पूर्वोत्तर में भाजपा ने खिलाया कमल
पूर्वोत्तर में भाजपा ने खिलाया कमल Syed Dabeer Hussain - RE
उत्तर पूर्व भारत

जानिए वे 5 बड़े कारण, जिसके जरिए पूर्वोत्तर में भाजपा ने खिलाया कमल

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। हाल ही में पूर्वोत्तर के तीन राज्यों (त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड) में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया है। त्रिपुरा में भाजपा गठबंधन को 60 में से 33 सीटों पर जीत मिली है और भाजपा वहां एक बार फिर से सरकार बनाती नजर आ रही है। वहीं नागालैंड में भी भाजपा गठबंधन ने 60 में से 37 सीटों पर जीत दर्ज की है। हालांकि मेघालय में जरूर भाजपा को 3 सीट मिली है लेकिन जो NPP 26 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, भाजपा ने उसी के साथ मिलकर वहां सरकार चलाई है। ऐसे में नई सरकार में भी भाजपा के साथ शामिल होना तय किया है। खास बात यह है कि साल 2016 से पहले भाजपा पूर्वोत्तर के किसी भी राज्य में सरकार में नहीं थी, लेकिन आज वह इस क्षेत्र के सात राज्यों में सरकार में हैं। तो चलिए जानते हैं पूर्वोत्तर में भाजपा को मिली इस जीत के प्रमुख कारण।

कल्याणकारी योजनाएं :

केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद पूर्वोत्तर में कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गईं। वहां नए रेलवे स्टेशन, नई सड़के, राष्ट्रीय राजमार्ग, प्रधानमंत्री आवास, शौचालय, हर घर नल से जल जैसी योजनाओं के चलते भाजपा खासी लोकप्रिय हो गई। इसका चुनाव में उसे फायदा भी मिला।

स्थानीय मुद्दों को दी गई प्राथमिकता :

पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा ने उत्तर भारत से अलग रणनीति अपनाई। यहां भाजपा ने क्षेत्रीय मुद्दों और नेताओं को प्राथमिकता दी। यहां भाजपा ने दूसरे दलों के प्रभावशाली नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया या फिर प्रभावशाली क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन किया। चुनाव में भाजपा को इसका भी बड़ा फायदा मिला। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा इसका सबसे बड़ा उदहारण है।

केंद्र में सरकार :

पूर्वोत्तर में भारतीय जनता पार्टी के उदय का एक बड़ा कारण केंद्र में उसकी सरकार भी है। दरअसल पूर्वोत्तर के राज्यों के बारे में कहा जाता है कि वहां के लोग या क्षेत्रीय दल उस पार्टी के ज्यादा करीब रहते हैं, जिसकी केंद्र में सत्ता है। इसका कारण यह है कि सरकार बनाने के बाद राज्य के विकास के लिए उन्हें फंड की जरूरत पड़ती है। वर्तमान में भाजपा केंद्र की सत्ता में है, ऐसे में कई दल उससे जुड़ते चले गए।

शीर्ष नेताओं का प्रचार :

पूर्वोत्तर में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि कैसे वह प्रधानमंत्री बनने के बाद 50 से भी ज्यादा बार पूर्वोत्तर का दौरा कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह सहित केंद्र के मंत्री लगातार पूर्वोत्तर का दौरा करते रहे हैं। इससे पूर्वोत्तर के लोगों में यह सन्देश गया कि केंद्र सरकार उन्हें महत्व दे रही है। इस बात का भी चुनाव में भाजपा को बहुत फायदा मिला।

विपक्ष की सक्रियता :

पूर्वोत्तर के इन तीन राज्यों के चुनाव में जहां भाजपा ने धुंआधार प्रचार किया वहीं विपक्ष ने इस चुनाव में खास दिलचस्पी ही नहीं ली। राहुल गांधी ने जहां सिर्फ मेघालय में एक रैली की वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी कम ही नजर आए। ऐसा लग रहा था जैसे विपक्ष में पहले ही इस चुनाव में हार मान ली है। इसका फायदा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगियों को मिला।

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