पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति का अनावरण
पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति का अनावरण Priyanka Sahu -RE
भारत

हरियाणा में राजनाथ सिंह और CM खट्टर ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति का किया अनावरण

Priyanka Sahu

हरियाणा, भारत। हरियाणा के झज्जर में आज रविवार को सम्राट पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा के अनावरण समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कुलाना में पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा का अनावरण किया।

कुलाना में पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ''सड़कों के विषय में पूरे ज़िले में PWD की 100 करोड़ रुपए की सड़कों की मरम्मत और नई बनाने काम कराया जाएगा।'' तो वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा अनावरण समारोह में सम्बोधन कहा- सम्राट पृथ्वीराज चौहान की गिनती भारतवर्ष के उन महान शासकों में होती है जिन्होंने केवल एक बड़े भूभाग पर ही राज नही किया बल्कि अपने शौर्य, पराक्रम, न्यायप्रियता और जन कल्याण के चलते जनता के दिलों पर भी राज करने में कामयाबी हासिल की। मेरा यह मानना है कि सम्राट पृथ्वीराज भारत की उस सांस्कृतिक चेतना और परंपरा के अंतिम शासक थे जो इस देश की मिट्टी में पैदा हुई और पली बढ़ी।

तराईन की पहली लड़ाई 1191में जीतकर पृथ्वीराज चौहान ने दुश्मन के प्रति सह्रदयता दिखाते हुए उसे जिंदा वापिस लौटने दिया था। परिणाम यह हुआ कि अगले ही साल मुम्मद गोरी एक बड़ा लाव लश्कर लेकर आया और पृथ्वीराज चौहान को इस बार हार का सामना करना पड़ा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने आगे यह भी कहा- दुश्मन के साथ मानवीय व्यवहार करना या सदाशयता दिखाकर उसे माफ कर देना अच्छी बात है। मगर उसे इतना मौका दे देना कि वह दुबारा पलटकर आप पर हमला कर दे, इसे हमारे यहां ‘सद्गुण विकृति’ कहा गया है। यह सद्गुण विकृति केवल सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समस्या नहीं थी। यह समस्या धीरे-धीरे पैदा हुई जब भारत अपने आर्थिक और सांस्कृतिक वैभव पर पहुंचा, तो हमने शांति को सर्वाधिक प्राथमिकता दी। हमने युद्ध को त्याग कर बुद्ध को अपनाया और पूरे समाज में शांति और अहिंसा संदेश दिया गया।

  • प्रख्यात इतिहासकार आर्नल्ड टायन्बी ने लिखा है, कि जब कोई सभ्यता अति सभ्य हो जाती है, तो कोई न कोई बर्बरता उसे निगल जाती है। भारत की संस्कृति को भले ही कोई निगल नहीं पाया, मगर शासन सत्ता के स्तर पर जो कमजोरी आई, उसका खामियाजा भारत को सदियों की गुलामी के रूप में भुगतना पड़ा है।

  • अंग्रेजों ने कह दिया कि भारत एक राष्ट्र है ही नहीं। India is a nation in the Making. जबकि उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्, वर्ष तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्तति का भाव इस देश में सदियों से है। ‘आसेतु हिमाचल’ की बात भी भारत की एकता और स्वरूप को परिभाषित करती है।

  • हमें इस बात पर हर्ष और गर्व होना चाहिए कि इस समय देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक ऐसी सरकार काम कर रही है, जिसने इस देश की आकांक्षाओं को समझा है और सांस्कृतिक विरासत को भी सम्मान दिया है। हमें ग़ुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने की आवश्यकता है।हाल में ही अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही राजशाही मानसिकता को त्याग कर राजपथ का नाम कर्तव्य पथ कर दिया है और इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र की एक भव्य प्रतिमा भी लगा दी है।

  • हाल ही में भारतीय नौसेना का अंग्रेजी निशान भी बदल दिया गया है। भारत के युद्ध पोतों पर अब सेंट जार्ज का क्रास नहीं भारतीय नौसेना के जनक छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरित निशान लगाया जा रहा है।

  • आप सबको जानकारी होगी कि 2023 में G20 समूह की अध्यक्षता भारत को करनी है और इस दृष्टि से भारत में कई आयोजन होने है। इसके लिए, पिछले दिनों एक लोगो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जारी किया। इस लोगो में कमल का फूल भी है। G-२० के लोगो में कमल का फूल देखकर कुछ लोग हंगामा खड़ा कर रहे हैं। कमल का फूल 1950 में भारत का राष्ट्रीय पुष्प घोषित किया गया था। उन्होंने यह इसलिए किया था, क्योंकि कमल का फूल इस देश की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।

  • जब 1857 का प्रथम स्वाधीनता संग्राम लड़ा गया था तो आजादी के मतवालों ने एक हाथ में रोटी और एक हाथ में कमल का चुनाव किया था। यानि जो बात इस देश की सांस्कृतिक अस्मिता से जुड़ी हो उसे भुला दिया जाए क्योंकि वह हमारा चुनाव चिन्ह है।

  • यह तो वही बात हुई कि हाथ एक राजनीतिक पार्टी का सिंबल है तो लोग हाथ शब्द का प्रयोग छोड़ दें। किसी का निशान साइकिल है तो साइकिल छोड़ दे। कमल का फूल भारतीय संस्कृति और अस्मिता से जुड़ा हुआ है।

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