RJD का 25वां स्थापना दिवस: RJD Rajat Jayanti समारोह में लालू यादव का संबोधन
RJD का 25वां स्थापना दिवस: RJD Rajat Jayanti समारोह में लालू यादव का संबोधन Social Media
पॉलिटिक्स

RJD का 25वां स्थापना दिवस: RJD Rajat Jayanti समारोह में लालू यादव का संबोधन

Author : Priyanka Sahu

बिहार, भारत। लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) 24 साल की हो गई है और पार्टी आज 5 जुलाई को अपना 25वां स्थापना दिवस जोरदार तरीके से मना रही है। इस मौके पर RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पार्टी के 'रजत जयंती' (RJD Rajat Jayanti) समारोह का वर्चुअल तरीके से उद्धाटन किया और पार्टी कार्यकर्ताओं से वर्चुअली मुखातिब हुए।

लालू प्रसाद यादव का संबोधन :

रजत जयंती समारोह में RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने संबोधन में कहा- विषम परिस्थितियों में काम करके हम पार्टी को यहां तक लाए हैं, इसलिए सभी कार्यकर्ताओं को बधाई। मुझे अफसोस है कि, मैं कार्यकर्ताओं के साथ मौजूद नहीं हूं। रजत जयंती में सहभागी बनने के लिए मैं बिहार और देश की जनता को बधाई देता हूं। हमारे साथ जनता की ताकत है, हमारे साथ अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े गरीब सभी हैं। कोरोना प्रलय जैसा है, लेकिन उससे बढ़कर महंगाई और बेरोजगारी कमर तोड़ रही है। अगर हमारी सरकार में पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ते तो लोग हमें चलने नहीं देते, लेकिन आज लोग मजबूर हैं। आज पेट्रोल का दाम घी को पीछे कर रहा है।

आगे उन्‍होंने ये भी कहा कि, ''देश हजारों वर्ष पीछे चला गया है, कोरोना और मौजूदा सरकार के चलते, इस वक्त हम लोग एक-दूसरे से मिल नहीं सकते हैं। कोरोना का तीसरा फेज आने वाला है, जितनी मौत हुई हैं। देश में कोरोना से उसकी गिनती नहीं की जा सकती है। चिकित्सा के अभाव में बिहार में अनगिनत मौत हुई हैं। गांव में जो मरे सो मरे, शहर में भी कई जानें गईं। किसी चीज का प्रबंध नहीं रहा। आज ये देश हमारा काफी पीछे है। इसकी पूर्ति करना साधारण बात नहीं है।''

आर्थिक संकट और दूसरी तरफ सामाजिक तानाबाना खंडित किया जा रहा है। कभी-कभी नारा लग रहा है, अयोध्या के बाद मथुरा। ये लोग सत्ता के लिए क्या चाहते हैं। आरजेडी के लोगों से यही कहूंगा कि, वे सामाजिक तानाबाना को मजबूत करने के लिए काम करते रहें।
RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव

मिट जाएंगे, लेकिन झुकेंगे नहीं :

RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा, ''आज आलम यह है कि, संसद भी नियमित रूप से नहीं चल पा रहा है। मैं लोगों को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि मिट जाएंगे, लेकिन झुकेंगे नहीं। हमारी सरकार को जंगलराज कहते हैं। तवा पर रोटी एक ही साइड से पक रही थी, उसे हमने पलटने का काम किया। हमरा राज जंगलराज नहीं जनराज रहा। चरवाहा स्कूल एक मैसेज था कि पेट के साथ शिक्षा का इंतजाम।''

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