राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश सत्ता के लिए संघर्ष के लिए सियासी घटना क्रम पर लगा विराम। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 15 महीने तक सरकार चलाने के बाद शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के साथ ही भाजपा के लिए सरकार बनाने का दावा पेश करने का रास्ता साफ हो गया है। प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के साथ देखना होगा कि कौन बनेगा अगला मुख्यमंत्री और कोरोना के चलते उपचुनाव कब होंगे।
मध्यप्रदेश में 15 महीने बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने की स्थिति में सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार शिवराज सिंह चौहान हैं। शिवराज सिंह चौहान 2018 तक लगातार 13 साल सीएम रह चुके हैं। अगर चौहान फिर सीएम बनते हैं तो यह मध्यप्रदेश के इतिहास में पहला मौका होगा, जब कोई चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेगा। शिवराज सिंह के अलावा अब तक अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार सीएम रहे हैं।
मप्र विधानसभा में 230 सीटें हैं। दो विधायकों के निधन के बाद पहले से 2 सीटें खाली हैं। सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए थे। इनमें 6 मंत्री भी थे। स्पीकर एनपी प्रजापति इन सभी के इस्तीफे मंजूर कर चुके हैं। शुक्रवार सुबह स्पीकर ने कहा, ‘‘भाजपा विधायक शरद कोल ने भी इस्तीफा दिया था, जिसे मंजूर किया जा चुका है।’’ इस तरह कुल 25 सीटें अब खाली हैं। अब इन पर उपचुनाव होने हैं। अब देखना होगा कि कोरोना के चलते क्या प्रदेश में उपचुनाव होंगे या 6 महीने की समय अवधि के अन्तराल में होंगे।
भाजपा के पास 106 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस के पास 99 विधायक हैं। 25 सीटों पर उपचुनाव होने पर भाजपा को बहुमत के लिए 6 और सीटों की जरूरत होगी। अगर निर्दलियों ने भाजपा का साथ नहीं दिया तो उपचुनाव में पार्टी को 10 सीटें जीतनी होंगी। कांग्रेस को निर्दलीय विधायकों के साथ रहने पर उपचुनाव में 17 और निर्दलियों के पाला बदलने पर 21 सीटें जीतनी होंगी। अगर निर्दलीय विधायकों के साथ सपा-बसपा ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया तो उसे सत्ता में वापसी के लिए सभी 24 सीटें जीतनी होंगी।
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