गणेश महोत्सव आज से, घरों व पंडालों में विराजेंगे श्रीजी
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Ganesh Chaturthi : गणेश महोत्सव आज से, घरों व पंडालों में विराजेंगे श्रीजी

राज एक्सप्रेस

राज एक्सप्रेस। गणेश उत्सव की धूम 10 सितम्बर से से आरंभ हो जाएगी। शुक्रवार को शुभ मुहुर्त में श्रीजी की स्थापना से शुरू होकर यह उत्सव 19 सितम्बर तक आयोजित होगा।

बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार श्रीजी की स्थापना चित्रा नक्षत्र और स्वाति नक्षत्र के में होगी। वहीं इस दौरान ब्रह्म योग, अनफा योग भी रहेंगे। गणेशजी की पूजा करने से जातकों की कुंडली में बुध और केतु से उत्पन्न जड़त्व योग भी समाप्त होगा। इसके साथ ही सालों बाद गणेश चतुर्थी पर सूर्य, बुध, शुक्र, शनि अपनी-अपनी राशि में रहेंगे। इस दिन चंद्रमा तुला राशि में शुक्र के साथ सूर्य अपनी राशि सिंह में, बुध अपनी राशि कन्या में, शनि अपनी राशि मकर में और शुक्र अपनी राशि तुला में रहेंगे। यह चार ग्रह अपनी अपनी राशि में रहेंगे। गुरु कुंभ राशि में रहेगा तथा दो बड़े ग्रह गुरु और शनि वक्री रहेंगे। ऐसा योग 3 सितंबर 1962 के बाद बना है। वही शुक्र और चंद्रमा की तुला राशि में युति होने से गणेश चतुर्थी महिलाओं के लिए बहुत ही खास शुभकारी रहने वाली होगी । ज्योतिष में शुक्र और चंद्रमा को महिला प्रधान ग्रह की संज्ञा दी गई है।

गणपति स्थापना शुभ मुहूर्त :

  • सुबह 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 33 मिनट पर

  • अभिजीत मुहूर्त 12.10 से 1 बजे दोपहर तक

  • लाभ का चौघड़िया सुबह 7.30 से 9 बजे तक

  • चौघड़िया अमृत मुहूर्त सुबह 9 बजे से 10.30 बजे तक

  • चौघड़िया शुभ की दोपहर 12 से 1.30 तक

  • विजय मुहूर्त: दोपहर 1.59 से 2.44 तक

  • चौघड़िया चर का शाम 4.30 से 6.00 तक

  • गोधूलि बेला: शाम 5.55 से06:19 तक

  • लाभ का चौघड़िया रात्रि 9 बजे से 10.30 तक

  • वर्जित चंद्रदर्शन का समय सुबह 9 बजकर 12 मिनट से शाम 8 बजकर 53 मिनट तक

गणपति स्थापना की पूजन सामग्री :

पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश की प्रतिमा, जल का कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत, कलावा, लाल कपड़ा, जनेऊ, गंगाजल, सुपारी, इलाइची, बतासा, नारियल, चांदी का वर्क, लौंग, पान, पंचमेवा, घी, कपूर, धूप, दीपक, पुष्प, भोग का समान आदि।

स्थापना विधि :

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। गणपति का स्मरण करते हुए पूजा की पूरी तैयारी कर लें। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें। एक कोरे कलश में जल भरकर उसमें सुपारी डालें और उसे कोरे कपड़े से बांधे। चौकी स्थापित कर उसमें लाल रंग का कपड़ा बिछा दें।स्थापना से पहले गणपति को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद गंगाजल से स्नान कराकर चौकी में जयकारे लगाते हुए स्थापित करें। इसके साथ रिद्धि-सिद्धि के रूप में प्रतिमा के दोनों ओर एक-एक सुपारी रख दें। मोदक का भोग लगाएं तथा दूर्वा अर्पित कर अथर्वशीर्ष का पाठ करें।

10 दिन में 10 संकल्प से बदलेगा जीवन :

प्रथम दिवस : जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा : भगवान गणेशजी ने अपने माता-पिता को पूरा संसार माना इसलिए उन्हें प्रथम पद की प्राप्ति हुई उसी प्रकार आप अपने माता पिता को भगवान मानते हुए उनका सदैव आदर सत्कार व सम्मान करें।

द्वितीय दिवस : आप किसी अंध आश्रम में समर्थ अनुसार अपनी सहायता पहुंचाएं और उस दृष्टि दिव्यांग लोगों के गणपति बनें।

तृतीय दिवस : अंधन को आंख देत : मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लें और नेत्रदान का फार्म भरकर किसी के जीवन के गणेश बनें।

चतुर्थ दिवस : कोडिन को काया : इस दिन प्रयास करें कुष्ट आश्रमों में सहायता पहुंचाने का और अधिक से अधिक लोगों को इस शुभ कार्य के लिए प्रेरित करके गणेश बनें।

पंचम दिवस : बांझजन को पुत्र देत: आई बीएफ के द्वारा महिलाओं को प्रजनन क्षमता को विकसित करने के लिए प्रेरित करें ताकि संतान हीन महिलाओं को संतान सुख प्राप्त हो सके।

छठवां दिन : निर्धन को माया : किसी निर्धन के लिए सबसे बड़ा धन शिक्षा है जो उसे गरीबी के कुचक्र से बाहर निकाल सकता है। आज के दिन हम कम से कम एक निर्धन की शिक्षा का जिम्मा अपने कंधों पर लें और अपनी समर्थ के अनुसार इस दिशा में काम करके गणेश बने।

सप्तम दिवस : सातवें दिन हमें एक प्रतिज्ञा लेनी होगी कि हम कम से कम एक निर्धन व्यक्ति के रोजगार या व्यवसाय का सहारा बने और उनके गणेश बने

अष्टम दिवस : विघ्न हरो देवा : जल संचय के नाम जल ही जीवन है जल संचय का अभियान शुरू करें।

नवम दिवस : वृक्षारोपण आने वाले समय की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है हम इस मुहिम का हिस्सा बनकर इस संसार मैं विघ्नहर्ता की भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं

दशम दिवस : दीनन की लाज रखो शंभू सुतकारी : अंतिम विसर्जन का दिन है आप गणेश जी को विसर्जित जरूर करें पर पिछले 9 दिन में किए गए सभी कामों से इस संसार के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों में और अपने दिल में सदा-सदा के लिए भगवान लंबोदर को स्थापित कर लें।

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