UNSC बैठक में बोले जयशंकर, आतंकवाद मानवता पर सबसे बड़ा खतरा
UNSC बैठक में बोले जयशंकर, आतंकवाद मानवता पर सबसे बड़ा खतरा Raj Express
भारत

सोशल मीडिया, पेमेंट गेटवे, ड्रोन को आतंकवादियों से दूर रखने के लिए होगा काम

News Agency

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकवाद को वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा बताते हुए इसके खिलाफ तकनीकी कंपनियों, अकादमिक जगत और सभ्य समाज को संगठित करके खड़ा करने तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, नवीन भुगतान एवं वित्तीय दोहन प्रणालियों तथा ड्रोन आदि मानवरहित वैमानिक प्रणालियों को आतंकवादियों की पहुंच से बाहर रखने के लिए तीनों स्तर पर काम करने का निर्णय लिया गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के स्थायी प्रतिनिधियों की यहां आयोजित एक बैठक में आतंकवादी गतिविधियों के लिए नयी एवं उभरती तकनीक के प्रयोग का मुकाबला करने को लेकर एक 35 सूत्रीय दिल्ली घोषणापत्र जारी किया गया। बैठक की अध्यक्षता संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने की। रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नार्वे, अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रतिनिधियों ने भी विचार विमर्श में भाग लिया।

घोषणापत्र में कहा गया कि आतंकवाद के हर स्वरूप से अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को सबसे गंभीर खतरा है और वैश्विक स्तर पर इस बुराई का मुकाबला करने के लिए प्रभावी एवं दृढ़तापूर्वक योगदान की जरूरत है। आतंकवाद को किसी भी मजहब, राष्ट्रीयता एवं सभ्यता या नस्लीय समूहों से जोड़ा नहीं जाना चाहिए। घोषणापत्र में इस बात पर चिंता जतायी गयी है कि इंटरनेट एवं सूचना संचार प्रौद्योगिकी जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के आतंकवादी गतिविधियों के लिए उपयोग बढ़ रहा है। नवाेन्मेषी वित्तीय तकनीक, ड्रोन आदि का आतंकवाद के लिए वित्तपोषण के लिए दुरुपयोग की संभावना बढ़ गयी है। घोषणापत्र में सभी सदस्य देशों से आतंकवाद को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अंतर्गत दायित्वों पर कायम रहने की अपील की गयी है। घोषणापत्र में सदस्य देशों के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को पारित कराने के लिए प्रयासों की सराहना की। घोषणापत्र में सरकारों तथा निजी क्षेत्र खासकर तकनीकी कंपनियों, सिविल सोसाइटी, महिला समूहों के बीच आतंकवाद के विरुद्ध स्वैच्छिक सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया है। घोषणापत्र में संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध आतंकवाद के विरुद्ध तकनीक पहल के प्रयासों को स्वीकार किया गया जो तकनीकी उद्योगों, अकादमिक जगत, सिविल सोसाइटी एवं सरकार के प्रतिनिधियों के बीच गठजोड़ स्थापित करने के लिए शुरू की गयी है। इसका मकसद मानवाधिकारों एवं मौलिक स्वतंत्रता के अधिकारों की रक्षा करते हुए आतंकवादियों की इंटरनेट के उपयोग की क्षमता को बाधित करना है।

घोषणापत्र में आईएसआईएल और अलकायदा एवं उनसे जुड़े संगठनों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने और लोगों को आतंकवादी गतिविधियों से जोड़ने की प्रवृत्ति, हथियारों, गोला-बारूद, अत्याधुनिक शक्तिशाली विस्फोटकों के प्रवाह तथा आतंकवाद को जायज़ ठहराने वाले विचारों पर लगाम लगाने तथा इसके लिए नयी तकनीक विकसित करने की जरूरत जतायी गयी है। घोषणापत्र में आतंकवादियों के वर्चुअल संपत्तियों एवं सेवा प्रदाताओं पर कार्रवाई का समर्थन किया गया है।घोषणापत्र के अनुसार सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, नवीन भुगतान एवं वित्तीय दोहन प्रणालियों तथा ड्रोन आदि मानवरहित वैमानिक प्रणालियों को आतंकवादियों की पहुंच से बाहर रखने के लिए तीनों स्तर पर काम करने का निर्णय लिया गया।

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