डॉ. इशिना चौधरी
डॉ. इशिना चौधरी Mumtaz Khan
मध्य प्रदेश

माइंड इनवेस्मेंट इज योर लाइफटाइम इंश्योरेंस

Author : Mumtaz Khan

हाइलाइट्स :

  • आम बीमारियों की तरह ही होती है मानसिक बीमारी, नजरंदाज न करें

  • स्वस्थ दिमाग से बढ़ती है, 10 गुना रचनात्मकता और क्रियाशीलता

  • महामारी के इस दौर में डिप्रेशन से बचना है तो रखें धैर्य और खुशी

  • वर्ल्ड मेंटल डे आज, मेंटल अवेयरनेस

इंदौर, मध्य प्रदेश। शरीर के साथ दिमाग को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है, वह भी तब जब पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है। यह वो दौर है जिसने लोगों की फिजिकल हेल्थ के साथ ही मेंटल हेल्थ को भी बुरी तरह प्रभावित किया है, खासतौर पर युवाओं और बुजुर्गों को। देश में मेंटल हेल्थ अवेयरनेस पर काम करने वालीं संस्थाओं द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक सिर्फ कोरोना महामारी के इस दौर में मानसिक बीमारियों के शिकार मरीजों की संख्या में 80 से 90 प्रतिशत वृद्धि हुई है।यह कहना है, साइकोलॉजिस्ट और सीबीटी स्पेशलिस्ट डॉ. इशिना चौधरी का। वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर हुए अवेयरनेस वेबीनार में डॉ. चौधरी ने माइंड इन्वेस्टमेंट इज योर लाइफटाइम इंश्योरेंस...विषय पर बात की। उन्होंने कहा फिजिकल की तरह मेंटल हेल्थ भी हमारी प्रायोरिटी होना चाहिए। जिस तरह दांतों की बीमारी के इलाज के लिए मरीज डेंटिस्ट के पास जाते हैं उसी तत्परता से, बगैर कोई झिझक के साथ लोग मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए भी डॉक्टर्स की मदद लें। डॉ. चौधरी ने कहा विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार मानसिक बीमारियों के कारण दुनियाभर में हर साल 1 लाख लोगों की मृत्यु होती है, और इसमें हर साल 10 प्रतिषत की वृद्धि भी हो रही है।

भविष्य की योजनाओं पर नहीं, बल्कि वर्तमान की हर छोटी खुशी को दें महत्व :

कोविड -19 के इस डर वाले माहौल में बहुत जायदा लोग डिप्रेशन और एंजाइटी का शिकार हुए हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि इस समय लोग अपनी भविष्य की योजनाओं पर सोचने से जायदा छोटी छोटी खुशियों पर ध्यान दें। परिवार के साथ उसे सेलिब्रेट करें और धैर्य रखें। ये बहुत अच्छा समय है जब आप अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान दे सकते हैं।

इन लक्षणों पर दें ध्यान :

  • लंबे समय तक दुखी रहना, अकेले रहने की कोशिश

  • खाने और सोने की आदतों में बदलाव आना

  • चिड़चिड़पन

  • एंजाइटी

  • एकाग्रता में कमी

ऐसा करें :

  • यदि ऐसा कोई लक्षण दिखता है तो उस व्यक्ति से बात करने की कोशिश करें।

  • उसे विश्वास में लाएं, कम्फर्ट जोन में लाने की कोशिश करें।

  • सकारत्मक माहौल बनाएं। उसके दिमाग से नकारात्मक विचारों को निकालने की कोशिश करें।

  • समस्या गंभीर हो तो मेंटल थैरेपिस्ट, स्पेशलिस्ट की मदद लें।

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