आज हैदराबाद में पीएम मोदी करेंगे 'स्टैच्यू आफ इक्वेलिटी' का अनावरण
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आज हैदराबाद में पीएम मोदी करेंगे 'स्टैच्यू आफ इक्वेलिटी' का अनावरण, जानिए क्या है खास

Author : Sudha Choubey

हैदराबाद। आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) हैदराबाद में संत श्री रामानुजाचार्य की 216 फीट ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू आफ इक्वेलिटी' (Statue Of Equality) का अनावरण करेंगे। यह प्रतिमा संत श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई है। यह बैठी हुई मुद्रा में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है।

कब होगा प्रतिमा का उद्घाटन:

बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैदराबाद में आज 216 फीट ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू आफ इक्वेलिटी' का अनावरण करने वाले हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार, पीएम मोदी दो बजे हैदराबाद एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे, जिसके बाद 2 बजकर 45 मिनट पर यहां पाटनचेरु में स्थित इंटरनेशनल कॉर्प्स रिसर्च इंस्टीट्यूच फॉर सेमी एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) कैंपस का दौरा करेंगे। ICRISAT कैंपस का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी शाम 5 बजे मुचिन्तल दिव्यक्षेत्र पहुंचेंगे और श्री रामानुजाचार्य सहस्राब्दी समारोह में भाग लेंगे और प्रतिमा का उद्घाटन किया।

रामानुजाचार्य स्‍वामी की प्रतिमा की खास बातें:

  • यह प्रतिमा ‘पंचधातु’ से बनी है जिसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है।

  • जीयार एजुकेशन ट्रस्ट के अधिकारी सूर्यनारायण येलप्रगड़ा के अनुसार, 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' बैठने की स्थिति में दुन‍िया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है।

  • श्री चिन्ना जीयार स्वामी आश्रम के 40 एकड़ के विशाल परिसर में 216 फीट की 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' प्रतिमा लगाई गई है।

  • 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' को संत रामानुजाचार्य के जन्म के 1,000 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बनाया गया है। परियोजना की कुल लागत लगभग ₹1,000 करोड़ है।

  • 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' को 64 फीट ऊंचे आधार पर स्थापित किया गया है। इस आधार को भद्र वेदी नाम दिया गया है।

  • इस भद्र वेदी में डिजिटल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर बनाया गया है। यहां प्राचीन भारतीय ग्रंथों एवं संत श्री रामानुजाचार्य के कार्यो की जानकारी देती गैलरी भी है।

कौन हैं संत श्री रामानुजाचार्य:

वहीं अगर संत श्री रामानुजाचार्य के बारे में बात करें, तो श्री रामानुजाचार्य का जन्म तमिलनाडु के पेरंबदूर में वर्ष 1017 में हुआ था। उन्होंने समाज के हर वर्ग को समान मानने का दर्शन दिया था। वह राष्ट्रीयता, लिंग, नस्ल, जाति या पंथ के आधार पर भेद के विरोधी थे। उन्होंने सभी प्रकार के भेदभाव को अस्वीकार करते हुए मंदिरों के द्वार सभी के लिए खोलने की पहल की थी।

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