त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग Syed Dabeer Hussain - RE
मैडिटेशन एंड स्पिरिचुअलिटी

त्र्यंबकेश्वर : यहां एक साथ होते हैं ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश के दर्शन, बड़ी रोचक है पौराणिक कथा

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। हिंदू धर्म में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व हैं। इन्हीं ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। त्रिंबक नाम की जगह पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग को त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां छोटे-छोटे तीन लिंग है, जिसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां तीनों भगवान एक साथ विराजते है। त्रयंबकेश्वर मंदिर के समीप ही ब्रह्मगिरि नामक पर्वत है, जहां से पवित्र गोदावरी नदी प्रवाहित होती है। गोदावरी नदी को दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है। त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग और गोदावरी नदी के संबंध में शिवपुराण में एक बहुत ही रोचक कथा वर्णित है।

ज्योतिर्लिंग की कथा :

एक बार महर्षि गौतम के तपोवन में रहने वाले ब्राह्मण की पत्नियां किसी बात को लेकर महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या से नाराज हो गईं। ऐसे में महर्षि गौतम का अपमान करने के लिए ब्राह्मणों ने भगवान गणेश की कठोर तपस्या की। ब्राह्मणों की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उन्हें दर्शन दिए और वर मांगने के लिए कहा। इस पर ब्राह्मणों ने महर्षि गौतम को तपोवन से बाहर निकालने के लिए कहा। भगवान गणेश ने ब्राह्मणों को ऐसा ना करने के लिए समझाया, लेकिन वह नहीं माने। आखिर में भगवान गणेश को उनकी बात माननी पड़ी।

गोहत्या का पाप :

विवश होकर भगवान गणेश ने एक दुर्बल गाय का रूप धारण किया और महर्षि गौतम के खेत में फसल खाने लगे। यह देख महर्षि गौतम ने जैसे ही गाय को भगाने के लिए उसे तिनकों से उसे धीरे से मारा, गाय वहीं मर गई। यह देख सारे ब्राह्मणों ने महर्षि गौतम पर गोहत्या का आरोप लगाते हुए उन्हें वहां से जाने के लिए कह दिया। इस पर महर्षि गौतम ने उनसे प्रायश्चित करने का उपाय पूछा।

कठोर तपस्या :

ब्राह्मणों ने महर्षि गौतम से कहा कि तुम तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा, एक महीने तक व्रत और ब्रह्मगिरि की सौ परिक्रमा करो तो ही तुम्हारी शुद्धि होगी। यदि यह ना कर सको तो गंगा जी को यहां लेकर आओ और उनके जल से स्नान करके एक करोड़ पार्थिव शिवलिंग की पूजा करो। इसके बाद वापस गंगा में स्नान करके फिर सौ घड़ों से पार्थिव शिवलिंग का जलाभिषेक करो। ब्राह्मणों के बताए अनुसार महर्षि गौतम ने कठोर तपस्या की।

भगवान शिव ने दिए दर्शन :

महर्षि गौतम की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन देते हुए ब्राह्मणों द्वार किए गए छल के बारे में बताया और उन्हें दंड देने की बात कही। इस पर महर्षि गौतम ने कहा कि इनके छल के कारण ही मुझे आपके दर्शन हुए हैं। आप इन्हें माफ़ कर दे और हमेशा के लिए यहां विराजमान हो जाए। इसके बाद भगवान शिव वहीँ गौतमी-तट पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। इसके अलावा महर्षि गौतम द्वारा लाई गई माता गंगा भी पास में ही गोदावरी नाम से प्रवाहित होने लगीं।

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