बुलडोजर पैरेंटिंग
बुलडोजर पैरेंटिंग Syed Dabeer Hussain - RE
पेरेंटिंग एंड मदरहुड

बच्‍चे को हर वक्‍त संभालने की आदत कहलाती है “बुलडोजर पैरेंटिंग”, जानिए इससे बचने के तरीके

Deepti Gupta

Bulldozer Parenting : माता-पिता का फर्ज है कि बच्‍चों को सभी हानिकारक चीजों से बचाएं। उनकी मदद करें। जाहिर है आप उन्‍हें जीवन में मुश्किलें झेलते नहीं देख सकते और हर बार उनकी ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं। अगर आप ऐसे पैरेंट हैं, तो सावधान हो जाएं। क्‍योंकि आपकी यह आदत बच्‍चों को मजबूत बनाने से रोक रही है जिससे वे मुश्किलों का सामना नहीं सीख पा रहे। हाल में दो मामलों ने इस तरह के माता -पिता की ओर ध्‍यान आकर्षित किया है। जिसमें न्‍यू जर्सी के 14 साल के बच्‍चे ने ऑनलाइन प्रताड़ना के बाद सुसाइड कर लिया और दूसरा टैलेंट हंट में बेटे का सिलेक्‍शन न होने के बाद माता-पिता आयोजकों से लड़ने पहुंच गए। मेडिकल की भाषा में इसे “बुलडोजर पैरेटिंग” या “स्नोप्लो पैरेंटिंग” कहते हैं। इसी का नतीजा है कि मुश्किल वक्‍त में बच्‍चे खुदकुशी जैसे खतरनाक कदम उठा रहे हैं। चलिए जानते हैा क्‍या है बुलडोजर पैरेंटिंग और इससे कैचे बच सकते हैं।

क्‍या है बुलडोजर पैरेंटिंग

यह एक पैरेंटिंग स्‍टाइल है। जिसमें माता पिता बच्‍चे के रास्ते में आई सभी छोटी बड़ी दिक्‍कतों को दूर करने के लिए हर वक्‍त खड़े रहते हैं। ताकि वे दर्द, विफलता और परेशानी का अनुभव न कर पाएं। स्‍वस्‍थ बचपन जीने के लिए यह तरीका अच्‍छा है, इससे बच्‍चों को लाइफ की अलग-अलग स्किल्‍स सीखने में मदद मिलती है। लेकिन बड़े होने पर यह बच्‍चों के विकास में नकारात्‍मक प्रभाव डालती है। कई बार बुलडोजर पैरेंटिंग का असर होता है कि बच्‍चे जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते और परेशानियों का सामना करने से डरते हैं।

बुलडोजर पैरेंटिंग के परिणाम

ऐसा करके माता-पिता को तनाव और रोज रोज की टेंशन से राहत मिलती है। हालांकि, हर वक्‍त उनका ऐसा व्‍यवहार बच्‍चे के विकास पर नकारात्‍मक प्रभाव डाल सकता है। ऐसे बच्‍चे असफलता से पीछे हटने लगते हैं, अपने दम पर हर प्रॉब्लम को सॉल्व करना कठिन हो जाता है और भविष्य में किसी प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करने पर ये बच्‍चे डरते हैं।

हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग से ज्‍यादा बुरी है बुलडोजर पैरेंटिंग

वास्‍तव में यह तरीका हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग से भी ज्यादा बुरा और खतरनाक है। हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग में माता-पिता का बच्‍चे की पढ़ाई से लेकर स्‍कूल और कॉलेज लाइफ तक में बहुत ज्‍यादा इंवॉल्वमेंट होता है, जबकि बुलडोजर पैरेंटिंग में उनकी पूरी कोशिश रहती है कि बच्‍चों को समस्‍या का सामना कभी करना ही ना पड़े। ऐसे बच्‍चे वास्तविक जिंदगी के लिए कभी तैयार नहीं हो पाते। क्‍योंकि वे चीजों को अपनी दम पर हल करना नहीं जानते।

बुलडोजर पैरेंट बनने से कैसे बचें

संभालें नहीं, सिखाएं

अगर आप बुलडोजर पैरेंट़स की कैटेगरी में आते हैं, तो आपको बच्‍चे को सिखाना है कि तनाव में सकारात्मक प्रतिक्रिया कैसे दी जाती है। उन्‍हें खुद निराशा और असफलता से निपटने के लिए कहें।

रिजल्‍ट का वेट करें

बच्‍चे की लाइफ में कोई परेशानी है, तो उसे खुद इससे जुझने दें और देंखे कि क्‍या होता है। आपका यह तरीका उन्‍हें लाइफ में फ्लेक्सिबिलिटी सिखाएगा। और आगे चलकर ये बच्‍चे अपने दम पर हर समस्‍या को सुलझाना सीख जाएंगे।

बच्‍चे की इच्‍छा जानें

हर माता-पिाता जानते हैं कि उनके बच्‍चे के लिए सबसे अच्‍छा क्‍या है। ऐसे में वह कभी भी बच्‍चों की राय लेना पसंद नहीं करते। बेहतर है कि उनकी इच्‍छा और लक्ष्‍य को जानें । हो सकता है कि रास्‍ता कठिन हो, लेकिन इस असफलता से बहुत कुछ सीख पाएंगे।

प्रयास की तारीफ करें

हमेशा बच्‍चे द्वारा किए गए प्रयासों की तारीफ करें, न कि उसकी सफलता के लिए उसे हर बार शाबाशी दें। ऐसा करने से वह अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलेंगे और सहज होना सीख पाएंगे।

समस्याओं का समाधान न करें

कोई भी माता-पिता अपने बच्‍चे को परेशान और उदास नहीं देख सकते। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर बार आप उसकी समस्‍या का समाधान करेंगे। बता दें कि आपकी यह आदत बच्‍चे की प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल को डेवलप करने से रोकती है। हालांकि, गंभीर स्थितियों में उनका साथ दें, लेकिन उन्हें बताएं कि वे समस्याओं का समाधान कैसे कर सकते हैं।

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