सामुदायिक रसोई पर केंद्र को फटकार
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सामुदायिक रसोई पर केंद्र को फटकार, तीन सप्ताह में करें ठोस पहल : सुप्रीम कोर्ट

News Agency

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने देशभर में सामुदायिक रसोई स्थापित करने के मामले में केंद्र सरकार के तौर-तरीकों पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए मंगलवार को एक बार फिर फटकार लगाई और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक कर इस मामले में उनकी सहमति प्राप्त करने के साथ तीन सप्ताह में ठोस पहल करने का आदेश दिया।

मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमन और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सभी राज्य सरकारों को भी आदेश दिया कि वे कोरोना महामारी से उत्पन्न विषम परिस्थिति की मार झेल रहे गरीबों को भोजन कराने की इस योजना को जल्द मूर्त रूप देने के प्रयासों में अपना दायित्व निभाएं। पीठ ने कहा, "हम सभी राज्यों को इस योजना में भारत सरकार का सहयोग करने का निर्देश देते हैं।"

पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी राज्य सरकार को कोई आपत्ति होगी तो वह इस मामले में अगली सुनवाई पर विचार करेगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे में दिए गए विवरण से ऐसा लगता है कि वह अब भी सुझाव लेने की प्रक्रिया में ही है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली इस पीठ ने सरकार द्वारा अब तक अपनाई गई प्रक्रियाओं और किए गए प्रयासों पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि सरकार इस योजना को लागू करने के मूड में नहीं है।"

सर्वोच्च अदालत ने सरकारों को अपना दायित्व याद दिलाते हुए कहा, "किसी भी कल्याणकारी राज्य की पहली जिम्मेदारी लोगों को भूखे मरने से बचाने की होती है।" खंडपीठ ने बिहार, उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा को भी इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

शीर्ष अदालत सामाजिक कार्यकर्ता अनु धवन, ईशा धवन, और गुंजन सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। महामारी के दौर में गरीबों के समक्ष उत्पन्न भुखमरी की समस्या दूर करने के लिए याचिका में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सब्सिडी वाली सामुदायिक रसोई देशभर में स्थापित करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने इस योजना को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू करने की गुहार लगायी है।

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