महारानी एलिजाबेथ की भारत यात्रा का विवरण
महारानी एलिजाबेथ की भारत यात्रा का विवरण Naval Patel - RE
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तीन बार भारत आई थीं महारानी एलिजाबेथ, उनके लिए बदला गया था स्वर्ण मंदिर का अहम नियम

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार रात को निधन हो गया है। 96 साल की एलिजाबेथ द्वितीय ने स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कैसल में अंतिम सांस ली। एलिजाबेथ के निधन से पूरे ब्रिटेन में शौक का माहौल है। देश-दुनिया के तमाम बड़े नेताओं ने एलिजाबेथ के निधन पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एलिजाबेथ के निधन पर दुःख जाहिर करते हुए कहा कि, ‘एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय की एक दिग्गज के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने अपने राष्ट्र और लोगों को प्रेरक नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में गरिमा और शालीनता का परिचय दिया।‘ 70 सालों तक ब्रिटेन की महारानी रही एलिजाबेथ द्वितीय ने तीन बार भारत का दौरा किया था। तो चलिए जानते हैं उनकी इन तीन यात्राओं के बारे में :

साल 1961 :

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय पहली बार 21 जनवरी 1961 में भारत आई थीं। उनके साथ प्रिंस फिलिप भी भारत आए थे। एलिजाबेथ की आगवानी करने के लिए खुद तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पालम एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। अपनी इस यात्रा के दौरान एलिजाबेथ गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मलित हुई थी। इस यात्रा के दौरान एलिजाबेथ ने आगरा जाकर ताजमहल का दीदार भी किया था और बनारस जाकर गंगा नदी में नौका सवारी भी की थी।

साल 1961

साल 1983 :

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने साल 1983 में भारत में हुई कॉमनवेल्थ देशों की बैठक में हिस्सा लिया था। इस दौरान एलिजाबेथ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी मुलाकात की थी। इसके अलावा राष्ट्रपति भवन में उनके सम्मान में विशेष समारोह भी आयोजित किया गया था। अपनी इस यात्रा के दौरान महारानी मदर टेरेसा से भी मिली थीं।

साल 1983

साल 1997 :

भारत की आजादी के 50 साल पूरे होने पर साल 1997 के आखिर में एलिजाबेथ द्वितीय भारत आई थीं। इस दौरान उन्हें राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया था। अपनी इस यात्रा के दौरान महारानी एलिजाबेथ 14 अक्टूबर 1997 को अमृतसर के गोल्डन टैंपल में माथा टेका था। वैसे तो गोल्डन टैंपल में कोई नंगे पैर ही जा सकता है, लेकिन महारानी के लिए नियमों में बदलाव करते हुए उन्हें मोजे पहनकर आने की परमिशन दी गई थी। गोल्डन टैंपल आने से पहले महारानी जलियांवाला बाग भी गई थीं और फूल चढ़ाकर शहीदों को नमन किया था। अपनी यात्रा के दौरान एलिजाबेथ ने जलियांवाला बाग नरसंहार को दुखद बताया था।

साल 1997

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