नहीं रहे संस्कृत के विद्वान श्रीभाष्यम, केसीआर ने जताया शोक
नहीं रहे संस्कृत के विद्वान श्रीभाष्यम, केसीआर ने जताया शोक Social Media
दक्षिण भारत

नहीं रहे संस्कृत के प्रकांड विद्वान श्रीभाष्यम, केसीआर ने जताया शोक

News Agency

करीमनगर। संस्कृत के प्रख्यात विद्वान, लेखक, कवि एवं पद्मश्री श्रीभाष्यम विजयसारथी का बुधवार को उनके आवास पर आयु संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। करीमनगर जिले के चेगुरथी गांव में जन्मे श्री विजयसारथी ने सात साल की उम्र में कविता की रचना शुरू कर दी थी। उनकी प्राथमिक शिक्षा हालाँकि उर्दू माध्यम से हुई थी, फिर भी उन्होंने संस्कृत के विद्वान के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वह करीमनगर शहर के बाहरी इलाके बोम्मकल में यज्ञ वराह स्वामी मंदिर के संस्थापक थे।

श्री विजयसारथी ने 'सीसम', एक तेलुगु काव्य की रचना की है। वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने संस्कृत में पत्र-पत्रिका प्रकाशित की थी। वह अपने काम मंदाकिनी और अपनी कविता में 'धातुओं' को लेकर सुर्खियों में रहे थे। उन्हें साहित्य और शिक्षा श्रेणी में पद्मश्री से नवाजा गया था। उन्होंने संस्कृत और तेलुगु में 100 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान पद्मश्री विजयसारथी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि श्रीभाष्यम का निधन देश में संस्कृत भाषा के लिए अपूरणीय क्षति है। इस मौके पर उन्होंने श्रीभाष्यम की साहित्यिक सेवाओं को याद किया।

केसीआर ने कहा कि श्रीभाष्यम ने कविता रचने के अलावा कविता को मधुरता से सुनाने में असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि उनका जीवन आज के कवियों के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए धर्मयुद्ध करने वाले विजयसारथी के निधन पर समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने भी शोक व्यक्त किया है।

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