संविधान के मूल्यों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण करें युवा: राजनाथ
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संविधान के मूल्यों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण करें युवा: राजनाथ

Author : राज एक्सप्रेस

राज एक्सप्रेस। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज युवाओं का आह्वान किया कि वे संविधान के मूल्यों को आत्मसात करते हुए नये भारत के निर्माण में हरसंभव योगदान दें।

श्री सिंह ने छठे संविधान दिवस से एक सप्ताह पहले आज यहां युवा संगठनों द्वारा, 'कोंस्टीट्यूशन डे यूथ क्लब एक्टिविटीज' के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि युवाओं के इस देश में, युवा शक्ति को मजबूत करने, और उसे आगे ले जाने के लिए राष्ट्रीय कैडेट कोर, नेहरू युवा केंद्र संगठन, राष्ट्रीय सेवा योजना , हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स, भारत स्काउट्स एंड गाइड्स और 'रेड क्रॉस सोसाइटी' जैसी अनेक संस्थाएं काम कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी समय-समय पर सभी युवा संगठनों से एक प्लेटफार्म पर आकर, देश और समाज से जुड़े मुद्दों पर लोगों में जागरूकता फैलाने तथा नये भारत के निर्माण में योगदान का आह्वान किया है। संविधान के मूल्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह किसी न किसी रूप में देश का सबसे अहम मार्गदर्शक है। यह न केवल हमारी परंपरा और सांस्कृतिक विरासत, बल्कि दुनिया के अनेक संविधानों के श्रेष्ठ विचारों का यह निचोड़ है।

श्री सिंह ने कहा कि संविधान निर्माताओं का मानना था कि भारत जैसे विविधता वाले राष्ट्र को, एक सूत्र में बांधकर रखने वाला हमारा संविधान ही है। यह संविधान दुनिया भर में भारत की पहचान है क्योंकि यह भारत के लोगों का, भारत के लोगों द्वारा, और भारत के लोगों के लिए है। उन्होंने कहा , ''बाबा साहेब अम्बेडकर ने अपने पहले ही साक्षात्कार में यह स्पष्ट किया था, कि संविधान का अच्छा या बुरा साबित होना, उसके नियमों पर नहीं, बल्कि उसे अमल में लाने वाले लोगों पर निर्भर करेगा। यानी हम और आप पर यह निर्भर करता है, कि हमारा देश, हमारी व्यवस्था, कैसे, और किस दिशा में प्रगति करेगी। "संविधान पर अमल को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे अच्छे ढंग से अमल में लाना बेहद जरूरी है। साथ ही देशवासियों का संवैधानिक मूल्यों के प्रति सचेत होना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने कहा , ''संविधान के प्रति लोगों को जागरूक करने का यह मतलब नहीं, कि आप उन्हें संविधान के तथ्य रटाएँ कि हमारे संविधान में इतने भाग हैं, इतने आर्टिकल हैं। आदि-आदि: इसकी प्रस्तावना का पहला शब्द, यानी 'हम', अपने आप में बहुत कुछ कह देता है। इस भावना को हमें समझना, और लोगों को समझाना भी है। 'नए भारत' के निर्माण में यह आवश्यक, और महत्वपूर्ण कदम होगा। हमारा संविधान हमें सिखाता है, कि हम 'एक बनें, नेक बनें'। यह हमें अनुशासन, और विविधता में भी एकता, और अखंडता का पाठ पढ़ाता है। स्वतंत्रता, समानता, सामाजिक समरसता, और सद्भावना इसके मूल स्तंभ हैं।"

संविधान में उल्लिखित कर्तव्यों तथा अधिकारों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी कहते थे कि हमारे कर्तव्य में ही हमारा अधिकार भी निहित है। उन्होंने कहा , '' हम सभी अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करें, हमारा संविधान भी हमें यही निर्देश देता है। मैं पुन: इसकी प्रस्तावना पर आपका ध्यान लाना चाहूंगा। इसकी प्रस्तावना के अंतिम शब्द हैं, कि हम दृढ़संकल्प होकर, इस संविधान को 'आत्मार्पित' करते हैं। इसी तरह संविधान में वर्णित, हमारे सभी कर्तव्य, वह चाहे पर्यावरण का संरक्षण हो, राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान हो, देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का कर्तव्य हो, अपनी संस्कृति के संरक्षण का कर्तव्य हो, ये सभी दूसरे प्रकार से हमारे, और आपके अधिकार ही सुनिश्चित करते हैं।"

उन्होंने युवाओं का आह्वान किया , ''हम, 'नए भारत' के लोग एक साथ मिलकर, समाज और राष्ट्र के उत्थान में आगे बढ़ें, और सफलता प्राप्त करें, इसकी मैं कामना करता हूं।"

डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। इसमें राज एक्सप्रेस द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया हैं।

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