सलैया-1 में आज भी जिंदा हैं टिन नंबर
सलैया-1 में आज भी जिंदा हैं टिन नंबर सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Umaria : सलैया-1 में आज भी जिंदा हैं टिन नंबर

राज एक्सप्रेस

सरकार द्वारा पंचायतों में किए जा रहे भुगतानों में पारदर्शिता लाने के लिए चाहे कितने भी प्रयास क्यों न किए गए हों, लेकिन सरपंच-सचिवों की मिलीभगत से उसमें कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार के रास्ते निकाल ही लिए जाते हैं। तमाम नियमों के बावजूद पंचायतों द्वारा खुलेआम टिन नंबर पर भुगतान किया जा रहा है।

उमरिया, मध्यप्रदेश। जिले की बिरसिंहपुर पाली जनपद की ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार के कारनामे रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। जहां जनपद विकास के नए आयाम स्थापित करने में लगी है, वहीं दूसरी ओर यह चमक वास्तविकता में कितनी है, इसकी जानकारी हैरान करने वाली है। शासन की योजनाओं में पैतरेबाजी करके शासन का पैसा निकाल लिया जाता है। इसका उदाहरण बिरसिंहपुर पाली जनपद की कई ग्राम पंचायतों में देखने को मिल जायेगा। शासन की जन कल्याणकारी योजनाएं और ग्राम विकास में लाखों रुपए पानी की तरह बहने में अब सरपंच, सचिव और जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों ने जमकर मलाई खाई है, इससे प्रक्रिया में जो गांव का विकास होना था, वहां केवल सरपंच-सचिव के साथ फर्जी फर्मों का ही विकास हुआ है।

टिन नंबर पर भुगतान :

मामला जनपद पंचायत बिरसिंहपुर की सलैया-1 पंचायत का है, जहां कुछ ऐसी फर्मों से सामग्री ली गई जो केवल यहां के लिए ही खुलीं और केवल उसी पंचायत में सामान सप्लाई करके अपने साथ सचिव व सरपंचों का भला कर दिया। वारिक खा लल्लन ग्राम मेढ़की थाना पाली की फर्म आज भी पंचायतों में टिन नंबर पर भुगतान ले रही है, मजे की बात तो यह है कि टिन नंबरों पर आज भी पंचायत के जिम्मेदार भुगतान करने में लगे हैं, लेकिन जनपद में बैठे जिम्मेदारों ने आज तक कार्यवाही की जहमत नहीं उठाई।

वारिक खां लल्लन का टिन नंबर वाला बिल

गुणवत्ता में भी फिसड्डी :

हर एक विभागों में कार्य की गुणवत्ता के लिए अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त किया जाता है, ताकि समय समय पर उस कार्य का निरीक्षण करके अच्छा और गुणवत्ता पूर्ण रूप से सम्पादित कर सके, जिससे भ्रष्टाचार की रोकथाम की जा सके। सूत्रों की मानें तो जनपद पंचायत बिरसिंहपुर पाली में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी और इंजीनियर सांठगांठ से बने कार्य पर ज्यादा विश्वास रखती है। जिसका नतीजा पंचायत गुणवत्ता के मामले में फिसड्डी साबित हो रही है, अनुपयोगी शौचालय, पंचायतो में लगे फर्जी बिल की भरमार भ्रष्ट होने का सबसे बड़ा सबूत है।

कमीशन में बंटे बिल :

जीएसटी लागू होने से पहले दावे किए जा रहे थे कि, पंचायतों के यह फर्जीवाड़े जीएसटी लागू होने के बाद खत्म हो जाएंगे, लेकिन यह सिर्फ भ्रम साबित हुआ, सलैया-1 में पदस्थ पंचायत के जिम्मेदारों ने आज भी जीएसटी पर भरोसा न करते हुए, टिन नंबर पर ही भुगतान किये हैं, सूत्रों की मानें तो सलैया-1 एवं 2 पंचायत में ऐसे बिल भी लगे हैं, जिसकी पंचायत ने खरीदी नहीं की, सिर्फ कमीशन देकर बिल लगा लिये गये। जागरूकजनों ने कलेक्टर से मांग की है कि पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच कराकर दोषी फर्म संचालक सहित जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर उचित कार्यवाही करें।

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