मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में राजनाथ सिंह का संबोधन- इन तथ्‍यों पर दिया जोर
मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में राजनाथ सिंह का संबोधन- इन तथ्‍यों पर दिया जोर Priyanka Sahu -RE
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मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में राजनाथ सिंह का संबोधन- इन तथ्‍यों पर दिया जोर

Author : Priyanka Sahu

मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल 2020: देश के सबसे बड़े सालाना फेस्ट में शुमार सैन्य साहित्यिक उत्सव या कहे मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल का उद्घाटन इस साल 2020 में महामारी कोरोना के कारण वर्चुअल तरह से आयोजित हुआ है। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के माध्यम से मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में शिरकत की।

मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में बोले राजनाथ सिंह :

मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल 2020 के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना और बॉर्डर से जुड़े तथ्यों को आम जन तक पहुंचाने और नई पीढ़ी के लिए तैयार करने पर जोर दिया। अपने संबोधन में उन्‍होंने कहा- आज मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में आप सभी साहित्य प्रेमियों के बीच आकर मुझे बड़ी खुशी हो रही है। यह उत्सव, धीरे-धीरे सैन्य जीवन और आम जनता को जोड़ने वाले सेतु के रूप में विकसित हो रहा है।

यहाँ लोग किताबों के द्वारा, सेना से जुड़ी सैद्धांतिक जानकारियां तो ले ही सकते हैं, सेना के अफसरों और जवानों से संवाद करके, उनके निजी और रियलिस्टिक अनुभवों को भी जान सकते हैं। साथ ही उनके दिखाए गए करतबों से वे सेना के ऑपरेशंस और उनकी कार्य प्रणालियों के बारे में भी जान सकते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- हमारा पंजाब प्रांत आज से नहीं, सदियों से शूर-वीरों का जन्मदाता रहा है। ऐसे में इस तरह के उत्सव की शुरुआत अगर कहीं से हो सकती थी, तो वह पंजाब प्रांत से ही हो सकती थी। यह आयोजन हमारे उन वारियर्स को श्रद्धांजलि भी है, जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया। हमारे देश में राष्ट्रीयता की भावना से लिटरेचर लिखे जाने की पुरानी परंपरा रही है। हिंदी हो या पंजाबी, या फिर गुजराती, लगभग सभी भाषाओं में ऐसे लेखन हुए हैं, जिन्होंने अपने समय में लोगों के अंदर स्वदेश प्रेम की भावना को जागृत और विकसित किया है। प्राचीन काल में ‘चाणक्य’ जैसे विद्वान रहे हैं, जिन्होंने वारफेयर के बारे में लिखा है, जो कई दृष्टियों से आज भी प्रासंगिक हैं।

आने वाली पीढ़ियां ख़ासकर सीमाई इतिहास को जानें-समझें :

राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि, ''वहीँ आधुनिक भारत में देखें, तो ‘महात्मा गांधी’, ‘सुभाष चंद्र बोस’, ‘सरदार भगत सिंह’ और ‘लाला लाजपत राय’ से लेकर ‘प्रेमचंद’, ‘जयशंकर प्रसाद’ और ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ ने राष्ट्रीयता की जो अलख अपनी लेखनी से लगाई, वह आज भी पाठकों के ह्रदय को राष्ट्रप्रेम के प्रकाश से भर देती है।'' आगे उन्‍होंने कहा, ''मिलिट्री लिटरेचर को आमजन से जोड़ने के पीछे, खुद मेरी भी गहरी रुचि रही है। मेरी बड़ी इच्छा है कि हमारी आने वाली पीढ़ियां, हमारे देश के इतिहास, ख़ासकर सीमाई इतिहास को जानें और समझें।''

राजनाथ सिंह ने बताया कि, ''इसलिए रक्षा मंत्री का पद ग्रहण करने के साथ ही, मैंने बकायदा एक कमेटी गठित की। यह हमारे सीमाई इतिहास, उससे जुड़े युद्ध, शूरवीरों के बलिदान और उनके समर्पण को सरल और सहज तरीके से लोगों के सामने लाने की दिशा में काम कर रही है।''

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- रक्षा मंत्रालय से जुड़े थिंकटैंक, मिलिट्री, स्ट्रेटजी से जुड़ी रेसर्चेस, जर्नल्स और पीरियोडिकल्स का ऑफलाइन और ऑनलाइन प्रकाशन करते हैं, ताकि इस विषय में रुचि रखने वाले लोगों तक ऐसी सामग्रियां पहुंच सकें। समय-समय पर मैं खुद इन कामों की समीक्षा करता रहता हूँ और जरूरी दिशानिर्देश देता रहता हूँ। मेरा प्रयास रहता है, कि हमारे देश की जनता, अलग-अलग स्तरों पर हमारी सेनाओं, और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चीजों को अच्छी तरह से समझें और यथासंभव उसमें अपना योगदान भी दें।

रक्षा मंत्री राजनाथ द्वारा कही गई प्रमुख बातें :

  • इसके अलावा हमारी सेनाओं की Leaderships द्वारा लिखी गई बुक्स, जैसे जनरल वी.पी. मलिक की ‘कारगिल’, ले. जनरल हरबक्स सिंह की ‘War Despatches’ और रचना बिष्ट रावत की ‘The Bravehearts’ जैसी किताबें, न केवल सेना से जुड़े लोगों, बल्कि उससे बाहर भी बहुत लोकप्रिय हुईं।

  • इस साल का यह आयोजन और भी खास हो जाता है, जब हमारा पूरा देश 1971 के युद्ध का स्वर्णिम वर्ष मना रहा है। इस युद्ध में हमारी सेनाओं ने अपने शौर्य और पराक्रम का जो प्रदर्शन किया था, वह आज भी एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।

  • ‘डिफेंस' और 'स्ट्रेटजी' से जुड़े विषयों के साथ-साथ, देश की 'संस्कृति’, 'जय जवान-जय किसान', 'आत्मनिर्भरता' और 'बॉलीवुड' जैसे विषयों पर संवाद, इस आयोजन को बहुत व्यापक बना देते हैं।

  • एक और दृष्टिकोण से यह आयोजन मुझे बहुत महत्वपूर्ण लगता है। जैसे समय बदल रहा है, खतरों और युद्धों के चरित्र में भी बदलाव आ रहा है।भविष्य में और भी सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हमारे सामने आ सकते हैं। धीरे-धीरे संघर्ष इतना व्यापक होता जा रहा है, जिसकी पहले कभी कल्पना भी नहीं की गई थी।

  • हमारे यहां लिटरेरी और फ़िल्म फेस्टिवल्स का ट्रेंड तो रहा है पर मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल अपने आप में बिल्कुल नई शुरुआत है। इसकी सफलता इसके प्रारंभ हो जाने में ही है।

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