेंकटरमण और लेखक कमलेश्वर का निधन हुआ था। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रामस्वामी वेंकटरमण और लेखक कमलेश्वर ​की पुण्यतिथि पर ट्वीट कर उन्हें सादर नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि दी।

रामस्वामी वेंकटरमण की पुण्यतिथि पर सीएम ने किया याद :

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रामस्वामी वेंकटरमण को याद करते हुए अपने ट्वीट में लिखा- भारत के 8वें राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरामण की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। आप देश के उपराष्ट्रपति और देश की पहली संसद के सदस्य भी रहे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 'भारत छोड़ो' जैसे आन्दोलनों में सक्रिय भूमिका के लिए आपका स्मरण सदैव किया जाएगा।

रामास्वामी वेंकटरमण का निधन 27 जनवरी, 2009 में हुआ था, रामास्वामी वेंकटरमण भारत के आठवें राष्ट्रपति थे। इसके पूर्व उपराष्ट्रपति पद भी इनके ही पास था। यह 77 वर्ष की उम्र में राष्ट्रपति बने। इससे पूर्व उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति बनने वाले डॉक्टर राधाकृष्णन, डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन और वी.वी. गिरि ही थे। इनका क्रम चौथा रहा। उन्होंने 25 जुलाई, 1987 को राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की। यह एक संयोग था कि 35 वर्ष पूर्व जब देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने शपथ ग्रहण की थी, तब वेंकटरमण भी राष्ट्रपति भवन के उसी कक्ष में मौजूद थे।

लेखक कमलेश्वर की पुण्यतिथि पर सीएम ने साझा किया ये संदेश :

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा- कहानी, उपन्यास व पटकथा जैसी अनेक विधाओं में अपनी लेखनी का जादू बिखेरने वाले बीसवीं सदी के सबसे सशक्त लेखक कमलेश्वर जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। पद्मभूषण, साहित्य अकादमी सम्मान से अलंकृत कमलेश्वर जी को 'कितने पाकिस्तान' जैसे उपन्यास के लिए सदैव याद किया जाएगा

बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं कमलेश्वर

हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फ़िल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। इन्होंने अनेक हिन्दी फ़िल्मों के लिए पटकथाएँ लिखीं तथा भारतीय दूरदर्शन श्रृंखलाओं के लिए दर्पण, चन्द्रकान्ता, बेताल पच्चीसी, विराट युग आदि लिखे। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित पहली प्रामाणिक एवं इतिहासपरक जन-मंचीय मीडिया कथा ‘हिन्दुस्तां हमारा’ का भी लेखन किया।

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