West Bengal government extended lockdown till 31 July
West Bengal government extended lockdown till 31 July Kavita Singh Rathore -RE
भारत

पश्चिम बंगाल सरकार ने एक बार फिर बढ़ाई लॉकडाउन की अवधि

Author : Kavita Singh Rathore

पश्चिम बंगाल। पूरे भारत में कोरोना का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। देश में अब तक कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 3.5 लाख से भी ऊपर पहुंच चुका है। हालांकि, लाखों में लोग कोरोना की जंग जीत कर अपने घर भी लौटे हैं। कोरोना से सावधानी रखने के लिए देश भर में 2 महीने से भी ज्यादा समय के लिए लॉकडाउन रहा। परंतु लगातार हो रहे आर्थिक नुकसान को देखते हुए सरकार ने अब देश को अनलॉक किया है। इसी बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने लॉकडाउन को 30 जून तक बढ़ाने की घोषणा की थी। वहीँ, अब एक बार फिर लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने का ऐलान कर दिया है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने बढ़ाया लॉकडाउन :

दरअसल, देश को हो रहे आर्थिक नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार ने देश को अनलॉक किया था। परंतु पश्चिम बंगाल सरकार ने कोरोना वायरस (कोविड-19) के बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए अपने राज्य में लॉकडाउन को 2 हफ्तों के लिए और बढ़ाने का फैसला किया था। यानि पश्चिम बंगाल में लगातार 30 जून तक लॉकडाउन रहने वाला था। लेकिन आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा राज्य सचिवालय के सामने स्थित सभागार में सर्वदलीय बैठक लेने के बाद लॉकडाउन की अवधि को बढ़ने का किया है। यानि अब पश्चिम बंगाल में 31 जुलाई तक लॉकडाउन रहेगा।

राज्य में कोरोना की स्थिति :

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, पश्चिम बंगाल में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 14728 हो चुका है। वर्तमान में वहां एक्टिव मामले 4930 है और कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 580 तक पहुंच गया है।

अस्पतालों को चेताया गया :

बताते चलें, हाल ही में पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी और प्राइवेट सभी तरह के अस्पतालों को चेताया गया था कि, यदि उन्होंने कोरोना के मरीजों को भर्ती करने से मना किया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। दरअसल, विभाग द्वारा यह आदेश इसलिए जारी किये गए क्योंकि, कई प्राइवेट अस्पतालों से कोरोना के मरीजों के भर्ती करने से इंकार करने की खबरे सामने आ रही थीं और मरीजों को अस्पताल द्वारा भर्ती करने से मना करना पश्चिम बंगाल क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन, रेगुलेशन एंड ट्रांसपेरेंसी) एक्ट, 2017 और पश्चिम बंगाल क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट रूल्स, 2017 के तहत एक अपराध है।

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