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पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कानून मंत्री और सचिवों के सम्मेलन को किया संबोधित

Sudha Choubey

राज एक्सप्रेस। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज कानून मंत्रियों के सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कई पहलुओं पर अपनी बात रखी। पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि, पीछे हटाने वाले औपनिवेशिक कानूनों को हटाकर उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ना हमारे लिए जरूरी है, तभी भारत सही मायने में प्रगति कर सकता है।

नरेंद्र मोदी ने कही यह बात:

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है। देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए।"

कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, "आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तब लोकहित को लेकर सरदार पटेल की प्रेरणा हमें सही दिशा में भी ले जाएगी और हमें लक्ष्य तक भी पहुंचाएगी।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "हमारे समाज की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है। हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है।"

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए।"

नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "देश ने डेढ़ हज़ार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है, इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे थे। उन्होंने कहा कि, कानून बनाते हुए हमारा फोकस होना चाहिए कि, गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं। किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे, इसके लिए हमें लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट भी चाहिए होगा।"

पीएम मोदी ने आगे कहा कि, "युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक सिस्टम भी बनाना होगा, कानून से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में हो, हमारे कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो,इसके लिए हमें काम करना होगा।"

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