मायावती ने चुनाव में गठबंधन को लेकर किया बड़ा ऐलान
मायावती ने चुनाव में गठबंधन को लेकर किया बड़ा ऐलान Social Media
पॉलिटिक्स

मायावती ने चुनाव में गठबंधन को लेकर किया बड़ा ऐलान एवं मतपत्रों से चुनाव कराने की मांग की

Priyanka Sahu

उत्तर प्रदेश, भारत। बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती आज अपना 67वां जन्मदिन मना रही है। इस मौके पर मॉल एवेन्यू स्थित बसपा के राज्‍य मुख्यालय पर ‘जन कल्‍याण दिवस’ कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें मायावती भी शामिल हुई। इस दौरान उन्होंने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और अपनी प्रतिक्रिया दी है। इस मौके पर उन्होंने चुनाव को लेकर गठबंधन के लिए बड़ा ऐलान भी किया है।

कानून व्यवस्था ठीक करने की आड़ में घिनौनी राजनीति :

दरअसल, बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने यह ऐलान किया है कि, "अगले साल होने जा रहे चार राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करेगी और अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। यदि बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा यह सारा खेल ईवीएम की गड़बड़ी का है।"  साथ ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर जोरदार निशाना साधा एवं इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर सवाल उठाकर मतपत्रों से चुनाव कराने की मांग की। मायावती का कहना है कि, ‘‘उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में कानून व्यवस्था ठीक करने की आड़ में जो घिनौनी राजनीति हो रही है वह किसी से छिपी नहीं है। देश में ईवीएम के जरिये चुनाव को लेकर यहां की जनता में किस्म-किस्म की आशंकाएं व्याप्त हैं और उन्हें खत्म करने के लिए बेहतर यही होगा कि अब यहां आगे छोटे-बड़े सभी चुनाव पहले की तरह मतपत्रों से ही कराए जाएं।'’

जातिवादी और संकीर्ण ताकतें साम दाम दंड भेद से बसपा को दूर करने में जुटी हुई हैं । ग्लोबल समिट के नाम पर यह जो निवेश आ रहा है, यह केवल भाजपा की खराब नीतियों पर पर्दा डालने की नाटक बाजी है। हल्द्वानी में लोगों को उजाड़ा जा रहा है कानून व्यवस्था की आड़ में घिनौना खेल खेला जा रहा है।
बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती

इस दौरान मायावती ने पिछड़ों, मुसलमानों और अन्य धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों को एकजुट होने की अपील करते हुए यह बात भी कही है कि, ‘‘मैं अपने जन्मदिन के मौके पर दलित, आदिवासियों, पिछड़े, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों को यह याद दिलाना जरूरी समझती हूं कि भारतीय संविधान के मूल निर्माता एवं कमजोर, उपेक्षित वर्ग के मसीहा बाबा साहब आंबेडकर ने जातिवादी व्यवस्था के शिकार अपने लोगों को स्वाभिमान व उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए कानूनी अधिकार दिलाए हैं और उन्हें आपस में भाईचारा पैदा करके केंद्र व राजनीति की सत्ता की ‘मास्टर चाबी’ अपने हाथों में लेनी होगी।’’

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