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स्तनपान-माँ और बच्चें की सेहत के लिए कितना आवश्यक?

Author : Deepika Pal

राज एक्सप्रेस। स्तनपान-मातृत्व की एक पहचान के तहत अभी हाल ही में 1-7 अगस्त के बीच विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया गया। यह सप्ताह प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में स्तनपान को बढ़ावा देने और महिलाओं व शिशुओं के स्वास्थ के प्रति जागरुक करने के लिए मनाया जाता है।

स्वास्थ की दृष्टि से देखें तो स्तनपान मां और शिशुओं की सेहत के लिए जितना आवश्यक है, उतना ही महिलाएं इसकी जरूरत से अनभिज्ञ हैं।

मां और शिशुओं के लिए आवश्यक है स्तनपान:

जैसा कि हम जानते हैं नवजात शिशु को जन्म के एक घंटे बाद मां के दूध का पान कराना अति आवश्यक है। स्वास्थ विशेषज्ञ सलाह देते है कि, 6 महीने की उम्र तक बच्चें को मां का दूध ही पिलाया जाए।

मां की सेहत के लिए-

बात करें तो मां के बेहतर स्वास्थ और शिशु के विकास के लिए शिशु के जन्म के बाद स्तनपान कराना जरूरी है क्योंकि बच्चें को मां द्वारा स्तनपान कराते समय जो हार्मोन निकलते है वह कॉर्डियोवस्कुलर सिस्टम को फायदा पहुंचाने और साथ ही बच्चें के उचित विकास में मदद करते हैं। लेकिन अधिकतर कामकाजी महिलाएं व्यस्त होने और ग्रामीण महिलाएं जानकारी न मिलने के कारण नवजात बच्चें को सही ढ़ंग से स्तनपान नहीं करा पातीं, जिससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, प्री-मोनोपॉज, ओवेरियन कैंसर, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और हार्ट-अटैक के खतरे बढ़ते हैं।

शिशु की सेहत के लिए-

माना जाता है कि, मां का दूध बच्चें के लिए संपूर्ण आहारों में से एक है, दूध में मैक्रोन्यूट्रिएंट्स, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, बायोएक्टिव घटक, वृद्धि कारक और रोग प्रतिरोधक घटक मौजूद होते हैं जो शिशु की सेहत के लिए फायदेमंद होते। जिससे बच्चें की पाचन क्रिया दुरुस्त होती है और शिशुओं को पेट में गैस, कब्ज, दस्त आदि की समस्‍या भी कम होती है और बच्‍चे की दूध उलटने की संभावना नहीं होती है।

बच्चें को सही समय पर दूध नहीं मिलने से संक्रमण का खतरा , अतिकुपोषण , आईक्यू स्तर में कमी और सीखने-समझने की क्षमता का विकास नहीं होना जैसी समस्यायें सामने आती हैं। जिससे बच्चें का प्रदर्शन अन्य बच्चों के मुकाबले कम हो जाता है।

डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों की मानें, तो हर साल लगभग 2 करोड़ से अधिक शिशुओं का वजन जन्म के समय 2.5 किलोग्राम से कम होता है साथ ही शिशुओं को संक्रामक बिमारी, धीमी वृद्धि और मृत्यु होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए बच्चें को जन्म के 24 घंटे के अंदर स्तनपान कराना आवश्यक है।

स्तनपान कराती महिलाओं के लिए आवश्यक खाद्य तत्व:

स्तनपान के दौरान महिलाओं को शारीरिक और मानसिक मजबूती के लिए पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है।

आइए जानते है क्या होते हैं ये आवश्यक तत्व.......

1- कैल्शियम- शिशु के जन्म के बाद महिलाओं में कई तत्वों की कमी हो जाती है, जिसमें कैल्शियम मुख्य तत्व है, जो मां और बच्चों की हड्डियों और माशपेशियों को मजबूत बनाता है। जिसके लिए आप दूध, दूध से बनी चीजें जैसे दही, चीज़, टोफू, पनीर आदि का सेवन कर सकते हैं ।

2- विटामिन डी- शरीर की मजबूती के लिए विटामिन डी बहुत जरुरी होता है जिसके लिए सैलमन, विटामिन डी युक्त दूध, फल , जूस आदि ले सकते हैं।

3- आयरन- स्तनपान कराती महिलाओं और बच्चें के शरीर में लौह तत्व की पूर्ति के लिए हरी पत्तेदार सब्जियाँ, लेंटिल, बीज आदि का सेवन करना जरूरी होता है।

4- ओमेगा 3- महिलाएं अपने भोजन में ओमेगा 3 फैटी एसिड को शामिल करें। जिसके लिए फिश, सोयाबीन, और अलसी के बीज आदि का सेवन कर सकते हैं।

स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम

स्तनपान को बढ़ावा देने और महिलाओं को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम और अभियान चलाए जा रहे है:

M.A.A (mothers absolute affection)-

देशभर में स्तनपान और बच्चें को दूध पिलाने की प्रथा सुधार लाने के लिए अगस्त 2016 में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वृहद तौर पर यह कार्यक्रम चलाया गया।जिसका मुख्य उद्देश्य समुदाय और सुविधा के स्तरों पर बच्चें को खिलाने से लेकर संवर्धन के सभी पहलुओं पर विकास करना है।इस कार्यक्रम को यूनिसेफ ने चलाया था जिसकी ब्रांड एंबेसेडर एडवोकेट सुश्री माधुरी दीक्षित रहीं।

- अन्य कार्यक्रमों में राष्ट्रीय स्तर पर भी कई संर्वेक्षण किए गए जिसमें 2015- 16 के संर्वेक्षण में पता चला है कि केवल 42.6% महिलाएं ही शिशु के जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान कराती हैं।

- हाल ही में किए 25- 45 के उम्र की 900 महिलाओं पर momspresso portal ने एक वेब सर्वे किया गया जिसमें पता चला है कि 93% महिलाएं मानती है कि उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराने और जगह ढूंढ़ने में दिक्कत होती है वहीं 6% महिलाओं को दिक्कत नहीं होती।

- रिपोर्ट मानती है कि महिलाओं को स्तनपान कराने में दो कारक प्रभावित करते हैं, पहला एकांत और साफ जगहों का न मिलना वहीं दूसरा महिलाओं में असुरक्षा का डर सताना।

हमे देखना होगा कि महिलाओं में स्तनपान को लेकर जागरूकता और जानकारी हो तथा मां और बच्चें को पौष्टिक व संपूर्ण आहार मिले। WHO और UNICEF भी समय- समय पर अपनी गाइडलाइन से लोगो में जागरुकता फैला रही हैं।

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