महिलाओं की लाइफ में होती हैं 6 हार्मोनल स्‍टेज
महिलाओं की लाइफ में होती हैं 6 हार्मोनल स्‍टेज Syed Dabeer Hussain - RE
हेल्थ एंड फिटनेस

महिलाओं की लाइफ में होती हैं 6 हार्मोनल स्‍टेज, ऐसे रखें अपना ख्‍याल

Deepti Gupta

हाइलाइट्स :

  • महिलाओं की लाइफ में 6 हार्मोनल स्‍टेज होती हैं।

  • इस दौरान त्‍वचा और शरीर में बदलाव होते हैं।

  • खराब लाइफस्‍टाइल हार्मोनल एन्‍वायरमेंट को प्रभावित करती है।

  • हेल्‍दी डाइट, फिजिकल एक्टिविटी और पर्याप्‍त नींद लेना हार्मोनल हेल्‍थ के लिए अच्‍छा है।

राज एक्सप्रेस। हम सभी के जीवन में अलग-अलग स्‍टेज होती हैं। बचपन, जवानी, व्‍यस्‍कता और फिर बुढ़ापा। जैसे-जैसे ये स्‍टेज बदलती हैं, वैसे-वैसे व्‍यक्ति के शरीर में बदलाव होते जाते हैं। फिर इनके हिसाब से अपनी लाइफस्‍टाइल को बदलना पड़ता है। बात अगर महिलाओं की करें, तो उनकी लाइफ की स्‍टेज रिप्रोडक्टिव साइकिल पर बेस्‍ड होती है। महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ वे जीवन की उन अवस्‍था से गुजरती हैं, जहां उनके हार्मोन लेवल में चेंज आता है। हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण महिलाओं के व्‍यवहार और शारीरिक अंगों में भी बदलाव देखने को मिलता है।

स्‍त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा गुप्‍ता के मुताबिक महिलाओं के जीवन में 6 हार्मोनल स्टेज होती हैं। हालांकि, आजकल की खराब लाइफस्‍टाइल के कारण हार्मोनल इन्वायरमेंट प्रभावित हो सकता है। ऐसे में हर महिला को हर स्‍टेज में अपना ख्याल रखना जरूरी है। यहां हम आपको बता रहे हैं महिलाओं की 6 हार्मोनल लाइफ स्‍टेजेस के बारे में। इतना ही नहीं यहां हार्मोन्स को बैलेंस करने के तरीके भी बताए गए हैं।

प्यूबर्टी

10-14 वर्ष की आयु के बीच, एक फीमेल बॉडी में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन सहित रिप्रोडक्टिव हार्मोन में वृद्धि होती है। हार्मोन में यह वृद्धि मेंस्ट्रुअल साइकिल की शुरुआत मानी जाती है।

प्रेग्‍नेंसी

महिलाओं की लाइफ की दूसरी स्‍टेज प्रेग्‍नेंसी की होती है। गर्भ ठहरने के बाद हर महीने पीरियड आना बंद हो जाता है। आम तौर पर यह अवस्था मां बनने वाली महिलाओं में 9 माह तक रहती है, जिसे गर्भवती महिला कहते हैं। गर्भावस्था को तीन भागों में बांटा गया है। पहली तिमाही जब स्‍पर्म एग निषेचित होता है। दूसरी तिमाही 13 से 28 सप्‍ताह तक रहती है। इसमें भ्रूण के मूवमेंट को महसूस किया जा सकता है। तीसरी तिमाही 29 सप्ताह से 40 सप्ताह का समय है। इसमें बच्‍चा कभी भी जन्‍म ले सकता है।

पोस्‍टपार्टम

जहां प्रेग्‍नेंसी के दौरान एस्ट्रोजन बढ़ता है, वहीं डिलीवरी के बाद इसका विपरीत होता है। डिलीवरी के बाद एस्ट्रोजन लेवल काफी कम हो जाता है और त्‍वचा में भी काफी बदलाव देखने को मिलते हैं। ब्रेस्‍टफीडिंग बंद होने और नॉर्मल पीरियड आने पर घटा हुआ एस्ट्रोजन और हार्मोनल असंतुलन अपने पहले की स्थिति में वापस आ जाता है।

पेरिमेनोपॉज

मेनोपॉज से पहले का टाइम पीरियड पेरिमेनोपॉज का होता है। यह वह स्‍टेज है, जब एक महिला के अंडाशय में एस्ट्रोजन का उत्पादन कम होने लगता है और पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। पेरिमेनोपॉज 40 की उम्र के आसपास शुरू हो जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं में ये अवस्था आती ही नहीं बल्कि सीधे मेनोपॉज में चली जाती है।

मेनोपॉज

मेनोपॉज में पीरियड आना बंद हो जाता है। यह स्थिति एक महिला के साथ 40 के बाद कभी भी बन सकती है। हालांकि, पीरियड बंद होने के बाद महिलाओं का डेली रूटीन काफी डिस्‍टर्ब हो जाता है। उनमें मानसिक और शारीरिक बदलाव आने लगते हैं।

पोस्‍ट मेनोपॉज

पोस्ट मेनोपॉज की स्‍टेज मेनोपॉज के बाद ही आती है। इस दौरान महिला को कम से कम एक साल तक पीरियड नहीं आते। अगर ऐसा होता है, तो इसका मतलब है कि पीरियड्स बंद हो गए हैं। पीरियड बंद होने की वजह से उन्‍हें पेट में गैस और ब्‍लोटिंग की समस्या से जूझना पड़ता है।

अलग-अलग हार्मोनल स्‍टेज में महिलाएं ऐसे रखें अपना ख्‍याल

  • प्रोटीन से भरपूर भोजन खाएं।

  • रेगुलर एक्‍सरसाइज करें।

  • मॉडरेट वेट बनाए रखें।

  • गट हेल्‍थ का ख्याल रखें।

  • चीनी का सेवन कम से कम करें।

  • तनाव कम करने के लिए तकनीक आजमाएं।

  • अच्‍छी और भरपूर नींद लें।

  • हाई फाइबर डाइट फॉलो करें।

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