कैसे की जाती है भाई दूज की पूजा
कैसे की जाती है भाई दूज की पूजा Syed Dabeer Hussain - RE
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कैसे की जाती है भाई दूज की पूजा? जानिए मुहूर्त से लेकर महत्व तक

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। प्रतिवर्ष कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को टीका लगाती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। राखी के त्योहार की तरह ही भाई दूज का भी भाई-बहन के लिए खास महत्व होता है। भाई दूज को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। इस वर्ष भाई दूज 26 अक्टूबर और 27 अक्टूबर को मनाई जा रही है। चलिए इस खास पर्व पर हम आपको बताते हैं भाई दूज के महत्व, शुभ मुहूर्त आदि के बारे में।

कब मनाया जा रहा है भाई दूज?

इस साल कुछ लोग 26 अक्टूबर के दिन तो वहीं कुछ लोग 27 अक्टूबर के दिन भाई दूज मना रहे हैं। लेकिन दोनों ही दिनों के लिए यह पर्व सही है, क्योंकि इस साल कार्तिक शुक्ल की द्वितीया तिथि इन दोनों ही दिन रहने वाली है। पंचांग के अनुसार देखें तो द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर की दोपहर 2।43 बजे से शुरू होकर अगले दिन 27 अक्टूबर की दोपहर 12।45 बजे तक रहने वाली है।

भाई दूज का महत्व :

हिंदू धर्म में भाई दूज के पर्व को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि यह दिन भाइयों और बहनों के बीच के समर्पण को दर्शाता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर हल्दी और रोली से टीका लगाती हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन भाई और बहन यमुना नदी के किनारे भोजन करते हैं, तो उनके जीवन में सौभाग्य आता है।

भाई दूज की टीका विधि :

पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भाई अपनी शादीशुदा बहनों के घर भोजन के लिए जाते हैं। जबकि कुंवारी बहनें अपने घर पर ही भाई को टीका लगाती हैं। इस दिन सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके बाद भाई का टीका करने के लिए थाली को सजाया जाता है। इस थाली में रोली, हल्दी, अक्षत और गोला रखा जाता है। भाई को तिलक लगाने के बाद उसे गोला दिया जाता है। अब भाई अपनी बहन से आशीर्वाद लेते हैं और उन्हें कुछ उपहार देते हैं।

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