जुल्म और जालिम की मुद्दत अधिक नहीं होती : आजम खान
जुल्म और जालिम की मुद्दत अधिक नहीं होती : आजम खान Social Media
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जुल्म और जालिम की मुद्दत अधिक नहीं होती : आजम खान

News Agency

रामपुर। 26 महीने 24 दिन जेल में बिताने के बाद अपने गृह जिले रामपुर पहुंचे समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक मोहम्मद आजम खान ने शुक्रवार को कहा कि जुल्म और जालिम की मुद्दत अधिक नहीं होती है। तारीख गवाह है जब जुल्म खत्म होता है, तो जालिम भी खत्म होता है।

अपने आवास टंकी नंबर 5 पर एक बड़े काफिले के साथ पहुंचे आजम का स्वागत वहां पहले से मौजूद हजारों समर्थकों ने गर्मजोशी से किया। घर के बाहर मुमताज पार्क किनारे आजम ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा '' हमने यह गलियां साढ़े तीन साल बाद देखीं हैं। हम जिन्दा खड़े हैं यह एक आश्चर्य है, क्योंकि जहां हमें रखा था,वहां अंग्रेजों के जमाने की कालकोठरी है। जहां अगले दिन के बाद फांसी दे दी जाती थी। हमारे बराबर में फांसी घर भी था। बीवी बच्चों के आने के बाद सुबह होती थी, फिर शाम का ख्याल, रात होती थी तो सुबह का ख्याल होता था।"

उन्होने कहा '' हमारे आपके बीच जो रिश्ते हैं उनमें जुदाई का ख्याल भी नहीं था। जब बहुत छोटे थे तो इमरजेंसी लग गई थी और अलीगढ़ में यूनियन के सेक्रेटरी थे, तब भी हमें गिरफ्तार होना पड़ा था। पौने दो साल बनारस की जेल काटी थी, जब जिंदगी की शुरुआत थी। हमारा 40 साल के सफर में कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी।"

बेहद भावुक अंदाज में सपा के बुजुर्ग नेता ने कहा '' शिक्षा के मंदिर के रूप में हमने यूनिवर्सिटी का पौधा लगाया। दुश्मनों को सद्बुद्धि दे ईश्वर। जिन पेड़ों को यह समझा जा रहा है कि यह सूख गए हैं। तुम्हारे खून पसीने की कसम इन दरख्तों में नई कोपलें निकलेंगी। हम तो नहीं होंगे लेकिन हमारी नस्ले शिक्षा के मंदिर की बहुत बड़ी शक्ल देखेंगे। याद रखो तारीख को तोड़ा मरोड़ा जा सकता है, लेकिन तारीख को मिटाया नहीं जा सकता।"

उन्होने कहा ''मेरे साथ, मेरे घर के साथ, मेरे खानदान के साथ, मेरे शहर और मेरे जिले के साथ जो कुछ हुआ उसे आने वाली नस्लें बर्बादी की यह तारीख पढ़ कर रोया करेंगी। जब उन्हें यह मालूम होगा कि कैसे चमन उजाड़े जाते हैं। यह चमन सिर्फ इसलिए उजाड़ दिया गया कि यहां तुम्हारी आबादी और गिनती ज्यादा है। अगर तुम इस अहसास को महसूस नहीं करोगे तो हमारे जैसे लोग कितने आएंगे और मायूस होकर चले जाएंगे। तुम्हारे मुकद्दर के संभालने वाले थक जाएंगे। उन्हें थकने मत देना।"

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