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दो तरफा चुनौतियों के बीच सैन्य उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता पहली प्राथमिकता : राजनाथ सिंह

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। चीन और पाकिस्तान के रूप में दो मोर्चों पर मिल रही चुनौतियों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि प्रतिरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करते हुे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से सभी जरूरी तैयारियां करना केंद्र सरकार की पहली प्राथमिकता है। हम एक ऐसा ढ़ांचा विकसित करना चाहते हैं, जिसमें हमारी सैन्य आवश्यकताएं हमारे घरेलू उद्योग पूरी करने में सक्षम हों। भारत की किसी को नुकसान पहुंचाने की नीति नहीं रही है, लेकिन नई विश्व व्यवस्था में उभरने वाली चुनौतियों से मुकाबले के लिए हमें पूरी तैयारी रखनी होगी। राम नवमी के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी सेनाएं किसी भी चुनौती का जवाब देने में सक्षम हैं। हम मौजूदा जरूरतों के अनुरूप अपनी तैयारियों को आकार दे रहे हैं।

भारत की पहचान हैं राम, उनके व्यापक विश्व रूप को समझें

उन्होंने रामनवमी के दिन आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में भगवान राम का जिक्र करते हुए कहा कि वह हमारे लिए पत्थर, लकड़ी और मिट्टी पर उकेरा गई एक प्रतिमूर्ति या अवतार नहीं हैं, बल्कि भगवान राम हमारी और हमारे देश की पहचान हैं। सरकार अस्पताल, स्कूल और उद्योग लगाएगी और उसके साथ ही मंदिर भी बनाएगी। जब अयोध्या में केंद्र सरकार ने भव्य राम मंदिर के निर्माण का फैसला लिया तो उस वक्त बहुत लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। कुछ ने कहा वहां पर अस्पताल बना दिया जाए, कुछ ने स्कूल तो कुछ ने उद्योग लगाने की वकालत की। ये वो लोग हैं जो भगवान राम को न जानते हैं और न समझते हैं। हमें भगवान राम को उनके सर्व व्यापक रूप में समझने की जरूरत है, तभी हम उनकी कुछ-कुछ धारणा कर पाएंगे।

दक्षिण एशिया में मजबूत हुई भारत की सामरिक स्थिति

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी ओर से सुरक्षित सीमाएं, समग्र विकास और परिवर्तित प्रगतिशील अंतरराष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। यह आधुनिक युग की बड़ी सच्चाई है। जिसे बहुत सारे लोग स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। आज लड़ाकू विमान से लेकर तोपखाने तक में महिलाएं प्रमुख भूमिका में मौजूद है। महिलाओं को सैन्य बलों में शामिल करने का मकसद सेना में लैंगिक असमानता दूर करना है। आप देश सकते हैं कि भारतीय सेना में महिलाओं को समान रूप से अवसर उपलब्ध हैं। बीते कुछ सालों में देश के रक्षा के क्षेत्र में तीव्र परिवर्तन देखने को मिले हैं। इस बदलावों की वजह से ही आज भारत दक्षिण एशिया में मजबूत शक्ति के रूप में खड़ा है। एक लक्ष्यपरक रणनीति पर लगातार काम करने की वजह से यह सम्मानजनक स्थिति हासिल हुई है।

प्रतिरक्षा उत्पादन में हासिल की आत्मनिर्भरता

प्रतिरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए मंत्रालय ने कई अहम कदम उठाए हैं। जिनमें रक्षा उत्पादों के स्वदेशी स्तर पर उत्पादन को प्रोत्साहित करना, 2023-24 से घरेलू रक्षा उद्योग से जरूरी खरीद के लिए पूंजीगत बजट की 75 फीसदी धनराशि का निर्धारण करना और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में जगह बनाने में सहायता करना आदि प्रमुख हैं। हाल के दिनों में किए गए प्रयासों का ही नतीजा है कि हाल के दिनों में देश में प्रतिरक्षा उत्पादों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। अब हम अपनी जरूरतों को ही नहीं पूरा कर रहे हैं, बल्कि अन्य देशों को भी रक्षा उपकरण निर्यात कर रहे हैं। हाल के सालों में निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। सात से आठ साल पहले रक्षा निर्यात 900 करोड़ रुपए था, 2022-23 में यह 14 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। इसे केंद्र सरकार ने 2026 तक 40 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

2027 तक देश बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व की वजह से भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अब देश की अंतरराष्ट्रीय छवि बदल गई है। पीएम मोदी के नेतृत्व की वजह से ही हम वैश्विक मंदी और कोविड महामारी जैसी चुनौतियों से बचकर निकलने में सफल हुए हैं। बीते वर्ष सर्वाधिक एफडीआई 83.57 बिलियन डॉलर देश को मिला है। अब अनुमान लगाए जा रहे हैं कि 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। मुझे उम्मीद है कि जब वर्ष 2047 में जब हम देश की आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाएंगे तब भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की शीर्षस्थ अर्थव्यवस्था होगी। अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने जी-20 और एससीओ की अध्यक्षता को लेकर दुनिया में बढ़े भारत के कूटनीतिक कद का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, नए भारत में उच्च वर्ग वादी सोच की कोई जगह नहीं है। हम 140 करोड़ देशवासियों को समान रूप से अवसर प्रदान करना चाहते हैं। एक मजबूत और सशक्त भारत का सपना तभी साकार होगा जब सभी लोग एक साथ देश को पूर्ण ऊर्जा और समर्पण के साथ आगे बढ़ाएंगे।

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