जिंदगी के तीन साल हो गए खराब : हार्दिक पटेल
जिंदगी के तीन साल हो गए खराब : हार्दिक पटेल Social Media
पॉलिटिक्स

धर्म की उपेक्षा के चलते भी कांग्रेस से गुस्सा, जिंदगी के तीन साल हो गए खराब : हार्दिक पटेल

News Agency, राज एक्सप्रेस

अहमदाबाद। कांग्रेस से हाल ही में त्यागपत्र देने वाले पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने आज एक बार फिर मुख्य विपक्षी दल और इसके नेताओं पर तीखा हमला बोला और कहा कि, फिलहाल उन्होंने भाजपा अथवा आम आदमी पार्टी में शामिल होने के बारे में कोई फैसला नहीं किया है और इस सम्बंध में वह जब भी कोई निर्णय लेंगे वह ईमानदारी और गर्व के साथ करेंगे।

श्री पटेल ने पंजाब के चंडीगढ़ से अपने इस्तीफे का एलान करने के एक दिन बाद आज यहां पत्रकारों से कहा कि उन्हें कांग्रेस पर इसलिए गुस्सा आता है क्योंकि पार्टी बार-बार धर्म (हिंदू) सम्बंधी मुद्दों की उपेक्षा करती है।

उन्होंने राम मंदिर के लिए ईंट भेजने, मंदिरों तो तोड़ इन पर मस्जिद बनाने (ज्ञानवापी प्रकरण के संदर्भ में) और नागरिकता संशोधन कानून जैसे सत्तारूढ़ दल के प्रमुख मुद्दों का समर्थन भी किया।

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कांग्रेस के अधिकांश बड़े नेता अपने निजी लाभ के लिए पार्टी का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने गुजरात से जुड़े मुद्दों को राहुल और प्रियंका गांधी जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी बताया पर उन्होंने भी इनमे कोई रुचि नहीं ली। दो साल से पार्टी की गुजरात इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के बावजूद उन्हें कोई जिम्मेदारी ही पार्टी ने नहीं दी। पार्टी के नेता अब चाहते ही नहीं कि वह इसमें रहें। कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल उठाने और सच बोलने पर पार्टी ऐसा करने वाले को ही बदनाम करने का प्रयास करती है। उनके कहने पर पार्टी ने कभी किसी को टिकट नहीं दिया।

हार्दिक ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन के तीन साल कांग्रेस में रह कर खराब किए हैं। यह पार्टी गुजरात के लोगों को किस तरह दुखी किया जाए, इसी के लिए काम करती है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस में सबसे ज्यादा जातिवादी राजनीति होती है। पार्टी लोगों का इस्तेमाल कर उन्हें फेंक देने की नीति पर काम करती है। पार्टी किसी को मजबूत नहीं होने देती।

हार्दिक ने अपने इस्तीफे में आरोप लगाया था कि कांग्रेस केवल विरोध की राजनीति करती है। इसने राम मंदिर, धारा 370 हटाने और जीएसटी जैसे जरूरी मुद्दों का यूं ही विरोध किया। इसके पास विकास की वैकल्पिक राजनीति का अभाव है। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी परोक्ष प्रहार करते हुए लिखा है कि नेतृत्व गुजरात और देश के मुद्दों के प्रति गम्भीर नहीं है। मुलाकात के दौरान पार्टी के नेता इन मुद्दों की बजाय मोबाइल फोन देखने में अधिक रुचि लेते हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि गुजरात में पार्टी के बड़े नेता अपने निजी फायदे के लिए बिक गए हैं। वे राज्य की संस्कृति और जनता का अपमान कर शीर्ष नेताओं को चिकन सैंडविच और डायट कोक पहुंचाने में अधिक रुचि लेते हैं।

ज्ञातव्य है कि श्री पटेल ने पार्टी नेतृत्व पर तीखा प्रहार करते हुए कल दल की प्राथमिक सदयस्ता से इस्तीफा दे दिया था। वर्ष 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से चर्चा में आए 28 वर्षीय हार्दिक ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2019 में विधिवत कांग्रेस का दामन थामा था और जुलाई 2020 में उन्हें राज्य के मुख्य विपक्षी दल का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया था।

ज्ञातव्य है कि गुजरात में इसी साल विधान सभा चुनाव होने हैं। अटकलें ऐसी भी थी कि राजनीतिक रूप से महत्वाकांक्षी हार्दिक पहले आम आदमी पार्टी में शामिल होना चाहते थे। राज्य के दबंग पटेल अथवा पाटीदार समुदाय के हिंसक आरक्षण आंदोलन के दौरान उन्हें राजद्रोह के दो चर्चित मुकदमों में लम्बे समय तक जेल में भी रहना पड़ा था। उनके आंदोलन के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल को पद से हटना भी पड़ा था। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इसी आंदोलन के प्रभाव से भाजपा का प्रदर्शन काफी खराब रहा और वह किसी तरह सत्ता में वापसी कर सकी थी।

कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में श्री पटेल ने जिस तरह की तल्ख भाषा का इस्तेमाल किया था और राम मंदिर तथा धारा 370 को कश्मीर से हटाने जैसे मुद्दों की हिमायत की थी उससे उनके जल्द ही सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं।

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