President's Rule
President's Rule Neha Shrivastav -RE
पॉलिटिक्स

जानिए क्‍यों लगा राष्ट्रपति शासन और क्या हैं इसके मायने?

Author : Priyanka Sahu

राज एक्‍सप्रेस। जैसा कि, आप जानते हैैं महाराष्‍ट्र में राजनीति सियासत इस वक्‍त सबसे अहम और बड़ा मुद्दा बनेे रहने के कारण काफी ट्रेंड में भी चल रहा है और अब यहां 12 नवंबर को राज्‍य के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई, जिसे केंद्र सरकार ने स्‍वीकार करते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन (President's Rule) लागू करने की मंजूरी दे दी, लेकिन क्‍या आप जानते हैं राष्ट्रपति शासन क्‍यों, कब और किन परिस्थितियों में लागू किया जाता है।

इन स्थितियों में लगता है राष्ट्रपति शासन :

भारत में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की नौबत तब आती है, जब कहीं राज्य सरकार भंग या निलंबित हो जाती है एवं राज्य प्रत्यक्ष संघीय शासन के अधीन आ जाता है। इसके साथ ही जब राज्‍य में चुनाव हो, लेकिन राज्य विधानसभा में किसी भी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत ना मिल पाया हो, ऐसी परिस्थिति के मद्देनजर राज्‍य के राज्‍यपाल द्वारा केंद्र सरकार से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की जाती है, यदि सरकार द्वारा मंजूरी मिल जाती है तब राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाता है। अनुच्छेद 356 के अंतर्गत की गई घोषणा को ही राष्ट्रपति शासन कहते है।

क्‍यों लगाया राष्ट्रपति शासन :

ऐसा ही हाल महाष्‍ट्र में भी है, इसी कारण राष्ट्रपति शासन लागू किया गया, इसका मतलब ये है कि, राज्य का नियंत्रण एक निर्वाचित मुख्यमंत्री की जगह सीधे भारत के राष्ट्रपति के अधीन आ जाता है एवं राज्य का राज्यपाल ही राष्ट्रपति के नाम पर राज्य सचिव की सहायता अथवा राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किसी सलाहकार की सहायता से राज्य का शासन चलाता है।

राष्ट्रपति शासन की अवधि :

अगर राष्ट्रपति शासन का अनुमोदन कर दिया जाता है, तो राज्यपाल सदन को 6 माह की अवधि के लिए 'निलंबित अवस्था' में रख सकते हैं या आसान शब्‍दों में कहे तो राष्ट्रपति शासन 6 माह तक जारी रहता है तथा 6 महीने बाद भी यदि दोबारा स्पष्ट बहुमत ना मिले तो इस अवस्‍था में पुन: चुनाव आयोजित किये जाते हैं।

पहली बार कब लगा राष्ट्रपति शासन :

ऐसा पहली बार नहीं है कि, महाराष्ट्र में ही राष्ट्रपति शासन लागू हुआ हो, बल्कि यह तीसरी बार है। जी हां! महाराष्‍ट्र में राष्ट्रपति शासन तीसरी बार लगाया जा रहा है।

  • महाराष्ट्र में पहली बार 17 फरवरी से 8 जून, 1980 में लगभग 112 दिन तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा था, उस समय मुख्‍यमंत्री शरद पवार थे।

  • तो वहीं दूसरी बार राज्य में 28 सितंबर 2014 से 30 अक्टूबर यानि 32 दिनों तक राष्ट्रपति शासन लगा था, उस वक्‍त तत्कालीन CM पृथ्वीराज चव्हाण थे।

  • महाराष्ट्र में अब तीसरी बार 12 नवंबर, 2019 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया है, यहां के मुख्‍यमंत्री पद की जिम्मेदारी देवेंद्र फडणवीस संभाल रहे थे।

आजादी के बाद से अब तक भारत के अलग-अलग राज्यों में करीब 126 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। वहीं अगर केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के वर्ष 2014 में सत्‍ता में आने के बाद की बात करें तो, जब से अब तक 7 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है।

क्‍या है महाराष्‍ट्र राजनीति की हलचल :

महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को राज्य में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आ जाने के बावजूद भी वहां सीएम की कुर्सी को लेकर महाड्रामा हो रहा है, हांंलाकि शिवसेना-बीजेपी बहुमत साबित करने में विफल रही, जबकि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने CM की चेयर पर बैठने व सरकार बनाने का दावा करने के लिए राज्य की सभी पार्टियों को आमंत्रित किया था, लेकिन राज्यपाल को किसी भी दल ने संतुष्ट नहीं किया।

बहुमत का आंकड़ा - 145 है और ऐसे में सभी पार्टियों के पास सिर्फ इतना ही बहुमत है, जो आप यहां देख सकते हैै-

बीजेपी -105

शिवसेना- 56

एनसीपी - 54

कांग्रेस - 44

बताते चलें कि, महाराष्ट्र में विधानसभा सीटें 288 हैं। जिसमें से सबसे अधिक सीटें भाजपा एवं सबसे कम सीटें कांग्रेस के पास हैं।

Maharashtra Politics

अगर बीजेपी+शिवसेना दोनों मिलकर सरकार बनाते तो यह आंकड़ा बहुमत से काफी अधिक होता, परंतु एनसीपी+कांग्रेस+शिसेवना भी एक-दूसरे को समर्थन दें, तो भी बहुमत का आंकड़ा ज्‍यादा ही होगा, लेकिन शायद कांग्रेस समर्थन देने को तैयार नहीं है। इसके अलावा एनसीपी+कांग्रेस के साथ अन्‍य दल मिल जाएं, तो यह बहुतम के आंकड़ें के काफी दूर है।

सरकार बनाने की इस दौड़ में सभी पार्टियों में कांटे की टक्कर है और बहुमत साबित करने के लिए 145 सीटें की जुगाड़ में हैं। तो वहीं, महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने साफ मना कर दिया, क्योंकि उनके पास बहुमत नहीं है एवं अब शिवसेना विपक्षी दलों से समर्थन के कयास लगाई बैठी है।

सरकार को लेकर किसकी क्‍या डिमांड :

बीजेपी की डिमांड- महाराष्ट्र में भाजपा पूरे 5 साल के लिए ही मुख्यमंत्री पद पर रहना चाहती है।

शिवसेना की डिमांड- 50-50 फॉर्मूले यानी ढाई साल बीजेपी दल का CM और अगले ढाई साल शिवसेना का CM होगा।

एनसीपी की डिमांड- ढाई-ढाई साल के लिए CM पद का बंटवारा किया जाए।

कांग्रेस की डिमांड- कांग्रेस पूरे पांच साल के लिए डिप्टी CM पद पर रहना चाहती है।

इसी के मद्देनजर राज्यपाल ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश कर दी। आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर पूरी खबर पढ़ सकते हैं-

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