Muzaffarnagar Kisan Mahapanchayat में उमड़ा हुजूम
Muzaffarnagar Kisan Mahapanchayat में उमड़ा हुजूम Social Media
उत्तर प्रदेश

Muzaffarnagar Kisan Mahapanchayat में उमड़ा हुजूम- राकेश टिकैत भी पहुंचे मुजफ्फरनगर

Priyanka Sahu

Muzaffarnagar Kisan Mahapanchayat: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन अभी तक जारी है। न मान रहे अन्‍नदाता और न ही सुन रही सरकार। कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते-करते किसानों को 9-10 महीने से भी ज्‍यादा समय हो चुका है। इस बीच प्रदर्शनकारी किसान अपनी मांग पूरी करने के लिए कुछ न कुछ जतन कर रहे हैं और आज 5 सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान महापंचायत का आयोजन किया, जिसमें किसानों की भीड़ उमड़ी है।

राकेश टिकैत पहुंचे मुज़फ़्फ़रनगर :

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित इस किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत मुज़फ़्फ़रनगर पहुंच गए है। इस दौरान उन्होंने कहा, "ये महापंचायत पूरे देश में होगा। हमें देश बिकने से बचाना है। हमारी मांग रहेगी कि देश, किसान, व्यापार और युवा बचे।" हालांकि, अपनी कसम की वजह से वे गांव की मिट्टी पर कदम नहीं रखेंगे। राकेश टिकैत ने कसम खा रखी है कि, ‘‘जब तक बिल वापसी नहीं, घर वापसी नहीं, लिहाजा वे आज होने वाली महापंचायत में तो गए, लेकिन अपने घर नहीं जाएंगे और न ही यहां की मिट्टी पर कदम रखेंगे।''

जब से आंदोलन शुरू हुआ है नहीं गए हैं, 10 महीने बाद वे आज यहां आ रहे हैं, लेकिन वे यहां की जमीन पर कदम नहीं रखेंगे, वे गलियारे से जाएंगे और अपने घर को देखेंगे, लेकिन घर के अंदर नहीं जाएंगे।
राकेश टिकैत

3 क़ानूनों को वापस कराने के लिए इकट्ठा हुए :

तो वह, संयुक्त किसान मोर्चा ने मुज़फ़्फ़रनगर में किसान महापंचायत का आयोजन के बोर में एक महिला किसान ने बताया, "हम यहां 3 क़ानूनों को वापस कराने के लिए इकट्ठा हुए हैं। PM से हमारा अनुरोध है कि इस आंदोलन को 9 महीने हो गए हैं इससे और न बढ़ाएं तथा 3 क़ानूनों को वापस लें।"

बता दें कि, केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने अपनी मांग को पूरा करने के लिए कोरोना काल, ठिठुरन वाली ठंड और झमाझम बारीश के दौर में भी दिल्ली के कई बॉर्डरों पर देश के अन्‍नदाताओं ने आंदोलन जारी रखा है। अ‍न्‍नदाताओं ने ठान रखा है कि, वे तीनों नए कृषि कानूनों को जब तक सरकार रद्द नहीं कर देती, जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होंगी, वे पीछे नहीं हटेंगे और किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।

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