भारतीय रिज़र्व बैंक(RBI)
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भारत

RBI ने अगर PMC की तरह अन्य बैंकों पर लगाए प्रतिबंध तो क्या होगा?

Author : Neelesh Singh Thakur

राज एक्सप्रेस।

हाइलाइट्स :

  • PMCB में विड्रॉल लिमिट पर अटकी सुई?

  • RBI की बैंक खातों को लेकर क्या है गाइडलाइन?

  • PMCB में क्या है अब तक की अपडेट?

  • कोऑपरेटिव बैंक जमाकर्ताओं को कितना नफा-कितना नुकसान?

  • बैंक धोखाधड़ी पर विस्तृत पड़ताल

करीब तीन सप्ताह से जारी PMCB (पंजाब महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक) घोटाला, खाता जांच प्रक्रिया और उससे प्रभावित खाता धारकों के साथ हुए हादसों में एक बात निकलकर सामने आ रही है कि इसमें सिर्फ जमाकर्ता की गाढ़ी कमाई का पैसा उसे नहीं मिल पा रहा, जो कि उसका वाजिब हक है।

घोटाले की बुनियाद-

पीएमसी बैंक घोटाला की जड़ें बहुत पुरानी हैं। उच्च विलासी पिता पुत्र जोड़ी राकेश और सारंग वाधवन पर 44 बैंक खातों का जाली संचालन करने की जांच बैठी है। वाधवन्स के पास मुंबई में पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक में 44 बैंक खाते थे। 1990 के दशक में बैंक में नकदी संकट पैदा होने पर राकेश वाधवन ने पीएमसी में करोड़ों जमा किए जिससे चीजें वापस सामान्य हो गईं।

जांच प्रक्रिया में इनका रोल-

पहले आर्थिक अपराध के ढंक जाने के बाद वाधवन ने दूसरे की बुनियाद रखी। इसके लिए बुनियादी ढांचा खड़ा करने वे समूह में एचडीआईएल के पूर्व निदेशक वारियम सिंह को अध्यक्ष के रूप में स्थापित करने में कामयाब रहे। जॉय थॉमस, दो पत्नियों के साथ मुंबई में एमडी बन गया।

RBI और ऑडिटर्स की चूक!

जांच में पता चला है कि वधावंस ने लगभग 6500 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। यह राशि बीमार बैंक की कुल ऋण पुस्तिका का 73 प्रतिशत है। यह खुली डकैती RBI और ऑडिटर्स को क्यों पता नहीं चली? यह भी जांच का विषय है।

घोस्ट अकाउंट्स?

वाधवन के 44 खातों के जरिए 21 हजार मास्क्ड अकाउंट्स यानी काल्पनिक खाते संचालित हुए। इनमें कई खाते तो मृतकों के नाम खुले। कथित दौर पर बैंक ने ओवरड्राफ्ट ड्रॉ की परमीशन दी। जिसमें कैश का आदान-प्रदान हवाला (लॉन्ड्रिंग) कड़ियों के माध्यम से दुबई तक हुआ।

एडवांस्ड मास्टर इंडेंट?

वाधवन्स को हिडन लेकिन रियल लेजर्स में लोन दिया गया। इसके लिए 21000 फेक जमाकर्ताओं के नकली ऋण खातों को एडवांस्ड मास्टर इंडेंट बतौर आरबीआई के सामने पेश किया गया। इस महामास्किंग के जरिए PMC ने 31 मार्च 2019 को धमाकेदार परिणाम घोषित किया। इसमें संपत्ति 13.69 करोड़, डिपॉज़िट 11.617 करोड़, लोन 8.383 करोड़, रिज़र्व 934 करोड़, ग्रॉस NPAs 3.76 फीसद होने की जानकारी दी गई।

मालदीव में ऐश-

जांच में निकलकर आई जानकारी के मुताबिक जब नियामक अपनी सूचना में ठगने वाली रिपोर्ट भर रहा था, तब पिता-पुत्र की जोड़ी मालदीव में डसाल्ट फाल्कन 200, बॉम्बार्डियर चैलेंजर और एक लक्जरी यॉट की खरीदी में व्यस्त थी।

वरियाम सिंह घोड़े खरीद रहे थे, जोसेफ/जुनैद अपनी दूसरी पत्नी के साथ अपार्टमेंट का खरीदी में लगे थे। कुल मिलाकर पिता-पुत्र की जोड़ी उच्च जीवन जी रही थी। जब घोटाला उजागर हुआ तो असल जमाकर्ताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया गया।

मदद की जगह झटका-

जब घोटालों के राज उजागर होने शुरू हुए तो जमाकर्ताओं को बताया गया कि वे छह माह में अधिकतम मात्र 1 हजार रुपया निकाल सकते हैं। जब दबाव बढ़ा तो नियामक ने सीमा को बढ़ाकर 10,000 रुपये, फिर 25,000 रुपये और अब फिलहाल 40,000 रुपये कर दिया।

भारतीय नियम--

नियमानुसार बैंकों को जमाकर्ताओं के लिए डिपॉजिट गारंटी स्कीम के अनुसार प्रत्येक डिपॉजिटर पर अधिकतम 1 लाख रुपये प्रति एग्रीगेट खाते में संरक्षित करना होगा। पति-पत्नी के नाम दो संयुक्त खाते खोले जाने पर दो लाख रुपए तक सुरक्षित रखने का प्रावधान डिपॉजिट गारंटी स्कीम में किया गया है। ताकि जमाकर्ताओं का हित प्रभावित न हो।

फिर भी हित प्रभावित-

यदि डिपॉजिट गारंटी स्कीम के प्रावधानों की मानें तो फिर जमाकर्ताओँ पर मात्र 1 हजार रुपया निकालने का प्रतिबंध लगाना वाकई चिंताजनक है। सवाल यह भी उठते हैं कि क्यों नहीं जमाकर्ताओं को एक लाख तक की निकासी करने की अनुमति दी गई? इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में क्यों किसी का ध्यान नहीं गया?

सरकार की लापरवाही-

बैंकों में ऐसी स्थितियां पैदा होने पर आम तौर पर सरकारें समस्या का क्रिएटिव हल ढूंढ़ने के बजाए खातों पर प्रतिबंध, फ्रीज, स्टॉप और चोक करने जैसे कदम उठाती हैं। मतलब एक गिरोह के षड़यंत्र का परिणाम बाद में सीधे-साधे जमाकर्ताओं को प्राण गंवाकर उठाना पड़ता है। क्योंकि PMCB घोटाले के कई जमाकर्ताओं की दहशत के कारण जान तक चली गई।

बनने के बाद से नहीं बदला रूल-

डिपॉजिट गारंटी रूल की व्याख्या 1993 में की गई थी। इसमें प्रति जमाकर्ता 1 लाख रुपया जमा करने का प्रावधान किया गया। तब से यह जस का तस बरकरार हैं। जबकि 1993 के बाद से अर्थव्यवस्था में काफी वृद्धि हो चुकी है।

विचित्र लेकिन सत्य-

मुद्रास्फीति सूचकांक के मुताबिक डिपॉजिट गारंटी रूल के अनुसार जमा सरंक्षित प्रति 1 लाख रुपया आज 15 लाख से अधिक होता है। और आगे इसे जीडीपी गुणकों में अनुक्रमित करने पर यह आंकड़ा 1 करोड़ रुपये के करीब पहुंच जाएगा। जो कि दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ माना जा सकता है।

चीन में प्रावधान-

सनद रहे चाइना में प्रति अकाउंट 81 हजार यूएस डॉलर डिपॉज़िट गारंटी का प्रावधान है। ग्रीस में यह प्रावधान 100,000 यूरो का है। लेकिन पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की ओर बढ़ रहे भारत में डिपॉज़िटर के खातों में प्रति जमाकर्ता 1 लाख का प्रावधान क्या विचारणीय नहीं है?

कौन जिम्मेदार?

पीएमसी डिपॉज़िटर्स को अधिक विड्रॉ करने की इजाजत देने के बजाए छह महीने के दौरान 1000 रुपया निकालने देने का आदेश सोचनीय है। खबरों में जो कारण बताए जा रहे हैं उनके मुताबिक बैंक के कुछ जमाकर्ताओं ने जमा रुपया डूब जाने की दहशत में अपनी जान तक गंवा दी।

HDIL की गिरफ्तार वाधवन जोड़ी की अर्जी-

समाचार एजेंसी के मुताबिक PMC बैंक स्कैम के मुख्य आरोपी रियल एस्टेट ग्रुप HDIL के प्रवर्तक राकेश और सारंग वाधवन ने RBI और जांच एजेंसियों से अपनी महंगी रॉल्स रॉयस, बेंटले और BMW जैसी कारें, यॉट और अपनी संपत्तियों को बेचकर बकाया चुकाने की अनुमति मांगी है।

बुधवार 16 अक्टूबर को कोर्ट ने वाधवन्स को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय वित्त मंत्रालय और आरबीआई को लिखे पत्र में वाधवन्स ने अनुरोध किया कि उन्हें अपनी संलग्न 18 संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी जाए।

पत्रों का हवाला-

सबसे पहले वाधवन्स को गिरफ्तार करने वाली मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा के अनुसार पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक में घोटाला तकरीबन 4,355 करोड़ रुपयों का है। बताया कि कोर्ट में वधावन जोड़ी हस्ताक्षरित पत्र पढ़कर सुनाया गया। जिसमें उन्होंने FIR no. 86/ 2019 के बारे में 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को लिखे गए पत्रों का हवाला दिया। ये पत्र वित्त मंत्रालय और रिज़र्व बैंक को लिखे गए थे।

पत्र में उल्लेख-

पत्र में उल्लेखित की गईं संपत्तियों को बेचकर भुगतान करने का जिक्र है। पत्र में दर्ज सूचीबद्ध संपत्तियों में रोल्स रॉयस फैंटम, बेंटले कॉन्टिनेंटल, बीएमडब्लू 730 LD जैसी अल्ट्रा-लग्जरी कारें शामिल हैं। सारंग वाधवन का फॉल्कन 2000 एयरक्राफ्ट, ऑडी AG और यॉट881, दो इलेक्ट्रिक कार, तीन क्वॉड बाइक्स (ATV) और 7 सीटर स्पीड बोट भी बेचने की अनुमति देने वाली संपत्तियों में शामिल बताई गईं।

EOW के मुताबिक पीएमसी बैंक का प्रबंधन वाधवन्स के साथ शामिल रहा। बैंक के 70 फीसदी एडवांस HDIL ग्रुप को दिए गए। जब समूह भुगतान करने में नाकाम रहा तो यह बड़ी त्रासदी सामने आई।

यदि आपके खातों पर भी बने PMCB वाली स्थिति, RBI ने PMCB पर क्यों लगाए प्रतिबंध? और क्या होगा आपकी जमा रकम का यदि आपके खातों पर लग जाएं ऐसी पाबंदियां? यह सवाल कौंधना लाजिमी है। दरअसल आरबीआई ने PMCB के प्रत्येक सेविंग और करेंट अकाउंट पर रुपया निकालने पर प्रतिबंध लगाया है। इस प्रतिबंध के कारण बैंक के वो ग्राहक जो मुख्य तौर पर व्यापारी, सेल्फ एम्पलॉइ या दैनिक कमाई करने वाले हैं कठिनाई में पड़ गए।

RBI द्वारा नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर जेबी भोरिया के मुताबिक, "इसके अलावा, हमारे पास अपनी संपत्ति है जो तरल है। हम स्थिति को सुलझाने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं। प्रथम दृष्टया कुछ एनपीए प्रतीत होते हैं, लेकिन मुझे बताया गया है कि वे सभी संपत्ति से सुरक्षित हैं।"

"मैं जनता को बताना चाहूंगा कि परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हमारे पास DICGC (डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन) है, जिसके माध्यम से 1 लाख रुपये तक के डिपॉजिट कवर किए जाते हैं।"
जेबी भोरिया, RBI द्वारा नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर

अहम सवाल-

एक बैंक के औसत जमाकर्ता या खाताधारक के रूप में क्या आपको चिंता करनी चाहिए? या यह कुछ ऐसा है जो केवल 'छोटे, सहकारी' बैंकों में होता है? क्या आरबीआई नियमित वाणिज्यिक बैंकों पर भी इस तरह के प्रतिबंध लगा सकता है?

RBI की गाइडलाइन्स के मुताबिक सभी कमर्शियल बैंक और कोऑपरेटिव बैंक डिपॉज़िट इन्श्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) के तहत इन्श्योर्ड होते हैं। सिर्फ प्राइमरी कोऑपरेटिव सोसाइटियों को डीआईसीजीसी के तहत कवर नहीं किया जाता है।
"RBI के दिशा निर्देशों के अनुसार, सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत डिपॉजिट करना अनिवार्य रूप से आवश्यक है। बैंक के प्रत्येक जमाकर्ता को अधिकतम 1 लाख रुपये तक कवर किया जाता है। पीएमसी बैंक परिसमापन की स्थिति में जमाकर्ताओं को अपनी जमा राशि के अनुसार 1 लाख रुपये तक के लिए पैसा मिलेगा। हालांकि, उन्हें अपनी बचत वापस पाने में लंबा समय लगेगा।"
राज खोसला, बिज़नेस एंड इन्वेस्टमेंट एडवाइज़र

डीआईसीजीसी के नियमों के अनुसार, बैंक में प्रत्येक जमाकर्ता को उसके द्वारा मूलधन और ब्याज राशि दोनों के लिए 1 लाख रुपये तक का बीमा किया जाता है। इसमें वर्तमान खाता, बचत खाता, सावधि जमा आदि में रखी गई सभी जमा राशियाँ शामिल हैं। अगर बैंक दिवालिया हो जाता है तो यदि जमाकर्ता की जमा राशि 1 लाख रुपये से अधिक है, तो उसे केवल 1 लाख रुपये तक मूलधन और ब्याज राशि प्राप्त होगी।

DICGC में सभी जमा जैसे बचत, निश्चित, चालू, आवर्ती और इत्यादि कवर होते हैं। DICGC में इन जमाओं को कवर नहीं किया जाता -

  1. फॉरेन गवर्नमेंट्स के लिए डिपॉज़िट

  2. केंद्र/राज्य सरकारों के लिए डिपॉज़िट

  3. इंटर बैंक डिपॉज़िट

  4. स्टेट लैंड डेवलपमेंट बैंक के लिए जमा

  5. राज्य सहकारी बैंक के साथ राज्य भूमि विकास बैंकों के जमा

  6. भारत के बाहर प्राप्त और जमा खाते में कोई राशि

  7. कोई भी राशि, जिसे विशेष रूप से भारतीय रिजर्व बैंक की पिछली मंजूरी के साथ निगम द्वारा छूट दी गई है

समान बैंक की कई अलग शाखाओं में हो खाता- DICGC के तय बीमा कवर में एक ही बैंक की विभिन्न शाखाओं में खोले गए एक ही जमाकर्ता के सभी अलग-अलग खातों का अधिकतम 1 लाख रुपये में कवर होगा। इसलिए, यदि आपके पास एक ही बैंक के साथ एक से अधिक खाते हैं (भले ही विभिन्न शाखाओं में) तो भी जमाकर्ता को केवल 1 लाख रुपये का बीमा मिलेगा।

अलग-अलग बैंकों की दशा में-

हालाँकि, जमा बीमा कवरेज सीमा अलग-अलग बैंकों में जमा राशि पर अलग से लागू है। उदाहरण के लिए, मान लें कि जमाकर्ता का बैंक ए और बैंक बी में खाता है। तो दोनों खातों का अलग-अलग 1 लाख रुपये तक का बीमा किया जाएगा।

संयुक्त खातों की दशा में-

RBI के अनुसार, एकल और संयुक्त दोनों खाते DICGC योजना के तहत अलग-अलग कवर किए जाएंगे। उदाहरण के तौर पर जमाकर्ता का एक बचत खाता है जो केवल उसके द्वारा संचालित है और दूसरा उसके जीवनसाथी के साथ संयुक्त रूप से संचालित है। यदि बैंक विफल हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में जमा बीमा योजना के तहत दोनों खातों का अलग-अलग बीमा किया जाएगा।

SIP और अन्य ECS मैंडेट की दशा में?

यदि जमाकर्ता ने सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स (SIPs) और इंश्योरेंस प्रीमियम एवं अन्य मासिक बिलों के भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग स्कीम (ECS) मैंडेट दिया है तो राशि पीएमसी बैंक अकाउंट से डेबिट नहीं होगी।

एडवाइज़र्स की राय है कि जमाकर्ता को यह ध्यान रखना चाहिए कि यद्यपि सहकारी बैंक सामान्य सार्वजनिक क्षेत्र और निजी बैंकों की तुलना में उच्च ब्याज दर की पेशकश करते हैं। इन बैंकों को राज्य सरकारों और RBI द्वारा संयुक्त रूप से विनियमित किया जाता है।

सहकारी बैंकों की तुलना में RBI अनुपालन और विनियामक मुद्दों के संबंध में PSU और निजी बैंकों के साथ बहुत सख्त है। एक नेक राय तो यह भी है कि अपने सारे पैसे बैंक अकाउंट्स में जमा करने से बचें क्योंकि RBI द्वारा लगाए गए किसी भी प्रतिबंध से जमाकर्ता को धन की पहुंच में कटौती हो सकती है।

बचने के उपाय

जमाकर्ता के तौर पर आपको बैंक की कारोबारी सेहत पर भी लगातार नजर रखना होगी खास तौर पर तो तब और ज्यादा जब वह कोऑपरेटिव बैंक का कस्टमर हो। सुरक्षा सूत्र के तौर पर जमाकर्ता के लिए रिटर्न ऑफ एसेट्स (ROA), नेट NPA (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) अनुपात को चेक करना ठीक रहेगा। इतना ही नहीं बैंक में जमा रुपया निकालने की लिमिट भी चेक करते रहना अब जरूरी होता दिख रहा है।

ताजा अपडेट - सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने पीएमसी बैंक से नगद आहरण पर भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से लगाई गई रोक हटाने संबंधी पीएमसी खाताधारकों की याचिका पर सुनवाई करने से शुक्रवार (18 अक्टूबर) को इनकार कर दिया।

इस बारे में याचिकाकर्ताओं को संबंधित उच्च न्यायालय में आवेदन करने कहा गया। गौरतलब है कि पीएमसीबी मामले में विरोध प्रदर्शन तेज होने के बीच बैंक से संबंधित एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय शुक्रवार 18 अक्टूबर को सुनवाई करने पर राजी हुआ था।

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