संघ की ड्रेस में आग से बवाल
संघ की ड्रेस में आग से बवाल Syed Dabeer Hussain - RE
भारत

संघ की ड्रेस में आग से बवाल, जानिए क्या है इस ड्रेस का इतिहास?

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक तस्वीर पोस्ट की है, जिसको लेकर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। दरअसल इस तस्वीर में आरएसएस की हाफ पैंट को एक किनारे से जलता हुआ दिखाया गया है। इस तस्वीर के साथ कांग्रेस ने लिखा है कि, ‘देश को नफरत के माहौल से मुक्त करने और भाजपा आरएसएस द्वारा किए नुकसान की भरपाई करने के लिए, कदम दर कदम बढ़ाते हुए हम अपने लक्ष्यों तक पहुंचेंगे।’ इस तस्वीर के सामने आने के बाद भाजपा और आरएसएस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा ने तस्वीर की आलोचना करते हुए कहा है कि, ‘आग लगाना कांग्रेस की पुरानी आदत रही है।’

संघ और खाकी निक्कर का संबंध :

अगर हम इतिहास को खंगाले तो संघ और खाकी निक्कर का संबंध इसके स्थापना के समय से ही रहा है। करीब 90 सालों तक खाकी हाफ पैंट संघ की पहचान रही है। दरअसल साल 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार के घर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी। उस समय संघ के कार्यकर्ताओं के लिए खाकी शर्ट, खाकी निकर, ख़ाकी टोपी, लंबे मोज़े और जूतों का ड्रेस कोड तय किया था। संघ के कार्यकर्ताओं एचवी शेषाद्री द्वारा लिखित हेडगेवार की जीवनी के अनुसार हेडगेवार ने संघ की स्थापना से पहले ही स्वंयसेवक मंडल के सदस्यों के लिए इस ड्रेस कोड को तैयार किया था। इसे बाद में आरएसएस ने अपना लिया था।

कब-कब हुआ बदलाव?

संघ की स्थापना के महज पांच साल बाद ही आरएसएस ने अपने ड्रेस कोड में बदलाव करते हुए ख़ाकी टोपी को हटाकर उसकी जगह काली टोपी को शामिल कर लिया। इसके बाद साल 1939 में आरएसएस ने एक बार फिर अपनी ड्रेस कोड में बदलाव करते हुए खाकी शर्ट को हटाकर उसकी जगह सफ़ेद शर्ट को शामिल कर लिया। इसके बाद साल 1973 में चमरौंधे बूट और लंबे मोज़ों की जगह सामान्य जूते और मोज़े शामिल किए गए। साल 2010 में आरएसएस ने चमड़े की बेल्ट की जगह कैनवस बेल्ट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

निक्कर की जगह फुल पैंट :

संघ और खाकी निक्कर का 90 सालों का संबंध साल 2016 में खत्म हुआ जब आरएसएस ने एक बार फिर से अपनी गणवेश में बदलाव करते हुए खाकी निक्कर को हटाकर उसकी जगह फुल भूरे रंग की पैंट को शामिल कर लिया। आरएसएस ने यह बदलाव युवाओं को संगठन से जोड़ने के लिए किया था।

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