ठण्डे बस्ते में महरोई पंचायत की जांच
ठण्डे बस्ते में महरोई पंचायत की जांच सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Umaria : ठण्डे बस्ते में महरोई पंचायत की जांच

राज एक्सप्रेस

वित्तीय अनियमितताओं का प्रमाणित मामले को जनपद के जिम्मेदारों द्वारा दबाने का प्रयास किया जा रहा है, ऑनलाईन दिख रहे भ्रष्टाचार के कारनामों को दबाने के लिए के लिए पंचायत के मुखिया को सामने कर शिकायतकर्ताओं के खिलाफ थाने में शिकायत करवा मामले को दबवाने का प्रयास भी किया जा रहा है।

उमरिया, मध्यप्रदेश। शासकीय योजनाओं में भ्रष्टाचार और बंदरबांट कर दौलत कमाई गई, इतना ही नहीं हर पंचायतों में ठेकेदार भी पैदा किये गये, इनके बदौलत ही शासन के खजाने में सेंध लगाई गई। जिले की जनपद पंचायत बिरसिंहपुर पाली की महरोई ग्राम पंचायत में कराये गये निर्माण कार्याे की अगर जमीनी हकीकत देखी जाये तो, नजारा ही कुछ और है, केवल नाम मात्र को काम कराये गये हैं और बाकी की रकम निकालकर बंदरबांट कर ली गई है, घर बैठकर कथित उपयंत्री के द्वारा मूल्याकंन किया जाता है, शिकायत और मामला सुर्खियों में आने के बाद जांच के आदेश भी दिये गये, लेकिन आज तक उस जांच का क्या हुआ यह समझ से परे है।

महरोई में हुआ बड़ा खेल :

हर विभागो में कार्य की गुणवत्ता के लिए अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त किया जाता है, ताकि समय समय पर उस कार्य का निरीक्षण करके अच्छा और गुणवत्ता पूर्ण रूप से सम्पादित कर सके, जिससे भ्रष्टाचार की रोकथाम की जा सके। सूत्रों की माने तो जनपद पंचायत बिरसिंहपुर पाली मे पदस्थ अधिकारी कर्मचारी और इंजीनियर सांठगांठ से बने कार्य पर ज्यादा विश्वास रखती है। जिसका नतीजा ग्राम पंचायत महरोई पंचायत गुणवत्ता के मामले मे फिसड्डी है, अनुपयोगी शौचालय, पंचायतो मे लगे फर्जी बिल की भरमार भ्रष्ट होने का सबसे बड़ा सबूत है, लेकिन बीते माहों में दो सदस्यीय जांच दल ने जनपद के मुखिया को क्या प्रतिवेदन सौंपा यह अपने-आप में चर्चा का विषय बना हुआ है।

ब्रेफिक्री का आलम :

बिरसिंहपुर पाली जनपद पंचायत की कई ग्राम पंचायत महरोई में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जमकर भ्रष्टाचार हुआ, यह किसी से छुपा नहीं है, इन मामले में अधिकारियों की चुप्पी कई प्रश्न चिन्ह खड़े कर रही है। कर्मचारियों की बेफिक्री का आलम यह है कि बगैर काम किए ही लाखों रुपए फर्जी तरीके से आहरित किए गये हैं। ग्राम पंचायत में फर्जी फर्मों के नाम से बिल लगाकर सरकारी राशि का गोलमाल किया गया है। अधिकांश मामलों की जानकारी अधिकारियों को होने के बावजूद कोई कार्रवाई न होना भ्रष्टाचार को एक गोरखधंधे का रूप दे रहा है।

शिकायतकर्ताओं को फंसाने का होता है प्रयास :

पंचायत के लगभग कार्य ठेकेदारों द्वारा ही किया गया है, जिम्मेदार अधिकारियों की जानकारी में होने के बाद भी ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगाने के बजाय अधिकारी खुद ठेकेदारों से अपना जुगाड़ बना अपनी जेबें गरम की है, ग्राम पंचायत महरोई में आदिवासी महिला सरपंच होने का फायदा कथित लोगों द्वारा उठाया जा रहा है, मामला सुर्खियों व शिकायत में आने के बाद अपनी दुकानदारी बंद होता देख कथित ठेकेदारों द्वारा महिला सरपंच से शिकायतकर्ताओं को फंसाने के लिए पुलिस तक शिकायत करवाने से बाज नहीं आते हैं, अगर पूरे मामले में जिला पंचायत के मुखिया खुद संज्ञान लेकर इसकी जांच जिला स्तरीय टीम गठित कर कराये तो, सरपंच, सचिव सहित उपयंत्री भी नपते नजर आ सकते हैं।

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