गोल्‍डन चाइल्‍ड सिंड्रोम
गोल्‍डन चाइल्‍ड सिंड्रोम Syed Dabeer Hussain - RE
पेरेंटिंग एंड मदरहुड

आपके बच्‍चे को भी तो नहीं “गोल्‍डन चाइल्‍ड सिंड्रोम”, जानिए क्‍या हैं इसके लक्षण और प्रभाव

Deepti Gupta

राज एक्सप्रेस। कई बार मजाक में बच्‍चे अपने भाई बहनों से कहते हैं कि मम्मी पापा मुझसे ज्‍यादा प्‍यार करते हैं। हालांकि, पेरेंट्स के लिए सभी बच्‍चे समान हैं और वे सभी से बराबर प्यार करते हैं, बावजूद इसके एक बच्‍चा ऐसा होता है, जिसे वह ज्‍यादा केयर, प्‍यार और अटेंशन देते हैं और वह फैमिली का गोल्‍डन चाइल्‍ड बन जाता है। बता दें कि फैमिली के गोल्‍डन चाइल्‍ड को सबका खूब दुलार और तारीफें मिलती हैं। उसकी हर सही या गलत डिमांड को बिना किसी शर्त के पूरा किया जाता है और पेरेंट्स का सारा फोकस बस उसी पर रहता है। ऐसा होने पर दूसरे बच्‍चों में नाराजगी का भाव पैदा होता है। अगर वास्‍तव में घर में ऐसा हो रहा है, तो बच्‍चा गोल्‍डन चाइल्‍ड सिंड्रोम से पीड़ित हो सकता है। पैरेंटिंग की दुनिया में यह एक नया शब्‍द है, जिससे बच्‍चों में भेदभाव की भावना पैदा होने लगी है। आइए हम आपको बताते हैं क्‍या है गोल्‍डन चाइल्‍ड सिंड्रोम, इसके लक्षण और प्रभावों के बारे में।

क्‍या हे गोल्‍डन चाइल्‍ड सिंड्रोम

गोल्‍डन चाइल्‍ड सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जब एक बच्चे को उसके माता-पिता उसके दूसरे भाई या बहनों से ज्‍यादा प्‍यार और तवज्‍जो देते हैं। इस स्थिति में माता-पिता एक बच्चे की हमेशा तारीफ करते हैं, जबकि दूसरों को अनसुना कर देते हैं। यहां तक की उनकी जरूरतों का भी ख्‍याल नहीं रखा जाता। इससे दूसरे बच्‍चों में नाराजगी और जलन तो बढ़ती ही है साथ ही उस बच्‍चे पर माता-पिता का दबाव और अपेक्षाएं बढ़ सकती हैं।

गोल्‍डन चाइल्‍ड सिंड्रोम के लक्षण

  • गोल्‍डन चाइल्‍ड कभी स्‍वतंत्र नहीं रह पाते। वह हर चीज के लिए अपने पेरेंट्स पर डिपेंड रहते हैं।

  • ऐसे बच्‍चे रिश्‍तों को निभाने में कठिनाई का अनुभव करते हैं।

  • बहुत जल्‍दी व्‍यस्‍कों की भूमिका में आ जाते हैं।

  • घर के दूसरे बच्‍चों से ज्यादा उसकी परवाह की जाती है।

  • गोल्‍डन चाइल्‍ड अपने भाई या बहनों को अपना कॉम्पीटीटर मानने लगते हैं।

गोल्डन चाइल्ड होने पर क्‍या पड़ता है प्रभाव

परफॉर्म करने का प्रेशर

गोल्‍डन चाइल्‍ड हमेशा अपना बेस्‍ट परफॉर्म करने और अपने हर काम में पूर्णता हासिल करने का दबाव महसूस करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पेरेंट्स को उससे ज्‍यादा उम्‍मीदें होती हैं और वह हर हाल में उनकी उम्‍मीदों पर खरा उतरना चाहता है।

असफलता स्‍वीकार नहीं

किसी एक बच्चे को अगर ज्‍यादा प्रायोरिटी दी जाए, तो उसे असफलता कभी स्‍वीकार नहीं होती। क्योंकि उन्‍हें शुरू से ही सबकुछ हाथों हाथ मिला और किसी चीज को पाने के लिए उन्‍हें कभी संघर्ष नहीं करना पड़ा। ऐसे गोल्‍डन चाइल्‍ड फेल होने का मतलब नहीं समझते और ऐसा कुछ हो जाए, तो आसानी से असेप्ट नहीं कर पाते।

आलोचना नहीं सुन सकते

गोल्‍डन चाइल्‍ड को अपनी आलोचना यानी बुराई सुनने में दिक्‍कत हो सकती है। लाड़ दुलार के चलते वे जीवन में समझ ही नहीं पाते कि कोई भी परफेक्‍ट नहीं होता। हर किसी में कोई न कोई कमी होती ही है। शुरू से ही उन्‍हें परफेक्‍ट चाइल्‍ड से नवाजा गया है , इसलिए उन्‍हें अपने प्रति गलत शब्‍दों को सुनने की आदत नहीं होती।

भाई बहनों के साथ तनावपूर्ण रिश्‍ते

गोल्‍डन चाइल्‍ड के रिलेशन अपने भाई बहनों से अच्‍छे नहीं होंगे। वह अपने भाई बहनों की सफलता से जलेगा और उनकी खुशी में कभी खुश नहीं होगा। यहां तक कि माता-पिता थोडा प्‍यार उसके भाई बहनों को करें, तो उसे जलन महसूस होने लगेगी।

गोल्डन चाइल्ड सिंड्रोम के प्रभाव को कैसे दूर करें

सेल्‍फ अवेयरनेस डेवलप करें

गोल्‍डन चाइल्‍ड में सेल्‍फ अवेयरनेस डेवलप करना जरूरी है। उन्‍हें यह समझना होगा कि गोल्‍डन चाइल्‍ड होने का उन पर क्या प्रभाव पड़ा है। इसमें उनके बचपन के अनुभवों के बारे में सोचना और पहचानना कि पेरेंट्स की परवरिश ने उनके व्यक्तित्व को कैसे आकार दिया है, यह सब चीजें शामिल हैं।

खामियों को स्‍वीकार करना सीखें

असफलता का डर अक्सर गोल्डन चाइल्ड के साथ होता है। इसके प्रभाव को दूर करने के लिए बच्‍चे का अपनी खामियों को स्वीकार करना बहुत जरूरी है।

बता दें कि गोल्‍डन चाइल्‍ड सिंड्रोम मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। लेकिन यह कोई मानसिक बीमारी नहीं है। इसके बजाय, इसे आम तौर पर एक पारिवारिक समस्या के रूप में देखा जाता रहा है। इससे बचने के लिए माता-पिता के लिए जरूरी है कि वह पक्षपात से बचें और अपने सभी बच्चों के साथ समान व्यवहार करें।

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