कृष्ण जन्मभूमि विवाद : SC में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज
कृष्ण जन्मभूमि विवाद : SC में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज Raj Express
उत्तर प्रदेश

कृष्ण जन्मभूमि विवाद : SC में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, HC में होगी विवाद से जुड़े 15 मामलों की सुनवाई

Author : gurjeet kaur

हाइलाइट्स :

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर हुई थी याचिका।

  • शाही ईदगाह मस्जिद ने हाई कोर्ट के आदेश को बताया था तथ्यों से परे।

Krishna Janmabhoomi Dispute : उत्तरप्रदेश। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका ख़ारिज कर दी है। मस्जिद विवाद से जुड़े 15 मामलों की सुनवाई इलाहबाद हाई कोर्ट में ही होगी। सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद को अपना मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पेश करने के लिए कहा है। पिछली सुनवाई में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सभी मामलों को एक सामान मानते हुए सभी मामलों की एक साथ सुनवाई करने का आदेश दिया था।

मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़े कई मामले इलाहबाद हाई कोर्ट के सामने आए थे। कोर्ट ने कहा था कि, सभी मामलों की प्रकृति एक समान है सभी मामलों पर फैसला भी एक समान सबूतों के आधार पर होना है। शाही ईदगाह मस्जिद ने कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज करते हुए हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को जस्टिस संजीव खन्ना की अगुआई वाले बेंच ने मामले की सुनवाई की।

हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद को अपना मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पेश करने के लिए कहा था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित 15 मामलों को एक साथ सुनवाई के लिए समेकित किया था और आज शाही ईदगाह मस्जिद उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आये...सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के चकबंदी आदेश के खिलाफ रिकॉल अर्जी दायर कर चुके हैं, इसलिए पहले रिकॉल अर्जी पर फैसला हो और फिर आप सुप्रीम का रुख कर सकते हैं।

शाही ईदगाह मस्जिद का पक्ष :

शाही ईदगाह मस्जिद का कहना है कि, 15 अलग - अलग मामलों को उचित सुनवाई के बिना जल्दबाजी में एक साथ सुनने के लिए समेकित किया गया। शाही ईदगाह मस्जिद ने इसे न्याय का गंभीर नुकसान बताया है और है कोर्ट के निर्णय को तर्क और तथ्यों से परे बताया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, उसे है कोर्ट के निर्णय में दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता।

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