गहलोत सरकार के खिलाफ निजी शिक्षा संस्थान
गहलोत सरकार के खिलाफ निजी शिक्षा संस्थान Social Media
राजस्थान

Rajasthan Budget 2023: निजी शिक्षा संस्थान के मालिक हुए गहलोत के खिलाफ, आंदोलन करने की दी चेतावनी

Akash Dewani

जयपुर, राजस्थान। प्रदेश के निजी शिक्षा संस्थान राजस्थान सरकार के द्वारा हाल ही में लाए गए निजी शिक्षा संस्थान नियामक प्राधिकरण विधेयक 2023 (Private Education Institute Regularity Authority Bill) का कड़ा विरोध करना शुरू कर दिया है। निजी विद्यालयों एवं संस्थानों के मालिकों का कहना है कि गहलोत सरकार शिक्षा से जुड़े निजी संस्थानों पर दबाव बनाने के लिए ये विधेयक लाया गया है, जिसे वह बिल्कुल स्वीकार नहीं करेंगे।

क्या है इस बिल में?

एक निजी विद्यालय के अध्यापक ने बताया है कि राजस्थान सरकार इस बिल के द्वारा प्राइवेट स्कूलों एवं इंस्टिट्यूशन पर नियंत्रण के लिए विनियामक प्राधिकरण का गठन करने जा रही है, जिसका खर्चा वहन करने के लिए राज्य सरकार निजी विद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों की 1% फीस वसूल करेगी। अगर इस प्रकार सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी किसी विद्यालय पर कोई सजा का प्रावधान रखती है तो उसकी सुनवाई का हक भी सिविल कोर्ट के पास नहीं होगा।

अध्यापक ने आगे कहा कि आरटीई के तहत राजस्थान की सभी निजी और सरकारी स्कूलों के अंदर प्राइमरी कक्षाओं जैसे की नर्सरी क्रेजी और प्रेप में 25% तक सीटों पर विद्यार्थियों को मुफ्त में प्रवेश देने का दिक्कत देने वाला निर्णय पहले से ही लिया जा चुका है, जिसके अंतर्गत प्रथम कक्षा तक आने वाले सभी बच्चों का खर्चा सरकार न उठाकर उस विद्यालय को ही उठाना पड़ेगा।

इन्ही कुछ कारणों की वजह से प्रदेश भर के सभी निजी विद्यालयों के संचालक इस बिल का पूर्ण रूप से विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की धमकी भी दे दी हैं। प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के द्वारा कहा गया है कि राज्य सरकार ने अगर इन प्रावधानों को समय रहते नहीं सुधारा तो राजस्थान में प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा और जिसके लिए राजस्थान सरकार खुद जिम्मेदार होगी इसके अलावा अगर हमें जरूरत पड़ी तो हम उच्चतम न्यायालय का भी सहारा लेंगे किंतु सरकार के निर्णय को नहीं मानेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि अगर इस नीति को लागू किया गया तो राजस्थान के लगभग सभी जिलों के 70 से 80 हजार निजी विद्यालय बंद होने की दहलीज पर पहुंच जायेंगे, जिसमे सबसे बड़ा घाटा मध्यमवर्ग के लोगों को होगा।

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