Women Scientists Associated With Aditya L1 Mission
Women Scientists Associated With Aditya L1 Mission Raj Express
भारत

Aditya L1 से जुड़ी दो महिलाएं, एक संगीत तो दूसरी किसान परिवार से रखती हैं नाता, पढ़ें इनके बारे में...

gurjeet kaur

हाइलाइट्स :

  • आदित्य L1, HALO ऑर्बिट में सफलता पूर्वक स्थापित।

  • महिला वैज्ञानिकों की विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ती भागीदारी ।

  • क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग का होगा अध्ययन।

राज एक्सप्रेस। चन्द्रमा से लेकर सूर्य तक इसरो के वैज्ञानिकों ने देश का परचम हर कहीं लहराया है। इसरो द्वारा भेजे जाने वाले मिशन में कई वैज्ञानिकों का अहम योगदान होता है। हाल ही में महिला वैज्ञानिकों की इसरो के सफल मिशन में बढ़ती भागीदारी विज्ञान के क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के लिए अच्छे संकेत हैं। आदित्य L1 HALO ऑर्बिट में स्थापित हो गया है। इस मिशन में भी दो अहम महिलाओं का योगदान रहा है। पहली महिला इस मिशन की निदेशक निगार शाजी हैं वहीं दूसरी महिला वैज्ञानिक अन्नपूर्णा सुब्रमण्यम हैं जिन्होंने इस मिशन के लिए प्रारंभिक उपकरण डिजाइन किया था। निगार शाजी के बारे में रोचक बात यह है कि, वे किसान परिवार से आती हैं वहीं अन्नपूर्णा सुब्रमण्यम संगीतज्ञों के परिवार से ताल्लुक रखती हैं।

सूर्य के अध्ययन के लिए भारत के इस सफल मिशन के पीछे जिस महिला का सबसे बड़ा योगदान है उनकी पृष्ठभूमि एक सामान्य किसान परिवार से आती है। निगार शाजी का जन्म भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के निगार सुल्तान में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार में हुआ। निगार शाजी के पिता शेख मीरन किसान थे वहीं उनकी माता सिथून बीवी एक ग्रहणी थीं। निगार की प्रेरणा का स्त्रोत उनके किसान पिता ही थे।

किसान पिता ने दी कुछ बड़ा करने की प्रेरणा :

आदित्य L1 मिशन निदेशक की विज्ञान के क्षेत्र में कुछ बड़ा करने की प्रेरणा का स्त्रोत उनके किसान पिता थे। निगार शाजी के पिता शेख मीरन भले ही किसान थे लेकिन वे खुद गणित में स्नातक थे। शेख मीरन ने हमेशा अपनी बेटी को कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित किया।

प्रारम्भिक जीवन :

निगार शाजी की प्रारंभिक शिक्षा सेंगोट्टई के एक सरकारी स्कूल में हुई। शाजी बचपन से ही विज्ञान विषय के प्रति काफी जिज्ञासु रहती थीं। ये उनकी जिज्ञासा ही थी की इसरो का आदित्य L1 सफलता पूर्वक होलो कक्षा में स्थापित हुआ। शाजी ने तिरुनेलवेली मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने मेसरा के बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की।

1987 में इसरो से जुड़ीं :

बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर्स करने के बाद निगार साल 1987 में सतीश धवन स्पेस सेंटर से जुडीं। शाजी इसरो से जुड़ने के बाद कई अहम मिशन में अपना योगदान दे चुकी हैं। निगार शाजी रिसोर्ससैट-2ए की एसोसिएट प्रोजेक्ट निदेशक रह चुकी हैं। भारत के शुक्र मिशन के अध्ययन निदेशक के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं और जैसा की अब सभी जानते हैं वे 2 सितम्बर 2023 को लॉन्च हुए आदित्य L1 मिशन की निदेशक हैं। आदित्य L1 अगले पांच साल तक सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा।

आदित्य L1 की उपकरण डिजाइन करने वाली महिला वैज्ञानिक अन्नपूर्णा सुब्रमण्यम :

महिला वैज्ञानिक अन्नपूर्णा सुब्रमण्यम का इस मिशन में काफी अहम रोल है। इनके बारे में खास बाद यह है कि, अन्नपूर्णा संगीतकारों के परिवार से आती हैं। अन्नपूर्णा केरल के पल्लकड़ जिले की रहने वाली है। अन्नपूर्णा इस समय इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफीसिक्स में निदेशक हैं। अन्नपूर्णा सुब्रमण्यम स्टार क्लस्टर, स्टेलर पॉप्यूलेशन समेत विज्ञान से जुड़े कई विषय में विशेषज्ञ हैं। आदित्य L1 को ले जाने वाले प्राथमिक उपकरण की डिजाइन इन्होने ने ही की थी।

आदित्य L1 मिशन एक नजर में :

सूर्य के अध्ययन के लिए समर्पित आदित्य-एल1 एक उपग्रह है। इसमें सभी 7 अलग-अलग पेलोड स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं। आदित्य का मतलब सूर्य है। वहीं एल 1 सूर्य और पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट 1 को दर्शाता है। सरल भाषा में एल1 अंतरिक्ष में वह स्थान है जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल संतुलन में होता है। यह वह बिंदु है जहाँ रखी वस्तु अपेक्षाकृत स्थिर रहती है।

आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर, सूर्य की ओर निर्देशित रहेगा, जो पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1% है। सूर्य गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। मिशन के मुख्य उद्देश्यों में क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी, कोरोनल मास इजेक्शन की शुरुआत और फ्लेयर्स का अध्ययन शामिल है। अंतरिक्ष यान इन - सीटू कण और प्लाज्मा वातावरण का भी अवलोकन करेगा, सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करेगा और कई परतों (क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना) में होने वाली प्रक्रियाओं की पहचान करेगा जो अंततः सौर विस्फोट की घटनाओं की ओर ले जाती हैं।

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