दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर संसद में हंगामा
दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर संसद में हंगामा Social Media
भारत

दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर संसद में हंगामा, स्थगित हुई कार्यवाही

Aditya Shrivastava

राज एक्सप्रेस। संसद के दोनों सदनों लोकसभा एवं राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली हिंसा को लेकर जमकर हंगामा हुआ था। विपक्ष के सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। लोकसभा में 'प्रधानमंत्री जवाब दो' के भी नारे लगे। विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि जिनके कार्यकाल में 1984 जैसी घटना हुई वो आज यहां पर हंगामा कर रहे हैं। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं।

वही, आज मंगलवार को AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में दिल्ली दंगों पर चर्चा का विरोध करने के लिए केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि, सांसदों को बोलने से रोका नहीं जा सकता। उनकी ये टिप्पणी तब आई है, जब एक दिन पहले ही उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा बुलाई गई एक बैठक में हिस्सा लिया था। स्पीकर सदन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सभी दलों के साथ बातचीत करना चाहते थे, क्योंकि बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले ही दिन दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ था।

ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा, मैंने स्पीकर द्वारा बुलाई गई सभी पार्टी मीटिंग में हिस्सा लिया। संसद में 2002 के गुजरात दंगों पर चर्चा हुई। अब सरकार दिल्ली में हुए नरसंहार पर चर्चा का विरोध कर रही है, क्योंकि इससे शांति भंग होगी।

उन्होंने आगे कहा कि, बहस सदन के नियम और प्रक्रिया के तहत होती है। यदि कोई उनका उल्लंघन करता है तो उसे रिकॉर्ड से बाहर कर दिया जाना चाहिए। लेकिन सांसदों को बोलने से रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि, प्रभावितों से मिलने जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने के लिए मैं भी तैयार हूं।

विपक्षी सदस्यों द्वारा इस मुद्दे पर हंगामे के बाद लोकसभा को कुछ घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया। विपक्षी सदस्यों द्वारा दिल्ली में हुए दंगों पर बहस की मांग करने पर लोकसभा कई बार स्थागित की गई।

विपक्ष के हंगामे पर लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि, दिल्ली में एक बार स्थिति सामान्य होने पर बहस होगी। दिल्ली में स्थिति सामान्य बनाए रखने के लिए सभी राजनीतिक दलों का सामूहिक प्रयास होना चाहिए। स्पीकर ने विपक्षी सांसदों से कहा कि, "ये लोकतंत्र का मंदिर है, हम भी शांति चाहते हैं।"

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