गुप्त नवरात्र-यंत्र मंत्र सिद्धि का श्रेष्ठतम काल है
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Gupt Navratri 2021 : गुप्त नवरात्र यंत्र मंत्र सिद्धि का श्रेष्ठतम काल है

Author : Mumtaz Khan

हाइलाइट्स :

  • आठ दिनों की नवरात्रि, सप्तमी तिथि का क्षय

  • श्रीवत्स,सर्वार्थसिद्धि व रविपुष्य योग में होगा प्रारम्भ

  • समापन भड़ली नवमी पर अबूझ मुहूर्त में होगा

इन्दौर, मध्यप्रदेश। आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 11 जुलाई रविवार से गुप्त नवरात्रि का प्रारम्भ श्रीवत्स, सर्वार्थसिद्धि व रविपुष्य महायोग में हो रहा है। इस वर्ष आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि आठ दिनों की होगी। 11 जुलाई रविवार प्रतिपदा से प्रारंभ होकर 18 जुलाई नवमी को समापन होगा।

आचार्य पण्डित शर्मा वैदिक ने बताया कि इस वर्ष सप्तमी तिथि का क्षय होने से नवरात्र नौ दिनों के बजाय आठ दिनों की होगी।16 जुलाई शुक्रवार को माँ कात्यायनी व कालरात्रि का पूजन एकसाथ होगा। आठ दिनों की नवरात्रि में आठ भुजाओं वाली माता के पूजन से पूरा वर्ष आनन्द से व्यतीत होता है।

वर्ष में कुल चार नवरात्र होते है :

भारतीय नववर्ष में कुल चार नवरात्र चैत्र, आषाढ़,आश्विन व माघ माह में होते है। इनमें दो नवरात्र चैत्र व आश्विन माह के उजागर होते है। आषाढ़ व माघ माह के नवरात्र गुप्त होते है।चारों नवरात्र की अपनी अपनी महत्ता है। गुप्त नवरात्र यंत्र,तंत्र व मंत्रसिद्धि के सर्वश्रेष्ठ कालमाने जाते है। देशभर के देवी मंदिरों में यह अपनी अपनी परम्परा व मान्यता के अनुसार विधि विधान से मनाए जाते हैं। गुप्त नवरात्रियों में यंत्र,तंत्र व मंत्रों को मानव हित मे सिद्ध किया जाता है। ये साधना व उपासना के श्रेष्ठतम काल कहे गए है। आचार्य पण्डित शर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष कोविड 19 के चलते चारों नवरात्रियां सामूहिक रूप से नहीं मनाई जा सकी। इस वर्ष भी चैत्र नवरात्र भी नहीं मनाया गया।

नवरात्रियों में देवी को कैसे करें प्रसन्न :

नवरात्र में घटस्थापना, चंडी पाठ, नवार्ण मंत्र साधना, अखंड दीप साधना, उपवास,दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों से अष्टमी व नवमी को हवन पूजन, कन्या पूजन, नवदुर्गा व दशमहाविद्या साधना, यंत्र, मंत्र व तंत्र सिद्धि का विशेष महत्व है। सामान्यत: गुप्त नवरात्रि में दशमहाविद्या साधना का विशेष महत्व है। साधना सात्विक विधि से शुद्धता व पवित्रता से ही की जाना चाहिए। इस वर्ष आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि आठ दिनों की है। अत: आठ भुजाओं वाली देवी की साधना से चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति संभव है। आचार्य पण्डित शर्मा वैदिक ने बताया कि आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि में भडली नवमी की विशेष मान्यता है। यह अबूझ संज्ञक मुहूर्त की श्रेणी में आता है। आज के दिन सभी प्रकार के शुभ कार्य करने की शास्त्र आज्ञा है। भडली नवमी को गुप्त नवरात्रि का समापन होता है। आगे 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चार माह के लिए देवशयन काल व चतुर्मास का आरम्भ होने से मंगल कार्यों पर विराम लग जाता है। अत: भड़ली नवमी को अबूझ मुहूर्त में सभी प्रकार के शुभ कार्य किये जा सकते हैं।

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