देश को महामारी से बचाने के लिए मोदी-शाह पर कैसे करें भरोसा: कांग्रेस
देश को महामारी से बचाने के लिए मोदी-शाह पर कैसे करें भरोसा: कांग्रेस Priyanka Sahu-RE
पॉलिटिक्स

देश को महामारी से बचाने के लिए मोदी-शाह पर कैसे करें भरोसा: कांग्रेस

Author : राज एक्सप्रेस

राज एक्‍सप्रेस। कांग्रेस ने कहा है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश गुजरात और गृहमंत्री अमित शाह के संसदीय क्षेत्र अहमदाबाद में कोरोना की स्थिति सबसे बदतर है और यदि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई छेड़ने वाले इन दोनों प्रभावशाली लोगों के गृह क्षेत्र की यह स्थिति है, तो जनता उन पर कैसे भरोसा करेगी कि, वे देश को इस महासंकट से निजात दिला सकते हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने रविवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, मोदी-शाह की जोड़ी देश को इस महामारी से बचाने के लिए आश्वस्त कर रही है, लेकिन यह दो बड़े नेता अपने प्रदेश को संभालने में ही असमर्थ साबित हो रहे हैं। अहमदाबाद तो श्री शाह का संसदीय क्षेत्र है, लेकिन इस महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र में कोरोना सबसे बड़ा संकट बन गया है। इसे लेकर गुजरात उच्च न्यायालय ने जो टिप्पणी की है वह बहुत चौंकाने वाली है और उन्होंने न्यायालय से इस तरह की फटकार कम ही सुनी है।

उन्होंने कहा कि, गुजरात उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने शनिवार को गुजरात सरकार के अहमदाबाद में कोरोना की स्थिति को लेकर जो शब्द कहें हैं वे निशब्द करते हैं और उन्हें सुनकर लगता है कि सच में गुजरात में जंगलराज चल रहा है। श्री मनु सिंघवी ने कहा कि, न्यायालय ने अपने 143 पेज के आदेश में कहा है कि गुजरात का अहमदाबाद शहर कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है जहां वेंटीलेटर, आईसीयू और पीपीई की गंभीर रूप से कमी है।

न्यायालय ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल को लेकर ज्यादा ही तीखी टिप्पणी की और कहा है कि, इस अस्पताल की स्थिति बहुत खराब है, जबकि यह शहर का प्रमुख अस्पताल है। अहमदामद में कोरोना के कारण जो मौत हो रही हैं उनमें 62 प्रतिशत मामले इसी अस्पताल के है जबकि कोरोना वायरस से संक्रमित लोग पूरे गुजरात की तुलना में 85 प्रतिशत इसी शहर में हैं।
अभिषेक मनु सिंघवी

उन्होंने कहा कि, न्यायालय की टिप्पणी में कहा गया है, ''कोरोना को लेकर पूरी तरह से लापरवाही बरती जा रही है और किसी का कहीं कोई नियंत्रण ही नजर नहीं आता है। स्वास्थ्य मंत्री शायद कभी इस अस्पताल में झांकने तक नहीं गये होंगे जिससे सिविल अस्पताल की स्थिति तहखाने से भी बदतर हुई है।''

आगे उन्होंने ये भी कहा कि, न्यायालय ने निजी अस्पतालों को टेस्ट करने की अनुमति नहीं होने को भी संज्ञान में लिया है और इस पर आश्चर्य व्यक्त किया है। दिल्ली सहित कई प्रदेशों में निजी अस्पतालों को कोरोना जांच की अनुमति है लेकिन हैरानी की बात है कि गुजरात सरकार ने यह सुविधा नहीं दी है।

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