केदारनाथ मंदिर की अनोखी है कहानी?
केदारनाथ मंदिर की अनोखी है कहानी? Syed Dabeer Hussain - RE
मैडिटेशन एंड स्पिरिचुअलिटी

केदारनाथ मंदिर की अनोखी है कहानी? जानिए कैसे बना केदारनाथ में भोलेनाथ का मंदिर?

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। भारत में भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग हैं और हर किसी की अपनी अलग कथा और महिमा है। इन्हीं में से एक है केदारनाथ, जहां भोलेनाथ के दर्शन के लिए जाने का हर शिव भक्त का सपना होता है। उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन के लिए हर साल की तरह इस साल भी लाखों की संख्या में श्रद्धालू पहुंच रहे हैं। भगवान की एक झलक पाने के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है। धार्मिक मान्यता के अनुसार केदारनाथ मंदिर भक्तों के दिलों में अनूठा स्थान रखता है। इस मंदिर के यहां स्थापित होने की अपनी एक अलग कथा है।

क्या है कहानी?

पुराणों के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने भाइयों की हत्या के पाप से मुक्त होना चाहते थे। उन्हें प्रभु से आशीर्वाद की कामना थी, लेकिन भोलेनाथ उनके इस काम से खुश नहीं थे इस कारण वे केदारनाथ चले गए। परंतु पांडव भी उनके दर्शन पाने के लिए उनके पीछे वहां जा पहुंचे।

जब यहां भगवान शिव ने सभी पांडवों को देखा तो उन्होंने एक भैंसे का रूप धर लिया और वहां के बाकी पशुओं के बीच जा पहुंचे, ताकि पांडव उन्हें पहचान ना सकें। परन्तु इसके बाद भीम ने विशाल रूप धारण किया और अपने पैरों को दो पहाड़ों पर फैला दिया।

भीम के ऐसा करने के उपरांत इस पहाड़ के नीचे से बाकी के सभी पशु निकल गए लेकिन भैंसे के रूप में भगवान नहीं निकले। इसके बाद भीम उस भैंसे को पकड़ने के लिए उस पर झपटे लेकिन भैंसा जमीन में धंसने लगा। हालांकि भीम ने इस भैंसे का पिछला हिस्सा पकड़ लिया। माना जाता है कि भगवान तब पांडवों की ईच्छाशक्ति से बेहद खुश हुए और उन्हें दर्शन देकर हत्या के पाप से भी मुक्त किया।

क्या है मान्यता?

धार्मिक पुराणों के अनुसार उस समय के बाद से ही केदारानाथ में भैंस की पीठ को शिव का रूप माना जाता है और इनकी पूजा और अर्चना की जाती है।

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