सहिष्णुता दिवस
सहिष्णुता दिवस Syed Dabeer Hussain - RE
रिलेशनशिप्स एंड सेक्शूऐलिटी

सहिष्णुता दिवस : क्या है इसका इतिहास? असहिष्णुता को रोकने के लिए उठाने चाहिए यह कदम

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। आज International Day for Tolerance यानी अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस है। हर साल 16 नवंबर को पूरी दुनिया में सहिष्णुता दिवस मनाया जाता है। इस दिन समाज में सहिष्णुता फैलाने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के प्रयास किए जाते हैं। इसका मकसद समाज में फैली असहिष्णुता और घृणा को कम करके लोगों के बीच भाईचारे को बढ़ाना है। बता दें कि असहिष्णुता का मतलब सहन करने की क्षमता ना होना है।

सहिष्णुता दिवस का इतिहास :

दरअसल साल 1994 में महात्मा गाँधी की 125वीं वर्षगांठ पर संयुक्त राष्ट्रीय महासभा के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस मनाने की घोषणा की गई थी। साल 1996 में 16 नवंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस’ मनाने के रूप में चुना गया। इस दिन महात्मा गाँधी के शांति, अहिंसा और समानता के मूल्यों का प्रचार-प्रसार किया जाता है। समाज में सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए ‘यूनेस्को मदनजीत सिंह पुरुस्कार’ भी दिया जाता है।

सहिष्णुता दिवस का उद्देश्य :

वर्तमान समय में पूरी दुनिया में अत्याचार, हिंसा और अन्याय के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लोग तेजी से असहिष्णु हो रहे हैं। ऐसे में इस दिवस के जरिए लोगों को सहिष्णु बनाना और उन्हें अहिंसा के लिए प्रेरित किया जाता है। इस दिन दुनियाभर में कई तरह की बैठकों का आयोजन किया जाता है, जिसमें समाज को हिंसा और घृणा से मुक्त करने के प्रयासों पर चर्चा की जाती है। साथ ही समाज में अहिंसा को बढ़ावा देने वाले लोगों को सम्मानित भी किया जाता है।

भारत में सहिष्णुता :

बीते कुछ सालों में देश में सहिष्णुता और असहिष्णुता को लेकर काफी चर्चा हुई है, लेकिन साल 2018 में Ipsos MORI द्वारा किए गए एक सर्वे में सहिष्णुता को लेकर भारत की स्थिति अच्छी आई है। 27 देशों में किए गए इस सर्वे के अनुसार भारत सहिष्णु देशों की लिस्ट में चौथे स्थान पर है। हंगरी इस लिस्ट में सबसे नीचे जबकि ब्रिटेन 11वें, अमरीका 13वें और जर्मनी 14वें नंबर पर हैं।

असहिष्णुता को कैसे रोकें?

समाज में फैली असहिष्णुता को रोकने के लिए कानून का सहारा लिया जा सकता है। इसके जरिए अपराधों और भेदभाव करने वालों पर सख्ती की जा सकती है।

लोगों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षित और जागरूक करके भी हम समाज में से असहिष्णुता को कम कर सकते हैं।

अक्सर लोग नफरत बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया के जरिए झूठी और भ्रामक ख़बरें फैलाते हैं। ऐसे में जरुरी है कि झूठी ख़बरों को फैलने से रोका जाए और सही खबर ही लोगों तक तुरंत पहुंचे।

समाज से असहिष्णुता को कम करने के लिए हमें सिर्फ सरकार या संगठनों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसके लिए सामूहिक प्रयास करना सबसे जरुरी हैं।

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