PM मोदी ने हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि कार्यक्रम को किया संबोधित
PM मोदी ने हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि कार्यक्रम को किया संबोधित Social Media
भारत

PM मोदी ने हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि कार्यक्रम को किया संबोधित

Author : Priyanka Sahu

दिल्ली, भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिवंगत हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर कार्यक्रम को संबोधित किया।

PM मोदी ने अपने संबोधन में कहा- आज हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा लोकतांत्रिक अवसर भी है। आज हमारी नई राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण हुआ है। आजादी के बाद पहली बार आदिवासी समाज से एक महिला राष्ट्रपति देश का नेतृत्व करने जा रही हैं। लोहिया जी के विचारों को उत्तर प्रदेश और कानपुर की धरती से हरमोहन सिंह यादव जी ने अपने लंबे राजनैतिक जीवन में आगे बढ़ाया। उन्होंने प्रदेश और देश की राजनीति में जो योगदान किया, समाज के लिए जो कार्य किया, उनसे आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन मिल रहा है।

चौधरी हरमोहन सिंह यादव जी ने अपना राजनीतिक जीवन ग्राम पंचायत से शुरु किया था। उन्होंने ग्राम पंचायत से राज्य सभा तक का सफर तय किया। वो प्रधान बने, विधान परिषद सदस्य बने, सांसद बने। राजनीति के शिखर तक पहुंचकर भी हरमोहन सिंह जी की प्राथमिकता केवल समाज ही रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
  • हरमोहन सिंह यादव जी ने न केवल सिख संहार के खिलाफ राजनैतिक स्टैंड लिया, बल्कि सिख भाई-बहनों की रक्षा के लिए वो सामने आकर लड़े। अपनी जान पर खेलकर उन्होंने कितने ही सिख परिवारों की, मासूमों की जान बचाई।

  • आपातकाल के दौरान जब देश के लोकतंत्र को कुचला गया तो सभी प्रमुख पार्टियों ने, हम सबने एक साथ आकर संविधान को बचाने के लिए लड़ाई भी लड़ी। चौधरी हरमोहन सिंह यादव जी भी उस संघर्ष के एक जुझारू सैनिक थे। हमारे यहां देश और समाज के हित, विचारधाराओं से बड़े रहे हैं।

  • हाल के समय में विचारधारा या राजनीतिक स्वार्थों को समाज और देश के हित से भी ऊपर रखने का चलन शुरू हुआ है। कई बार तो सरकार के कामों में विपक्ष के कुछ दल इसलिए अड़ंगे लगाते हैं, क्योंकि जब वो सत्ता में थे, तो अपने लिए फैसले वो लागू नहीं कर पाए।

  • ये हर एक राजीतिक पार्टी का दायित्व है कि दल का विरोध, व्यक्ति का विरोध देश के विरोध में न बदले। विचारधाराओं का अपना स्थान है और होना चाहिए। राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं तो हो सकती हैं। लेकिन, देश सबसे पहले है, समाज सबसे पहले है। राष्ट्र सबसे पहले है।

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