अयोध्या राम मंदिर तीन मूर्तियां
अयोध्या राम मंदिर तीन मूर्तियां Raj Express
उत्तर प्रदेश

Ramlala Murti : अयोध्या राम मंदिर के लिए बनाई तीन मूर्तियां, एक स्थापित, दो अन्य कहाँ, देखिए उनकी तस्वीरें

Author : gurjeet kaur

हाइलाइट्स :

  • रामलला की दो अन्य मूर्तियों की मनमोहक तस्वीरें भी आई सामने।

  • मंदिर परिसर में ही दो अन्य मूर्तियों को भी स्थापित किया जाएगा

  • मूर्तियां को मूर्तिकार गणेश भट्ट और सत्य नारायण पांडे ने बनाया ।

उत्तरप्रदेश। अयोध्या में रामलला की मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। इस मूर्ति को बनाने के लिए मूर्तिकार ने 6 महीने तक लगातार मेहनत की लेकिन इस मूर्ति के अलावा भी रामलला की 2 अन्य मूर्ति बनाई गई थी। अरुण योगिराज द्वारा बनाई गई मूर्ति गर्भ गृह में स्थापित की गई जबकि अन्य दो अन्य मूर्तियां गर्भ गृह में स्थापित होने के लिए चयनित नहीं हो पाई। जानते हैं कहाँ है रामलला की वो 2 अन्य मूर्तियां...।

रामलला यूँ तो हर रूप में मनमोहक होते हैं लेकिन गर्भ गृह में तो एक ही मूर्ति स्थापित की जा सकती थी। जानकारी के अनुसार रामलला की एक दो अन्य मूर्तियां जो गर्भ गृह में स्थापित नहीं हो पाई उन्हें भी मंदिर परिसर में ही स्थापित किया जाएगा। इन मूर्तियों की तस्वीरें सामने आई हैं।

चयनित नहीं होने वाली मूर्तियां को मूर्तिकार गणेश भट्ट और सत्य नारायण पांडे ने बनाया था। सत्य नारायण पांडे द्वारा बनाई गई मूर्ति को अयोध्या राम मंदिर के प्रथम तल पर रखा गया है। सत्य नारायण पांडे द्वारा बनाई गई मूर्ति 5 साल के रामलला की मूर्ति है। इस मूर्ति में कई अन्य देवी देवताओं को भी दिखाया गया है।

सत्य नारायण पांडे द्वारा बनाई गई मूर्ति

वहीं मूर्तिकार गणेश भट्ट द्वारा बनाई गई मूर्ति को अब तक मंदिर परिसर में स्थापित नहीं किया गया है लेकिन ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि, उचित समय और स्थान पर मूर्ति मंदिर परिसर में स्थापित होगी। श्याम रंग की रामलला की यह मूर्ति भी अत्यंत मनमोहक है। इस मूर्ति का निर्माण कृष्ण शिला से किया गया है जो कर्णाटक के मैसूर में पाया जाता है।

गणेश भट्ट द्वारा बनाई गई मूर्ति

मूर्तिकार योगीराज अरुण की मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा :

मैसूर के रहने वाले योगीराज अरुण वही मूर्तिकार हैं जिन्होने उत्तराखंड में स्थापित आदि गुरु शकराचार्य की मूर्ती बनाई थी। अब उनके द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ती राम मंदिर में स्थापित हुई है। योगीराज अरुण ने अपने पिता से मूतिनिर्माण की कला सीखी थी। वे 11 साल की उम्र से इस कला को सीख रहे हैं। अब तक वे कई मूर्तियां बना चुके हैं।

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