आत्मनिर्भर किन्नर बने मिसाल।
आत्मनिर्भर किन्नर बने मिसाल। - Social Media
दक्षिण भारत

जानिये क्यों मिसाल है तमिलनाडु में किन्नरों की यह कॉलोनी

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स –

  • आत्मनिर्भर किन्नर बने मिसाल

  • दुग्ध डेयरी बनी आजीविका का साधन

  • रहने, खाने और कमाने के पर्याप्त इंतजाम

  • जिला प्रशासन ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

राज एक्सप्रेस। तमिलनाडु में ट्रांसजेंडर समुदाय (transgender community) की आत्मनिर्भरता के लिए बड़ा एवं सार्थक कदम उठाया गया है। यहां थूथुकुडी जिले के कोविलपट्टी शहर से तीन किलोमीटर दूर मंथिथोप्पु (Manthithoppu) में स्थित स्पेशल कॉलोनी और दुग्ध फार्म मिसाल बन चुका है।

दुग्ध डेयरी बनी आजीविका का साधन।

ट्रांस महिलाएं सर्वेसर्वा -

भारत (India) की सबसे पहली पंजीकृत दुग्ध संस्था पूरी तरह से ट्रांस महिलाएं संचालित करती हैं। इस अभिनव प्रेरक संस्था का उद्घाटन जिला प्रशासन ने इस महीने की शुरुआत में किया था।

दुग्ध संस्था पूरी तरह से ट्रांस महिलाएं संचालित करती हैं।

रहने-कमाने का प्रबंध -

जिले में विशेष रूप से ट्रांसजेंडर लोगों के सशक्तिकरण के लिए इस फार्म को एकीकृत आवासीय-सह-आजीविका केंद्र के रूप में विकसित किया गया है।

एकीकृत आवासीय-सह-आजीविका केंद्र के रूप में किया गया है विकसित।

दो एकड़ जमीन -

लगभग 85 ट्रांस लोगों के लिए दो एकड़ जमीन पर एक आवास कॉलोनी बनाई गई है। साथ ही एक डेयरी फार्म भी है जो मूल तौर पर इस वर्ग की आजीविका का मुख्य साधन है। इस डेयरी का संचालन इस वर्ग के लोग मिल-जुलकर करते हैं।

दो एकड़ जमीन पर बनाई गई है आवास कॉलोनी।

कलेक्टर ने उठाया बीड़ा -

पूरी परियोजना का नेतृत्व जिला कलेक्टर संदीप नंदूरी ने किया। ट्रांस एक्टिविस्ट ग्रेस बानू ने भी इस काम में महती भूमिका निभाई।

ट्रांसजेंडर्स के उत्थान में जिला कलेक्टर संदीप नंदूरी ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका।

इंद्रधनुष के सात रंग -

ट्रांसजेंडर्स के जीवन में इंद्रधनुषी रंग भरने के काम में सात विभागों का सहयोग बहुत अहम है। ये विभाग इस सपने को साकार करने के लिए जुलाई 2019 से जी-जान से जुटे थे।

इनकी अहम भूमिका -

राजस्व (Revenue), कौशल विकास (Skill Development), पशुपालन (Animal Husbandry), सहकारिता (Cooperatives) और ग्रामीण विकास (Rural Development) ने परियोजना को साकार करने में हर कदम पर कदमताल की।

हटकर करने की चाहत -

ट्रांस एक्टिविस्ट ग्रेस बानू थूथुकुडी में अन्य जिला प्रशासन की तरह किन्नर वर्ग (ट्रांसजेंडर्स-Transgender) के उत्थान के लिए बनाई गई आवासीय कालोनियों से हटकर काम करने की इच्छुक थीं।

वह यह सुनिश्चित करना चाहती थीं कि आवास आवंटन के अलावा ट्रांस वर्ग के जीवन स्तर में सुधार के लिए आजीविका योजना भी समाहित हो।

उन्होंने भोजन, आश्रय, शांतिपूर्ण जीवन यापन और आजीविका के साधन के तौर पर पंजीकृत संस्था बनाने के लिए जिला प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया।

रोजाना इतना दुग्धापूर्ति -

मंथिथोपे ट्रांसजेंडर मिल्क प्रोड्यूसर सोसाइटी (Manthithope Transgender Milk Producer Society) जुलाई से राज्य के स्वामित्व वाले संगठन आविन (AAVIN) को रोजाना लगभग 250 से 280 लीटर दुग्ध की आपूर्ति कर रही है।

तमिलनाडु के दुग्ध उत्पादक संघ से मिल रही मदद।

AAVIN तमिलनाडु को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन लिमिटेड का एक प्रचलित ट्रेडमार्क है, जो तमिलनाडु स्थित दुग्ध उत्पादक संघ है।

जिलाधीश की सजगता -

जिला प्रशासन ने ट्रांसजेंडर्स के लिए इस खास परियोजना के उद्घाटन मात्र से इतिश्री नहीं कर ली बल्कि जिलाधीश इस वर्ग के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत भी हैं। वे कहते हैं-

"समस्या सिर्फ उनके घरों के निर्माण के साथ खत्म नहीं हुई है, बल्कि एक सुरक्षित आजीविका की स्थापना के इर्द-गिर्द भी घूमती है।"
संदीप नंदूरी, कलेक्टर, जिला-थूथुकुडी

बकौल नंदूरी - "हमने राजस्व, जिला ग्रामीण विकास, लोक निर्माण, सहकारिता, कौशल विकास विभाग, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) और भूविज्ञान एवं खनन विभाग से संबद्ध सात योजनाओं से धन लेने की योजना बनाई। इस परियोजना की कुल लागत 1.77 करोड़ रुपये थी।

मिसाल की कायम -

समाज में हाशिये पर रखे गए किन्नर वर्ग के उत्थान के लिए तमिलनाडु में थूथुकुडी जिले के मंथिथोप्पु में ट्रांसजेंडर्स के लिए विकसित रोजगार प्रदाता आवासीय क्षेत्र दुनिया भर के लिए एक मिसाल बन चुका है।

रोजगार संग घर का सुख देने वाली इस खास कॉलोनी के रहवासी ट्रांसजेंडर खासे खुश हैं क्योंकि अब उनके पास रहने को मकान है, पैसा है और इज्जत भी।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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