हिंदी दिवस
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भारत

14 सितंबर को ही क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस? जानिए कितने लोग बोलते हैं हिंदी?

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। आज14 सितंबर देश में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन हिंदी के महत्व को समझाने के लिए देश के स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालयों, निजी कार्यालयों आदि जगहों पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आज हिंदी देश में बोली जाने वाली चौथी सबसे बड़ी भाषा बन चुकी है। तो चलिए आज हिंदी दिवस के मौके पर आपको हिंदी से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं।

14 सितंबर को ही क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस?

भीमराव रामजी आम्बेडकर की अध्यक्षता वाली समिति में भाषा संबंधी क़ानून कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी और नरसिम्हा गोपालस्वामी आयंगर को भाषा से संबंधित कानून बनाने के लिए शामिल किया गया था। इस समिति में राष्ट्रभाषा को तय किए जाने पर लगभग तीन साल तक वाद-विवाद चला। आखिर में मुंशी-आयंगर फ़ॉर्मूले को मानते हुए 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। तब से 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाए जाने का प्रावधान है।

15 साल की थी व्यवस्था :

हिंदी दिवस को राजभाषा बनाने की व्यवस्था महज 15 सालों के लिए बनाई गई थी। इसके तहत हिंदी को धीरे-धीरे देश में सरकारी कामकाजों की भाषा बनाए जाने पर जोर दिया जाने लगा था। लेकिन इन 15 सालों के बाद भी केंद्र सरकार में हिंदी को बहुत अधिक प्रसार नहीं मिल सका।

कितने लोग बोलते हैं हिंदी?

साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी का करीब 43 फीसदी हिस्सा हिंदी को अपनी मातृभाषा मानता है। जबकि इसके बाद बंगाली और मराठी का नाम आता है। राज्यों की बात करें तो हिंदी बोलने में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, इसके बाद बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा का स्थान आता है।

हालांकि आज भी हिंदी को राष्ट्रभाषा का अधिकार नहीं मिल पाया है। जबकि भारत में सबसे ज्यादा लोग हिंदी में बात करते हैं, दूरस्थ क्षेत्रों में जहां अन्य बोलियां या भाषाएं बोली जाती हैं, वहां के लोगों से भी संप्रेषण के लिए हिंदी का उपयोग किया जाता है, क्योंकि भले ही वे ठीक तरह से हिंदी को बोल ना पाएं, लेकिन उसे समझते जरूर हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक हिंदी का दबदबा पूरी दुनिया में होगा। फिलहाल हिंदी दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। इसलिए गर्व से कहिए कि हम हिंदी भाषी हैं।

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