P. Chidambaram INX Media Case
P. Chidambaram INX Media Case Syed Dabeer Hussain - RE
पॉलिटिक्स

आईएनएक्स भ्रष्टाचार आरोपी चिदंबरम को जेल में मनाना होगा जन्मदिन

Author : Rishabh Jat

आखिर कौनसे आरोपों के कारण पी चिदंबरम को जेल भेजा गया?

आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार की पूछताछ के संबंध में सीबीआई और ईडी के अधिकारियों ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को गिरफ्तार किया है, यह बात तो अपने टेलीविजन और अख़बारों में खूब पढ़ी होगी लेकिन आज हम आसान शब्दों में आपको समझाएंगे आखिर क्या है यह आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार का मामला और इतने साल बाद एकदम से यह मामला कैसे उबर कर आ गया और इसमें करवाई भी शुरू हो गयी।

आईएनएक्स मीडिया ग्रुप कि कहानी

बात है सन् 2007 की जब मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में पी. चिदंबरम वित्त मंत्री का पद संभाल रहे थे उसी वक्त आईएनएक्स मीडिया जिसके निर्देशक पीटर और इंद्राणी मुखर्जी हुआ करते थे। अब आरोप है कि उस समय आईएनएक्स मीडिया ग्रुप को 305 करोड़ रुपये के विदेशी फ़ंड लेने के लिए फ़ॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफ़आईपीबी) की मंज़ूरी में कई तरह की अनियमितताएं बरती गईं.

कैसे आया पी. चिदंबरम का नाम आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में

2007 में आईएनएक्स मीडिया ग्रुप की निदेशक रही इंद्राणी मुखर्जी जो कि अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या के केस में अभी जेल में है, ईडी की पूछताछ में जांच एजेंसियों के सामने पी चिदंबरम का नाम आता हैं। पूछताछ में इंद्रानी मुखर्जी एवं उनके पति पीटर मुखर्जी मौजूद रहते हैं और इसी संबंध में 2018 में ईडी मनी लॉन्ड्रिंग का एक केस भी दर्ज करती है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार ईडी ने अपने आरोप पत्र में लिखा है, "इंद्राणी मुखर्जी ने जांच अधिकारियों को बताया कि चिदंबरम ने एफ़आईपीबी मंज़ूरी के बदले अपने बेटे कार्ति चिदंबरम को विदेशी धन के मामले में मदद करने की बात कही थी." इस मामले में फरवरी 2018 में चेन्नई एयरपोर्ट से कीर्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी भी हो चुकी है बाद में उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई थी।

इस मामले का राजनैतिक दृष्टिकोण

एक वक्त था जब पी चिदंबरम देश के गृह मंत्री हुआ करते थे और जिस तिहाड़ जेल में इस समय बंद हैं वहां का बजट भी पास किया करते थे और सबसे रोचक बात तो यह है कि जिस सीबीआई ऑफिस में उनको पूछताछ के लिए ले जाया गया था उसका उद्घाटन भी स्वयं पी चिदंबरम ने किया था। कहां जाता है कि वक्त के साथ परिस्थितियां भी बदलती हैं और इतिहास अपने आप को दोहराता जरूर है हुआ भी वही अमित शाह भारत के तत्कालीन गृहमंत्री और उस समय गृह मंत्री रहे पी चिदंबरम की एक छोटी सी दास्तां है बात है 25 जुलाई 2010 की जब सीबीआई ने अमित शाह को सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया था. उस वक्त अमित शाह ने गिरफ्तारी से पहले अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को फर्जी बताया था इस समय यह बात हमें पी चिदंबरम द्वारा सुनने में आ रही है जो कि उस वक्त भारत के गृह मंत्री हुआ करते थे।

राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तो बहुत पुराना रहा है राजनेताओं के ऊपर कई आरोप भी लगाए गए और कई बार आरोप फर्जी भी साबित हुए। कोर्ट द्वारा कई राजनेताओं को बरी भी मिल जाती है लेकिन इस दौरान उनकी व्यक्तिगत राजनीतिक छवि एवं उनकी पार्टी की छवि पर बहुत नुकसान पहुंचता है जिसका खामियाजा पार्टी को चुनाव में भी भुगतना पड़ता है। इसलिए हमें किसी भी राजनेता की आलोचना करने के पहले उनके द्वारा देशहित में किए गए कार्य को भी ध्यान में रखना चाहिए जब तक कोर्ट से निर्णय आता है तब तक विवेक से काम लेना चाहिए।

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